शर्मनाक : सचिवालय प्रशासन को बेच दिए दान में मिले सैनेटाइजर

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकार बनने के बाद से ही दावा करते रहे हैं कि प्रदेश की जनता को भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देंगे, लेकिन सरकार बनने के अढ़ाई साल बाद भी मुख्यमंत्री का यह संदेश उनके सचिवालय में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों तक ही नहीं पहुंच पाया। प्रदेश सचिवालय में भ्रष्टाचार का नया मामला तब सामने आया जब प्रदेश कोरोना वायरस के संकट से निपट रहा है। भ्रष्टाचार के इस मामले ने सिर्फ सरकार को ही नहीं बल्कि मानवता को भी शर्मसार किया है। संकट की घड़ी में जब जनता आपदा फंड में पाई-पाई दान कर रही है, तब आपदा के पैसों में भ्रष्टाचार होना बहुत ही गंभीर मामला है। कोरोना से निपटने के लिए सरकार के सभी विभागों के साथ सचिवालय में भी कर्मचारियों की सुरक्षा  के लिए सैनेटाइजर खरीदा गया। शुरुआत में यह बात सामने आई कि सचिवालय में एसएडी के माध्यम से खरीदे गए सैनेटाइजर महंगे दामों पर खरीदे गए। मीडिया की खबरों के अनुसार 50 रुपए कीमत वाले सैनेटाइजर 130 रुपए से अधिक दाम पर खरीदे गए। सरकार द्वारा निर्धारित रेटों के साथ-साथ सैनेटाइजर के प्रिंट रेट में भी छेड़छाड़ की गई बताई जाती है। इसके बाद यह भी सामने आया कि दान में दिए गए सैनेटाइजर के ऊपर नए दाम लिखकर उन्हें भी सरकार को बेच दिया गया। यानि फ्री में मिले सैनेटाइजर भी सरकार को महंगे दामों पर बेच दिए गए। महंगे सैनेटाइजर खरीदने का यह खेल शिमला स्थित सचिवालय के  प्रशासन विभाग के अधीन चलता रहा। मामला सामने आने पर विवाद हुआ तो प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर सरकार ने जांच कराने का फैसला लिया। अब विजीलेंस जांच में ही सच सामने आएगा कि इस गोलमाल में कौन-कौन लोग शामिल रहे। हालांकि सैनेटाइजर खरीद के लिए बाकायदा सचिवालय प्रशासन ने टेंडर आमंत्रित किए तथा सबसे कम रेट वाले को सैनेटाइजर की सप्लाई का आर्डर दिया गया। लेकिन हैरानी की बात  है कि टैंडर खुलने के समय सचिवालय प्रशासन ने सप्लाई करने वाले ठेकेदार के पास ड्रग एण्ड कॉसमेटिक एक्ट के तहत वैध लाईसेंस देखना ज़रूरी नहीं समझा। मामला उस समय उजागर हुआ जब ठेकेदार ने पेमेंट के लिए बिल पेश किए। उस समय एक अधिकारी ने इसको लेकर सवाल उठाए, तो सचिवालय में हड़कम्प मच गया। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी सैनेटाइजर खरीद के मामले में सीधे राज्यपाल को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। मामला सचिवालय से जुड़ा है अत: उम्मीद है कि विजीलेंस जल्द ही मामले का पर्दाफाश करेगा। विपक्ष का कहना है कि जब  सचिवालय में आपदा के समय भ्रष्टाचार हो सकता है तो पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग और जिला अस्पतालों के द्वारा की गई खरीद की जांच भी होनी चाहिए। सचिवालय में  भ्रष्टाचार के इस मामले ने सरकार की छवि को दागदार अवश्य किया है। आपदा के समय इस तरह के भ्रष्टाचार से मानवता भी शर्मसार हुई है।
कांग्रेस-भाजपा में सुझाव और श्रेय की सियासत
आपदा संकट के समय प्रदेश के सभी नेता राजनीति से हटकर एकजुटता के साथ कोरोना से लड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन दोनों दलों के नेताओं के बीच सुझाव और श्रेय लेने की सियासत भी जोरों पर है। कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार हर प्रयास कर रही है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस के नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री और कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर लगातार सरकार को सुझाव दे रहे हैं कि वह संकट के समय प्रदेश के लोगों की सुविधा के लिए आवश्यक कदम उठाए। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री पहले लॉकडाउन के समय से ही प्रदेश के बाहर फंसे लोगों को हिमाचल लाने की मांग करते रहे हैं। शुरुआत में तो सरकार ने इन्कार किया, लेकिन बाद में विपक्ष और जनता के बढ़ते दबाव के कारण सरकार ने बाहर फंसे हिमाचली लोगों को पास जारी कर लाये जाने की अनुमति दे दी, लेकिन सरकार फिर संकट में फंस गई। दूसरे प्रदेशों से आने वाले हिमाचली ही कोरोना कैरियर बन गए और कोरोना फ्री की स्थिति में पहुंचने वाले हिमाचल में दो दर्जन से अधिक केस आ गए। विपक्ष ने फिर आरोप लगाए कि सरकार ने बाहर से आने वालों की जांच के उचित प्रबंध नहीं किए, जिससे प्रदेश में यह स्थिति पैदा हो गई। इस तरह सरकार और विपक्ष के बीच सुझाव और श्रेय लेने की सियासत भी चल रही है।
अब कोरोना से डरना नहीं, सुरक्षा से चलना होगा
कोरोना वायरस से बचने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा जारी ‘लॉकडाउन में जान है तो जहान है’ के तहत छूट मिल रही है। अब सरकारी कार्यालय भी खुल रहे हैं और आम जीवन भी सामान्य लाने के प्रयास हो रहे हैं लेकिन अभी कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है। इस कारण कोरोना से डरना नहीं बल्कि लड़ना है यानि अब सुरक्षा के साथ कोरोना का मुकाबला करना है। अब केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा जारी सुरक्षा गाइड लाइन का पालन करते हुए ही जीवन यापन करना होगा। इसलिए सभी को यह समझना होगा कि जब आवश्यक कार्य हो, तभी घर से बाहर निकलें। घर से बाहर निकलते समय सैनेटाइजर जरूर उपयोग करें और मास्क लगाएं। ऑफिस हो या बाज़ार सभी जगह दो गज की दूरी बनाए रखने का प्रयास करें और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। जब घर वापस आएं तो पूरी सावधानी के साथ हाथों को साबुन से साफ करें और सैनेटाइजर का भी उपयोग करें। अगर आप सरकार के द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए जीना सीख जाएंगे तो कोरोना की जंग जीत जाएंगे।