गेहूं के अवशेष को आग लगाने में पिछले दो वर्ष के कीर्तिमान टूटे

पटियाला, 21 मई (जसपाल सिंह ढिल्लों): राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों व तालाबंदी की धज्जियां उड़ाते पंजाब में गेहूं के अवशेष को आग लगाने के आंकड़ों ने पिछले दो वर्षों के कीर्तिमान तोड़ दिए हैं। इस बार पंजाब में 20 मई सायं तक 11014 जगहों पर गेहूं के अवशेष को आग के हवाले सरेआम किया गया। यहां यह भी बताना बनता है कि एक दिन 20 मई को 743 जगहों पर गेहूं की नाड़ को किसानों ने आग लगाई, जिसमें सबसे अधिक आग 103 अमृतसर में लगी हैं। यह आंकड़ा पिछले दो वर्षों में सबसे ऊपरी आंकड़ा है, क्योंकि वर्ष 2019 में 20 मई तक 8921 व वर्ष 2018 में 10832 जगहों पर गेहूं के अवशेष को आग लगी थी। इस बार सबसे अधिक आग बठिंडा ज़िले में लगीं जहां अब तक 1051 जगहों पर गेहूं की नाड़ को आग लगाई गई जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 710 था। इसके अतिरिक्त मोगा ज़िले में 1016, फिरोज़पुर में 972, अमृतसर में 965, मुक्तसर में 911, गुरदासपुर में 752 व तरनतारन में 742 जगहों पर गेहूं के अवशेष को आग लगाई गई। यह सभी ज़िले आग लगाने में ऊपरी आंकड़े वाले हैं। इसके साथ ही बरनाला में 397, फतेहगढ़ साहिब में 81, फरीदकोट में 489, होशियारपुर में 365, जालन्धर में 432, कपूरथला में 310, लुधियाना में 595, मानसा में 328, शहीद भगत सिंह नगर नवांशहर में 114, पठानकोट में 79, पटियाला में 308 व संगरूर में 547 जगहों पर गेहूं के अवशेष को आग लगाई गई। इसके अतिरिक्त कम आग लगाने वालों में रोपड़ में 36 व मोहाली में केवल 24 जगहों पर आग लगाई गई।