अधिक सचेत होने की ज़रूरत

समय के व्यतीत होने के साथ-साथ कोरोना महामारी की चिंता बढ़ी है। विश्व के अधिकतर देशों में अनेक यत्नों के बावजूद इस पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका। कई प्रकार की सावधानियां भी बरती जा रही हैं, तालाबन्दियां भी की गईं, बड़े-बड़े वैज्ञानिक एवं प्रसिद्ध प्रयोगशालाएं निरन्तर इसकी औषधि की भाल हेतु यत्नशील हैं। कई देशों की ओर से अनेक बार शीघ्र ही इस संबंध में टीके की ईजाद के दावे किये गये हैं। इनके सफल होने की सम्भावना भी बनते हुये दिखाई दे रही है परन्तु इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि प्रभावशाली टीका अथवा दवाई बनने में अभी कुछ महीने और लग सकते हैं। 
इस समय ऐसी औषधियां भी सामने आई हैं, जिनका कोरोना के मरीज़ों पर अच्छा प्रभाव देखने को मिला है। इन दवाइयों के साथ-साथ सावधानियां अपनाने से ठीक होने वाले मरीज़ों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। देश में मुम्बई, दिल्ली और तमिलनाडु आदि स्थानों पर वायरस का अधिक प्रभाव पड़ा है परन्तु अभी तक इसके प्रसार पर रोक नहीं लग सकी। पंजाब में भी इसका लगातार प्रसार चिंता का विषय बना हुआ है। चाहे पिछले महीने में टैस्ंिटग सामर्थ्य बढ़ने से मरीज़ों की निशानदेही होती रही है। रैपिड टैस्ंिटग से भी अधिक केस सामने आ रहे हैं परन्तु इसके साथ ही लगातार मरीज़ों के ठीक होने की दर का बढ़ना कुछ संतुष्टि वाली बात है। इसी तरह मौतों की दूसरे देशों के मुकाबले औसत दर अभी तक कम है। आने वाले दिनों में सुरक्षा के अधिक ढंग अपनाने से, शारीरिक दूरी बनाने से, बड़े समूहों को रोकने के साथ और मास्क आदि के इस्तेमाल से इस बढ़ते रोग को रोका जा सकता है। सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों को भी इन यत्नों में इस्तेमाल किया जाना आवश्यक है। आज इन अस्पतालों और डाक्टरों की सामाजिक ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वे लामबंद हो कर लोगों के दुख-दर्द को कम करने के लिए आगे आएं।
इस संबंध में सरकार द्वारा कुछ और निर्देश जारी किए गए हैं परन्तु इसके साथ-साथ आम लोगों में भी यह जागरूकता पैदा होना ज़रूरी है कि वे इस बीमारी का सामना करने के लिए स्वयं को पूरी तरह सचेत होकर तैयार करें। अब तक इस महामारी ने विश्व भर को सभी पक्षों से भारी नुक्सान पहुंचाया है। करोड़ों ही लोग बुरी तरह से इसके घेरे में आ चुके हैं परन्तु इतिहास गवाह है कि मनुष्य ने कभी भी सिर पर आ पड़े संकटों से मुंह नहीं फेरा। हर तरह के प्रयास और ढंग से उनका मुकाबला करने का यत्न किया है। आज भी विश्व भर के लोग इसी अवस्था में विचरते दिखाई दे रहे हैं, जिस कारण हर दिन उम्मीद की डोर अधिक मज़बूत होती जा रही है। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द