हर कला में माहिर हो रहे हैं रोबोट

लॉकडाउन हमसे बहुत कुछ लेकर जा रहा है, तो यह भी सही है कि यह हमें बहुत कुछ देकर भी जा रहा है। वैसे अभी पूरी तरह से यह नहीं कहा जा सकता कि यह जाते जाते अब रुकेगा नहीं या लौटकर नहीं आयेगा। इजरायल, न्यूजीलैंड, स्पेन, अमरीका के कुछ प्रांत और इटली के कुछ प्रांतों में फि र से लॉकडाउन लगा दिया गया है, हिंदुस्तान में भी कई ऐसी जगहों में, जहां पहले लॉकडाउन खत्म कर दिया गया था, नये सिरे से कुछ दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया है। कहने का मतलब यह है कि अभी लॉकडाऊन पूरी तरह से गया नहीं है। लेकिन यह तो तय है कि आज नहीं तो कल जायेगा ही, लेकिन अब लॉकडाउन के बिल्कुल पहले की जिंदगी कभी दोबारा नहीं लौटेगी। जहां तक इस लॉकडाऊन की देन की बात है तो इसने जहां कई किस्म के भय दिये हैं और कम से कम में गुजर बसर करने की कला सिखायी है। वहीं इसने तकनीकी के क्षेत्र में कई ऐसी कल्पनाओं को एक झटके में साकार कर दिया है, जिनके बारे में उम्मीद तो पूरी की जा रही थी, लेकिन यह नहीं सोचा जा रहा था कि इतनी जल्दी यह सब कुछ साकार हो जायेगा। वास्तव में लॉकडाउन के दौरान आर्टिफि शियल इंटेलीजेंस के विकास में बहुत तेज़ी आयी है। यह तो तय था कि एक दिन रोबोट हर वह काम करेंगे, जो कोई भी चलता फिरता इंसान कर सकता है। लेकिन वह दिन बिल्कुल दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है, कम से कम लॉकडाउन के पहले तक तो इसका इलहाम नहीं था। दुनिया के ज्यादातर ऐसे प्रोजेक्ट अचानक रुक गये, जिन्हें इन्हीं दिनों पूरा होना था, तो वैज्ञानिकों ने बेफ्रिक होकर कुछ ऐसे प्रोजेक्टों पर काम करना शुरु कर दिया, जिनके पूरा होने का हाल फिलहाल कोई दबाव नहीं था। ऐसे काम हमेशा ज्यादा बेहतर ढंग से होते हैं, जिन्हें करने के लिए दबाव नहीं होता। विविध क्षेत्रों के लिए मानवीय संवेदनाओं वाले रोबोटों का विकास तो होना ही था, लेकिन तमाम दूसरी जरूरी व्यस्तताओं के चलते इसमें देर होनी थी और अब चूंकि कोई तात्कालिक दबाव वाला प्रोजेक्ट ही नहीं था। इसलिए इन दिनों ऐसे कई ह्यूमन रोबोट पर काम तेज़ी से हुआ, जो इसके पहले तक अनेक व्यवहारिक तर्कों और आधारों के बावजूद पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं लग रहे थे। तकनीक के क्षेत्र में जबरदस्त छलांग लगाई गई है, जिस कारण अब तमाम मनुष्यों जैसे काम कर सकने वाले रोबोट बिल्कुल हमारी व्यवहारिक जिंदगी की दहलीज पर आ गये हैं। मसलन लॉकडाउन के पहले कला और दूसरी ललित कला की दुनिया में हस्तक्षेप करने वाले रोबोट ज्यादातर कल्पना में या पहली पीढ़ी के स्तर पर थे। लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान न्यूयार्क टाइम्स, भारत के द टेलीग्राफ  और ब्रिटेन के द मिरर अखबारों ने उन रोबोट्स पर लंबी लंबी स्टोरी छापी है, जो स्टूडियो में कलाकारों की तरह ही खड़े होकर पेंटिंग बना रहे हैं और उनकी पेंटिंग बनाने की यह कवायद महज प्रोग्राम्ड एक्शन भर का नतीजा नहीं है बल्कि ये रोबोट अपनी कल्पनाओं से अमूर्त पेंटिंग्स कर रहे हैं। वैसे इस तरह पेंटिंग 2018 में भी हो रही थी, लेकिन इस दौरान इनके इस काम में बहुत सुधार हुआ है। यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान अमरीका की कई गैलरीज में रोबोट कलाकारों की तरह खड़े पेंटिंग करते दिखे। इन रोबोटों ने लैंडस्केप बनाने के लिए मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल किया। पोर्टेट और लैंडस्केप इसके जरिये ऐसे जीवंत बनाये गये, जिनके बारे में पूरी तरह से कल्पना नहीं की जा सकती थी। कई अच्छे इंसानी कलाकारों ने भी इतने अच्छे ब्रश स्टोक्स नहीं मारे थे, जैसे रोबोट द्वारा मारे गये। 2 से 5 अगस्त 2020 को सिएटल आर्ट फेयर में रोबोट आर्टिस्टों द्वारा निर्मित पेंटिंग्स को खरीदा गया। वास्तव में ये पेंटिंग्स रोबोट एयर संस्था के संस्थापक एंड्रयू कॉर्नर के मुताबिक रोबोट उपकरण और एल्गोरिदम का एक ऐसा नतीजा है, जो भविष्य की कई कल्पनाओं के लिए दरवाजे खोल रहा है। कॉर्नर के मुताबिक फि लहाल ये तमाम पेंटिंग करने वाले रोबोट अपने इंसानी कलाकारों के इशारे पर कर रहे हैं, लेकिन इनमें बहुत तेजी से मानवीय सृजनात्मकता देखने को मिलेगी यानी यह अपने आप निर्णय लेकर मन और दिल को अच्छे लगने वाली पेंटिंग्स ही बनाएंगे। इस लॉकडाउन के लंबे समय में हजारों बुद्धिमान रोबोट बहुत तेजी से विकसित हुए हैं,  हां, अभी ये आपका हाथ अपने हाथों में लेकर रोड़ में नहीं चल सकते, लेकिन वह दिन भी जल्दी ही आयेगा। लॉकडाउन के पहले यह सिर्फ  मूर्तियों जैसे होते थे और लॉकडाउन के दौरान जिस तरह इनकी मांग में बहुत तेजी आयी है, वैसे ही इनके तकनीक में भी जबदस्त उन्नत देखने को मिली है।  कह रहे हैं।  लेकिन गहन रिसर्च करने वाले रिसर्चर बता रहे हैं कि जल्द ही खरीदे हुए ये रोबोट दो लोगों के बीच से बहुत संभव है इंसानी जरूरत को खत्म कर दें। जहां तक कविता का मामला है तो टोरंटो विश्वविद्यालय में पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा एल्गोरिदम विकसित किया है, जिसका इस्तेमाल करके रोबोट कविता लिखने में सक्षम है और यह कविता कोई तुकबंदी भर नहीं होगी बल्कि इसमें मीटर को भी ध्यान में रखा गया है और शब्दों का सुंदर जाल भी बिछाया गया है। बड़े किस्म के शोध का हिस्सा बने एक रोबोट ने 3000 से ज्यादा सोनेट्स इस एल्गोरिदम के जरिये लिखे हैं, जो निश्चित रूप से शेक्सपीयर के सरीखे सोनेट्स तो नहीं है, लेकिन इनमें भी वैसी ही मानवीय संवेदना विकसित होते पायी गई है।  इस तरह देखें तो लंबे लॉकडाउन के बाद आज रोबोट बड़ी गंभीरता से ललित कलाओं में अपना दखल दे रहे हैं। चाहे कविता हो, चाहे कहानी हो, चाहे बातचीत हो और चाहे पेंटिंग्स बनाने से लेकर कला के दूसरे आयामों तक, इसकी बढ़त का मामला हो। पहले जहां रोबोट मनुष्य द्वारा किये गये ऐसे कामों को करने की हिम्मत जुटाते थे, जिससे पहले ही मशीनी अंदाज में दोहराये जाने के लायक बना दिया गया     यानी वो सरल काम थे। लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान रोबोट कई जटिल जिम्मेदारियों स्वीकार करने लगे हैं। लॉकडाऊन में रोबोट अमूर्त और रचनात्मक कार्यों के करने की तरफ  बढ़े हैं। यही कारण है कि आज रोबोट की तमाम गतिविधियां इंसान के कलाबोध का पर्याय बन गई है। रोबोट पहले ही आश्चर्यजनक दृश्य, गहन कविता और पारंपरिक संगीत को क्लोन कर लिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले कुछ सालों में रोबोट इंसानी कलाकारों की तरह ही अपने दिली जुनून के साथ आर्ट वर्क को पेश करेंगे।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर