बिना शोर मचाए रोबोट क्रांति के मुहाने पर खड़ा है भारत
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले साल सितंबर में राष्ट्रीय रोबोटिक्स रणनीति का मसौदा जारी किया था। उद्देश्य था, रोबोटिक प्रौद्योगिकी के नवाचार को मजबूत कर 2030 तक देश को रोबोटिक्स का हब बनाना। रोबोटिक्स के प्रति सरकार की यह पहल सफल रही। अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक्स महासंघ की रिपोर्ट बताती है कि ऑटोमेशन या स्वचालन की तकनीक अपना चुके हमारे कारखानों में 8551 रोबोट काम कर रहे है। दुनियाभर के कारखानों में कार्यरत 43 लाख रोबोटों की संख्या और बीते तीन साल से हर साल उनमें 5 लाख से ज्यादा की बढ़ोतरी को देखें तो यह तादाद मामूली है। देश में चलने वाले कारखानों की संख्या पर गौर करें तो रोबोट कार्यबल की सघनता नगण्य हो जाती है लेकिन उल्लेखनीय है कि कारखानों में रोबोट कार्यबल के मामले में भारत संसार के देशों में अब 7वें नंबर पर पहुंच गया है। यह स्थान हमने बहुत तेज़ी से चलकर हासिल किया है। दो साल पहले इस मामले में भारत संसार में 10वें स्थान पर था। पिछले पांच वर्षों में देश में इंडस्ट्रियल रोबोट की संख्या दोगुनी हो गई। 2016 से जो हमने रफ्तार पकड़ी तो 2023 तक 44,958 इकाइयों की संख्या पा ली। 2023 में 8510 नए रोबोट काम पर लगे तो जाहिर है इस क्षेत्र में बीते एक साल में 54 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। सरकार इस दिशा में अपने प्रयासों पर प्रसन्न हो सकती है।
इससे देश के उद्योगों में ऑटोमेशन बढ़ने के अनुपात में ही रोबोट वर्कर की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ऑटोमोटिव और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में रोबोटिक्स की मांग ने इनकी संख्या में खासा इजाफा किया है। ऑटोमोटिव क्षेत्र में तो रोबोट इंस्टालेशन में रिकार्ड 139 प्रतिशत की बढ़त दिखी।
कार निर्माता और पुर्जे बनाने वाले दोनों रोबोट का इस्तेमाल कर रहे हैं। देश में उद्योगों के अलावा दूसरे क्षेत्रों, आम जनजीवन में भी रोबोट का इस्तेमाल को बढ़ता देख आज साठ से अधिक स्टार्टअप रोबोट बना रहे हैं। कई कंपनियां मानवाकृत रोबोट बना रही हैं। अनुष्का, मानव, मित्रा, शालू वगैरह इसके उदाहरण हैं। इनमें से कोई सर्जन है, कोई टीचर, कोई रिशेप्सनिस्ट। इसरो अंतरिक्ष में भेजने के लिये व्योममित्र रोबोट विकसित कर रहा है, तो सेना ने निगरानी और युद्ध अभियानों में सहायता के लिए कुत्तानुमा रोबोटिक खच्चर विकसित किया है। आईआईटी कानपुर ने सीवर की सफाई में सफाई कर्मी की जान न जाए इसके लिए रोबोट बनाया है तो एडवर्ब कंपनी ने रक्षा, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्रों में काम करने वाले बेहद कारगर रोबोट बनाए हैं। स्वदेशी सर्जिकल रोबोट मंत्रा ने सफल रोबोटिक कार्डियक सर्जरी का शतक पूरा किया, तो कुछ कंपनियां कैंसर, मूत्र और स्त्री रोग संबंधी ऑपरेशन, कीटाणुशोधन और स्वच्छता, रोगी स्क्रीनिंग, दूरस्थ उपचार और भोजन तथा दवाओं की आपूर्ति जैसे अनुप्रयोगों के लिए कई रोबोटिक समाधान लेकर आयीं हैं।
इस उम्मीद के साथ कि भारत भी रोबोटिक्स के क्षेत्र में जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी और सिंगापुर की बराबरी में जल्द खड़ा हो जाएगा। आईआईटी प्रयागराज, दिल्ली, हैदराबाद एक साथ मिलकर उद्योग, कृषि, शैक्षणिक, सुरक्षा और घरों के लिए उपयोगी रोबोटिक्स तकनीक निर्मित करने में लगे हैं। पहले प्रशिक्षण फिर अनुसंधान और इसके आगे नवोन्मेष और अनुप्रयोग तक जाएंगे। सरकार ने रोबोटिक्स के लिए राष्ट्रीय रणनीति के तहत रोबोट बनाने से लेकर रोबोटिक्स अपनाने के लिए वित्तीय सहायता देने का जो ऐलान किया है, उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। रोबोट बाज़ार पर नज़र रखने वाली संस्थाएं कहती हैं कि 2027 तक संसारभर में जितने औद्योगिक रोबोट स्थापित होंगे, उनका सबसे बड़ा हिस्सा दक्षिण एशियाई देशों में होगा। देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता या एआई के क्षेत्र में उल्लेखनीय बढ़त और उपलब्धियां हासिल करता जा रहा है, सरकार द्वारा रोबोटिक्स के क्षेत्र में शोध अनुसंधान और निर्माण तथा उसके व्यापक प्रयोग विशेष प्रयास करना इस क्षेत्र को और सबलता दे रहा है। देश में स्टेम सेल यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स के क्षेत्र में व्यापक प्रायोगिक अनुभव रखने वाले वैज्ञानिकों, तकनीकिज्ञों का एक बड़ा समूह मौजूद है, जो देश को एआई और रोबोटिक्स प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा। सरकारी प्रोत्साहन और वैश्विक रुझान के चलते भारतीय रोबोटिक्स के विकास और प्रसार हेतु बनती दीर्घकालिक संभावनाएं यह उम्मीद बंधाती हैं कि देश 2030 तक देश रोबोट हब के रूप में स्थापित हो जाएगा और संसार में रोबोट स्थापन के मामले में हम 5वे स्थान के करीब पहुंच जाएंगे।
बेशक कुछ नौकरियों में कटौती होगी पर इनके आने पर कुछ नए काम और नौकरियां सृजित होंगी। नहीं भूलना चाहिये कि यह क्षेत्र बहुत व्यापक है ढेरों संभावनाओं से भरा भी। वर्ष 2023 में रोबोटिक्स का वैश्विक बाज़ार 51 अरब डॉलर था जो वर्ष 2030 तक 23 प्रतिशत की दर से 215 अरब डॉलर तक पहुंचेगा। अपने देश में भी इसका बाज़ार बड़ा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि वर्ष 2030 तक, भारतीय रोबोटिक्स का वार्षिक बाजार साढ़े चार अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इस बढते बाज़ार, विकास और इसकी व्यापकता को देखते हुए सरकार और उद्योग जगत को यह ध्यान में रखना होगा कि एआई और रोबोटिक्स सिस्टम अक्सर बड़ी मात्रा में डेटा पर काम करते हैं। इसमें आये दिन सेंध लग रही है इस डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। डेटा में गड़बड़ी और हेरफेर तथा सुरक्षित हाथों में पड़ने से भारी विनाश का सामना करना पड़ सकता है। रोबोटिक्स से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों यथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और कम्प्यूटर विज़न इत्यादि में अनुसंधान के लिए और धनावंटन करना होगा। रोबोटिक्स केंद्रों और इनक्यूबेटरों की स्थापना, रोबोटिक्स कंपनियों और स्टार्टअप को टैक्स में छूट बढानी होगी। उद्योगों को रोबोटिक्स निर्माण तथा उसे अपनाने हेतु प्रेरित करने के लिए वित्तीय सहायता बढानी होगी। अवसंरचना, विनिर्माण, स्वास्थ्य, कृषि में रोबोटिक्स के इस्तेमाल को कैसे बढाएं इसकी ठोस योजना बनानी होगी। यह ध्यान रखना परमावश्यक है कि इसका लाभ महज़ बड़े उद्यमी, उद्योग अथवा साधन संपन्न लोगों तक सिमटकर न रह जाये। इसके लाभ सब तक पहुंचें, चाहे उसकी पृष्ठभूमि या आर्थिक स्तर कुछ भी हो। इसके लिए बनी सरकारी प्रणालियां जवाबदेह पारदर्शितापूर्ण, पूर्वाग्रहमुक्त हो इसके लिए कड़े नियमन आवश्यक होंगे। फिलहाल सरकारी प्रयासों की प्रशंसा करनी होगी और यह भरोसा कि वह इस क्षेत्र में यह गति कायम रखेगी। यह इसलिए ज़रूरी है कि हालिया उपलब्धि के बावजूद हम इस क्षेत्र में चीन, जापान, अमरीका, जर्मनी, दक्षिण कोरिया से मीलों पीछे हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर