चीन ने भारतीय सीमा पर लड़ाई हेतु रोबोट उतारे

कुछ समय पहले तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अमरीका की बादशाहत मानी जाती थी। अब चीन ने इस मामले में बहुत तेजी से काम किया है। वह अक्साईचिन में भारत की सीमा पर कम्पा देने वाली ठंड और कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्र में मुकाबला करने के लिए रोबोट का सहारा ले रहा है। चीन की एजेंसियों के अनुसार चीन अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मशीन का सहारा लेकर सीमा पर लड़ाई लड़ने वाला है। अमरीका इस रोबोट के ट्रायल स्तर पर ही पहुंच पाया है। चीन उससे दो कदम आगे चलकर रोबोट को सीमा पर पहुंचा रहा है। सारी मशीनों को एलओसी पर तैनात किया गया है। जहां पर भारत और चीन के 50-50 हज़ार सैनिक तैनात किए जा चुके हैं। चीन ने वायरलेस तरीके से चलने वाला हल्की मशीन गन से लैस मूले 200 को तैनात किया है जो मानव रहित सप्लाई वाहन है। इसमें हथियार भी ले जाये जा सकते हैं। चीन ने लगभग 200 मूले को तिब्बत में भेजा है। ये सब मशीनें मानवरहित हैं और ठंड तथा ऑक्सीजन रहित क्षेत्रों में बखूबी सैनिकों की तरह काम करती हैं। शी जिनपिंग अपनी तीसरी पारी की शुरुआत के साथ भारतीय क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश की सीमा में अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहा है। सीमा के अंदर कुछ क्षेत्र में घुस भी आया है हालांकि चीन अभी तक बिजली संकट से जूझ रहा है।
वर्तमान परिस्थितियों में इधर एलएसी में अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख की सीमा पर उसके सैनिक अपने कमांडरों का कहना या तो नहीं मानते या सोची समझी साज़िश के तहत लगातार सीमा पर अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन के सैनिकों ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश में अतिक्रमण करने की कोशिश की। भारत के जांबाज जवानों ने चीन की नापाक कोशिश को नाकाम करते हुए उन्हें खदेड़ दिया। अतिक्रमण की यह घटना गुमला क्षेत्र में हुई। भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। लगभग 200 सैनिकों को रोक भी लिया गया पर कमांडर  स्तर की बातचीत करके उन्हें छोड़ दिया गया। एक तरफ  शांति बहाली के लिए कमांडर स्तर पर लगातार वार्ता चल रही है और दूसरी तरफ  चीनी सैनिक अरुणाचल तथा लद्दाख क्षेत्र में लगातार घुसने की कोशिश कर रहे हैं। यह तो तय है कि भारतीय सेना मुस्तैदी से जुटी हुई है और चीन को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। 
विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन भारत को अलगाववादी आंदोलनों में उलझा कर उसका ध्यान अरुणाचल प्रदेश तथा अन्य सीमांत इलाकों की सुरक्षा से हटाना चाहता है। चीन अपने दूसरे एक्शन प्लान के अनुसार पाकिस्तान तथा तालिबान को कश्मीर पर हमला करने को भी प्रेरित कर सकता है। ड्रैगन का मानना है कि भारत एक साथ दो मोर्चे पर युद्ध नहीं कर सकता है। इसके विपरीत सच्चाई यह है कि वेबसाइट पर चीन की इस साज़िश को पूरी दुनिया के देशों ने देखा और उसके इस खतरनाक मंसूबे की खुलकर आलोचना भी की है। वेबसाइट की सूचना के अनुसार ड्रैगन 2025 तक ताइवान पर भी कब्जा कर लेना चाहता है। इसके बाद मंगोलिया पर हमला करके चीन उसे इनर मंगोलिया का हिस्सा बना देगा। मंगोलिया पर कब्जा करने के बाद रूस पर भी हमला कर रूस के नियंत्रण वाले चीनी क्षेत्र को चीन में मिलाना चाहेगा। 
वह ये सपने देख रहा है कि चीन की सेना रूस तथा जापान की सेनाओं को हराने में सक्षम होगी। ड्रैगन अपनी अंदरूनी, व्यापारिक और आर्थिक शक्ति लगातार बढ़ाने में लगा हुआ है। अपनी वायु, थल तथा जल सेना के बल पर नि:संदेह ड्रैगन एक बहुत शक्तिशाली देश है। वह अपने पड़ोसी देशों के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। चीन अपनी योजना के अनुसार अपने पड़ोसियों को कभी चैन से नहीं रहने देना चाहता है। चीन के साथ सबसे मुश्किल बात यह है कि उसकी कोई अंदरूनी योजना तथा खबर वैश्विक मीडिया पर खुलकर नहीं आ पाती और ना ही साज़िशों से भरी हुई कोई रूपरेखा भी दूसरे देश के खुफिया तंत्र पता लगा सकते हैं। ऐसे में चीन गुप्त रूप से अपने पड़ोसियों की सीमाओं पर धीरे-धीरे कब्जा करने में कई बार सफल भी रहा है। इन परिस्थितियों में जब तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है एवं पाकिस्तान की सरकार उसे कामकाज तथा प्रशासन चलाना सिखा रही है  और चीन तालिबान को आर्थिक मदद दे रहा है, इन तीनों की युक्ति भारत के साथ-साथ रूस तथा अन्य एशियाई देशों के लिए एक बहुत बड़ा खतरे का संकेत है। यह विदित भी है कि भारत लगातार मित्र देशों के सम्पर्क में है। तालिबान के प्रति अपने रुख के पत्ते खोल कर सामने नहीं ला पाया है। ऐसे में इन तीनों के त्रिगुट के सामने मित्र देश क्या नई नीति बनाते हैं, यह तो भविष्य ही बताएगा, पर भारत को विशेष सतर्कता की वर्तमान में आवश्यकता होगी।
-चिंतक, लेखक रायपुर छत्तीसगढ़, 90094-15415