शीत ऋतु में हितकारी है व्यायाम करना

सेहत की दृष्टि से शीत ऋतु का अत्यन्त ही महत्व है। इस ऋतु से मिलने वाले लाभों को उचित आहार-विहार के साथ ही  उचित व्यायामों को अपनाकर उठाया जा सकता है। उचित आहार-विहार एवं व्यायामों के माध्यम से इस ऋतु में पर्याप्त शक्ति-संचय भी किया जा सकता है ताकि साल भर तक रोगमुक्त तथा निरोग रहा जा सके।
व्यायाम अर्थात् योगाभ्यास करने वाले व्यक्ति प्राय: रोगों से मुक्त रहा करते हैं। अभ्यासकर्ता अगर उचित आहार लेता है, रहन-सहन के नियमों को जानता है तथा स्वच्छता एवं सफाई पर ध्यान रखता है तो वह अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
इस लेख में इस बात को मुख्य रूप से बताया जा रहा है कि कौन-कौन से आसन (योगाभ्यास) कितनी बार करके किस रोग से मुक्ति पायी जा सकती है। प्राय: यह देखा गया है कि अभ्यासकर्ता योगाभ्यास करने के नियमों को तो जानते हैं परन्तु यह बात नहीं जानते कि किस आसन का कितना प्रयोग किस रोग से मुक्ति दिला सकता है? इसी तथ्य को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।
पेट की गड़बड़ी:  वर्तमान समय में अधिकांश लोग पेट की विभिन्न प्रकार की गड़बड़ियों से पीड़ित रहते हैं। जब पाचन संबंधी गड़बड़ी, कब्जियत, पेट-दर्द, अजीर्ण आदि से ही पीड़ित रहेंगे तो स्वास्थ्य की कामना कैसे की जा सकती है? नीचे लिखे आसनों का अभ्यास करके स्त्री-पुरूष सभी पेट की विभिन्न बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं-
सूर्य नमस्कार आसन - चार बार
भुजंगासन - चार बार
पश्चिमोत्तानआसन - चार बार
शवासन - 3 मिनट तक
उपरोक्त आसनों का अभ्यास उसी क्र म में करना हितकर होता है जिस क्र म में वर्णित है।
सर्दी-खांसी :- शीत ऋत में सर्दी-खांसी का प्रकोप अधिकतर दिखाई देता है। यूं तो कुछ दिनों में यह स्वत: ही समाप्त हो जाती है परन्तु किसी-किसी को सर्दी-जुकाम के तीव्र आक्र मण के कारण नाक का बंद होना, सांस लेने में कठिनाई, दम फूलना, खांसी आदि की शिकायतें हो जाती हैं। समय पर उपचार न करने से आगे चलकर दमा का रूप ले सकती है। निम्नांकित आसनों के अभ्यास से इससे निजात पाई जा सकती है-
ताड़ासन - चार बार
भुजंगासन - चार बार
मोटापा:- अधिक मोटापा अनेक दृष्टियों से स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। शरीर के संतुलित वजन से ही जीवन के आनन्द को उठाया जा सकता है। मोटापे से मुक्ति पाने के लिए निम्नांकित आसनों का अभ्यास करना हितकर होता है-
सूर्य नमस्कार आसन - चार बार
भुजंगासन - चार बार
अर्द्धवक्रासन - पांच बार
पश्चिमोत्तान आसन - पांच बार
शारीरिक विकास में कमी:- यह देखा गया है कि कुछ व्यक्तियों की लम्बाई उम्र के अनुसार जितनी होनी चाहिए, उतनी नहीं होती है। इन सभी शिकायतों को दूर करने के लिए निम्नांकित आसनों का अभ्यास करना चाहिए-
ताड़ासन - चार बार
उत्तानपाद आसन - छह बार
त्रिकोण आसन - पांच बार।
उपरोक्त आसनों के यथोचित लाभ के लिए यह आवश्यक है कि योग के नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जाए तथा बिना क्र म छूटे नियमित रूप से संयमित मन से अभ्यास किया जाए।

(स्वास्थ्य दर्पण)

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