शीत ऋतु की सब्ज़ियां लगाने का उचित समय व विधि

सर्दियों की सब्ज़ियां लगाने के लिए सितम्बर माह बहुत उचित है। सब्ज़ियां लगाने वाले किसान तथा किचन गार्डन (रसोई की बगीची) लगाने वाले उपभोक्ता सर्दियों की सब्ज़ियों के गुणवत्ता वाले बीज आजकल तलाश रहे हैं। जो उपभोक्ता अपनी रसोई की बगीची में सब्ज़ियां स्वयं पैदा करते हैं, वे ज़हर-रहित व ताज़े तत्वों से भरपूर सब्ज़ियां खाते हैं। 
उन पर आर्थिक बोझ भी इससे कम होता है, परन्तु उनकी अक्सर शिकायत रहती है कि सब्ज़ियां उगती नहीं क्योंकि उत्पादकों को शुद्ध बीज प्राप्त नहीं होता और सब्ज़ियों की काश्त करने की सही तकनीकों की भी बहुत-से उपभोक्ताओं तथा किसानों को जानकारी नहीं होती। इसलिए बीजों की उगने की शक्ति प्रभावित होती है। उपभोक्ताओं तथा किसानों को सब्ज़ियों के बीज बागबानी विभाग, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा आई.सी.ए.आर.-इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीच्यूट आदि से खरीदने चाहिए। हाईब्रिड बीज कम्पनियों द्वारा बेचे जा रहे हैं, वे कम्पनियों के प्रमाणित डीलरों से खरीदे जा सकते हैं। 
चाहे सब्ज़ियों की काश्त के अधीन रकबा बढ़ा है और रसोई बगीचियों की संख्या में भी वृद्धि होने के कारण उत्पादन भी बढ़ा है, परन्तु इसके साथ ही सब्ज़ियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े-मकौड़े तथा बीमारियों में भी वृद्धि हुई है। इनकी रोकथाम के लिए किसान तथा उपभोक्ता कीटनाशकों का ज़रूरत से अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने लगे हैं। किसानों तथा बगीची लगाने वाले उपभोक्ताओं को कीड़े-मकौड़ों तथा बीमारियों की रोकथाम के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल कम करने हेतु वैज्ञानिक तरीके अपनाने की ज़रूरत है। किसानों व उपभोक्ताओं को ऐसी किस्मों की काश्त करनी चाहिए, जिनमें बीमारी तथा कीड़े-मकौड़ों का मुकाबला करने की शक्ति हो। पी.ए.यू. तथा आई.सी.ए.आर.-आई.ए.आर.आई. द्वारा खोज करके बीमारी तथा कीड़े-मकौड़ों का मुकाबला करने की समर्था रखने वाली विभिन्न सब्ज़ियों की किस्में विकसित की गई हैं, जो इन संस्थाओं के पास उपलब्ध हैं। बिजाई के समय को आगे पीछे करके भी कीड़े-मकौड़ों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। जैसे मटर अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े में बीजने से तने की मक्खी के हमले से बचा जा सकता है। बागबानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर (रिटा.) डा. सवरण सिंह मान कहते हैं कि एक खेत या एक ही स्थान पर एक ही जाति की फसलों की लगातार काश्त नहीं करनी चाहिए। एक ही जाति की सब्ज़ियों में बीमारियां तथा कीड़े-मकौड़े लगभग एक जैसे ही होते हैं। इसलिए एक खेत या एक ही स्थान पर जाति बदल कर सब्ज़ियां लगानी चाहिएं ताकि बीमारियों तथा कीड़े-मकौड़ों के हमले के चक्कर को तोड़ा जा सके। बगीची या खेत को साफ-सुथरा रखना चाहिए और फसली अवशेष को इकट्ठा करके गड्डे में दबा देना चाहिए। सब्ज़ियों की बिजाई से पहले खेत व ज़मीन को धूप के दिनों में अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहिए। 
सब्ज़ियों में बीमारियों तथा कीड़े-मकौड़ों की संख्या अधिक होने के कारण पी.ए.यू. के विशेषज्ञ कहते हैं कि कीटनाशकों का इस्तेमाल तो करना ही पड़ता है, परन्तु इन्हें संकोच के साथ सिफारिश की हुई मात्रा के अनुसार ही इस्तेमाल किया जाए। सिर्फ उस स्थान पर ही छिड़काव किया जाए, जहां बीमारियों का हमला है। 
डा. मान के अनुसार मूली, गाजर, शलगम, पालक, मेथी, ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी तथा लहसुण की बिजाई सितम्बर-अक्तूबर में तथा धनिया, मटर, बैंगन, टमाटर आदि की बिजाई अक्तूबर-नवम्बर में करनी चाहिए। बीज की निर्धारित मात्रा ही इस्तेमाल करनी चाहिए। रसोई की बगीची लगाने वालों को एक मरला रकबे में बिजाई से पहले 400 किलोग्राम गली-सड़ी रूढ़ी की खाद या 100 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट डाल कर मिला देनी चाहिए, जिन सब्ज़ियों की पौध किसी प्रमाणित नर्सरी तथा सैंटर ऑफ एक्सीलैंस  (सब्ज़ियां) करतारपुर जिला जालन्धर से प्राप्त करनी चहिए। 
बगीची वाले उपभोक्ताओं को वैकल्पिक गाजर, मूली, शलगम, धनिया, पालक, मेथी प्राप्त करने के लिए 15-15 दिन के अन्तराल से बिजाई करनी चाहिए। मध्यम स्तरीय सब्ज़ियां आगे तथा ऊंची जाने वाली सब्ज़ियां पीछे लगानी चाहिएं ताकि सभी सब्ज़ियों को धूप प्राप्त हो जाए। डा. मान कहते हैं कि बागबानी विभाग ने रसोई के लिए सब्ज़ियों की बगीची लगाने के लिए एक माडल तैयार किया है, जिसका आकार 12.5 मीटर * 6 मीटर = 75 वर्ग मीटर होना चाहिए। इस माडल में सभी सब्ज़ियां घर के चार सदस्यों के लिए काफी होंगी।