पैनल्टी कार्नर के बादशाह थे ओलम्पियन सुरजीत सिंह 

7 जनवरी 1984 की एक भयानक रात देश के महान सपूत को हमेशा के लिए हमसे दूर कर दिया।  वह महान सपूत हॉकी की दुनिया के हीरे और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान ओलम्पियन सुरजीत सिंह रंधावा थे, जो आज से 38 साल पहले जालन्धर के पास बिधिपुर में एक घातक कार दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठे। उनके साथ उनके सबसे अच्छे दोस्त और अंतर्राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी पुरुषोत्तम पांथे भी थे, उनकी भी इस दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी जबकि पूर्व एथलेटिक्स कोच राम प्रताप दुर्घटना में बच गए थे। आज देश उनकी 38 वीं पुण्यतिथि मना रहा है।10 अक्टूबर, 1951 को जन्मे, सुरजीत सिंह ने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के तहत स्टेट कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स, जालंधर और बाद में संयुक्त विश्वविद्यालयों की टीम के लिए फुल बैक  के रूप में खेला। सुरजीत सिंह ने 1973 में एम्स्टर्डम में दूसरे विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट में अपना अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण किया। वह करिश्माई कप्तान अजीतपाल सिंह के नेतृत्व में 1975 में कुआलालंपुर में तीसरा विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे ।सुरजीत सिंह ने 5 वें विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट, 1974 और 1978 के एशियाई खेलों, 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक खेलों में भी भाग लिया। सुरजीत सिंह को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुल बैक में से एक के रूप में जाना जाता है। उन्हें 1973 में वर्ल्ड हॉकी इलेवन टीम में शामिल किया गया और अगले साल ऑल-स्टार हॉकी इलेवन के सदस्य बने । सुरजीत सिंह 1978 के एशियाई खेलों में पर्थ, ऑस्ट्रेलिया और एसंडा इंटरनेशनल हॉकी टूर्नामेंट में भी शीर्ष स्कोरर थे । अपने हॉकी करियर के दौरान, सुरजीत सिंह खिलाड़ियों के हितों को लेकर बहुत चिंतित थे। सुरजीत सिंह ने कुछ वर्षों तक दिल्ली में इंडियन एयरलाइंस की सेवा की । बाद में वह पंजाब पुलिस में शामिल हो गये। उनकी शादी एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी चंचल रंधावा से हुई, जिन्होंने 1970 के दशक में भारतीय महिला राष्ट्रीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया। उनके बेटे सरबिन्दर सिंह रंधावा एक लॉन टेनिस खिलाड़ी हैं। सुरजीत को मरणोपरांत 1998 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।ओलम्पियन सुरजीत सिंह ने हर समय हॉकी और हॉकी खिलाड़ियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का हर संभव प्रयास किया । सुरजीत सिंह चाहते थे कि हर भारतीय हॉकी खिलाड़ी एक क्रिकेटर की तरह जीवन व्यतीत करे । वह चाहते थे कि हॉकी खिलाड़ियों को क्रिकेटरों  की तरह हर मैच के लिए क्रिकेट के समान पैसा मिले । उन्होंने हॉकी के मानक को उठाया और खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ी। ओलम्पियन सुरजीत सिंह ने हॉकी खिलाड़ियों की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए एक ‘स्पोर्ट्समेन बेनिफिट कमेटी’ की स्थापना की । उनका विचार था कि क्रिकेट की तरह, हॉकी खिलाड़ियों के लिए लाभ मैच आयोजित किए जाने चाहिएं । वह नहीं चाहते थे कि खिलाड़ी अपने संन्यास के बाद कठिनाई भरा कम जीवन जिएं जैसा कि हमारे पूर्व ओलम्पियन कप्तान रूप सिंह ने जिया था ।  ओलम्पियन रूप सिंह के पास बीमारी के इलाज के लिए पैसे भी नहीं थे और इसी वजह से उनकी जान चली गई थी । यही कारण है कि ओलम्पियन सुरजीत सिंह ने ‘स्पोर्ट्समैन बेनिफिट कमेटी’ की स्थापना की । मैं इस संबंध में उनसे व्यक्तिगत रूप से मिला और उन्होंने कहा कि हमारी समिति हर साल 5 खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।‘स्पोर्ट्समैन की लाभ समिति’ ने पहले ओलम्पियन सुरजीत सिंह के पक्ष में एक लाभ मैच आयोजित करने का निर्णय लिया । यह मैच भारत और पाकिस्तान के बीच 4 जनवरी, 1984 को जालंधर के गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में खेला जाना था। शहर अच्छे और सचित्र पोस्टरों से भरा था। हर जगह मैचों की चर्चा हो रही थी, तैयारियाँ जोरों पर थीं लेकिन किसे पता था कि यह मैच ‘ओलम्पियन सुरजीत सिंह बेनिफिट मैच’ नहीं होगा बल्कि ‘ओलंपियन सुरजीत मेमोरियल मैच’ होगा। सुरजीत, जिसे चार मैचों की श्रृंखला में खेलना था, बहुत कठिन प्रशिक्षण कर रहा था। वह कहता था कि वह इस मैच में अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाएगा लेकिन शायद सुरजीत खुद इस मैच में खेलने के लिए भाग्यशाली नहीं था और कुछ कारणों से मैच को 4 जनवरी को स्थगित करना पड़ा । फिर 6 जनवरी, 1984 को, ओलम्पियन सुरजीत सिंह, उक्त कमेटी के सचिव पुरुषोत्तम पांथे और राम प्रताप (पूर्व एथलेटिक कोच, स्पोर्ट्स स्कूल, जालंधर) ने वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी अधिकारियों से मुलाकात की और एक नई तारीख तय की और आधी रात को घर लौटते हुए, मौत के निर्मम पंजे ने ओलम्पियन सुरजीत सिंह को भी नहीं बख्शा और हमसे हमेशा के लिए भारतीय हॉकी का कीमती हीरा छीन लिया। ओलम्पियन सुरजीत सिंह के अन्य साथी पुरुषोत्तम पांथे की भी इस हसदे में मौत हो गई। अगर यह मैच होता, तो ओलम्पियन सुरजीत सिंह पहले भारतीय हॉकी खिलाड़ी होते, जिनकी मदद के लिए एक बेनिफिट मैच सम्पन्न हुआ होता ।

-पीसीएस (सेवा-निवृत्त)
पूर्व अतिरिक्त उपायुक्त, लुधियाना
और मानद सचिव, सुरजीत हॉकी सोसायटी, जालंधर
-मो.  9417100786