बाल मन में लोक साहित्य की चेतना पैदा करने वाली  डा. तेजिन्द्र हरजीत

डा.तेजिन्द्र कौर का तेजिन्द्र हरजीत बनना उनकी ज़िन्दगी का सबसे हसीन पल था। तेजिन्द्र महसूस करती है कि उनके   हाथ की रेखा बन कर उनके हमसफर हरजीत सिंह ने उनकी हर मुश्किल चुनौती में उनका हौसला बढ़ाया है। डा. तजिन्द्र बहुत संवेदनशील, सहज और सादसी भरपूर शख्सियत हैं। चार माह की उम्र में ही आपनी मां की गोद से बिछुड़ जाने का दुख सहन करने वाली तेजिन्द्र ने बचपन में बहुत मुश्किलों का दौर देखा लेकिन कभी भी हौसला नहीं छोड़ा अपनी दादी मां की उंगली पकड़ कर जीवन के रास्तों पर चलने वाली तेजिन्द्र के दादा जी भी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े और पिता डा. खड़क सिंह मान तजिन्द्र की मां के विछोड़े को सहते हुए गमगीन तो थे लेकिन अपने कर्त्तव्यों के प्रति चेतन थे जिन्होंने यूएनओ में एग्रीकल्चर प्रोडक्शन इक्नामिक्स के तौर पर सेवाएं दीं। 
डा. तजिन्द्र हरजीत पंजाबी लोक साहित्य और सभ्याचार के प्रचार और प्रसार के लिए वचनबद्ध शख्सियत हैं। 18 अगस्त 1951 को पैदा हुई डा. तेजिन्द्र हरजीत ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से एम.ए. पंजाबी और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से  पीएचडी की डिग्री हासिल की है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर में 1975 से पंजाबी साहित्य सभ्याचार का अध्यापन करते हुए बतौर प्रोफैसर और मुखिया के तौर पर 2011 में सेवानिवृत्त हुए। अपने अध्यापन के दौरान बहुत से शोध और अध्ययन से संबंधित पुस्तकें प्रकाशित करवाईं जिनमें कन्ना मन्ना कुरारे मंगलीक (काव्य संग्रह), सावे सावे बागां विच (गीत), त्रिंझण (नाटक) पंजाब के गहने (शोध आधारित पुस्तक) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कविताएं कहानियां लेख और अनेक शोध पत्र जाने-पहचाने शोध पर आधारित मैगज़ीनों में छपे।
आप की विशेष पहचान लोक साहित्य (सभ्याचार) और बाल साहित्यकार के तौर पर हुई। वह बाल पाठकों को ज़िन्दगी में खुश रहने, मुश्किलों का सामना करने और नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाते हुए नज़र आती हैं। वह बाल पाठकों को ज़िन्दगी के प्रति सकारात्मक बनाती है। उनको गर्व है कि वह नन्हे मुन्ने बच्चों के लिए पंजाबी पाठ्य पुस्तकों में भी अपना योगदान डाल रही हैं। वह कहती हैं कि स्कूल स्तर पर बच्चों को अगर अच्छा और बढ़िया साहित्य पढ़ने को मिल जाए तो वे भविष्य में अच्छे पाठक और नागरिक बन सकते हैं। समय के मुताबिक चलना वह ज़रूरी समझती हैं। इसीलिए बदलती आवश्यकताओं और तकनीकी साधनों की सहायता से बाल मनों को संतुष्ट करने के लिए यू-ट्यूब  द्वारा कई मनमोहक कविताएं और कहानियां सांझा करती हैं। 
डा. तेजिन्द्र अपनी रचनाओं और ज़िन्दगी की समूची पारिवारिक, सामाजिक सब स्थितियों से संतुष्ट नज़र आती हैं। हर रिश्ते को अपनाना और रिश्तों को निभाने की कला जानने वाली डा. तेजिन्द्र मीठा बोलने वाली और मिलनसार शख्सियत हैं। सादगी और नम्रता से भरपूर तेजिन्द्र के लिए ‘सभे सांझीवाल सदाइन सगल प्रति हमको बन आई’ की पंक्ति पूरी तरह सही बैठती है। आप के हमसफर हरजीत सिंह भी फिल्मों और दूरदर्शन से जुड़ी हुई शख्सियत हैं। उनके साथ से ही डा. तेजिन्द्र के सपनों को उड़ान मिली। वैसाखी, हीर रांझा और इह जन्म तुम्हारे लेखे फिल्मों के संवाद लिखे एक टीवी पंजाबी के साप्ताहिक ‘लोरी’ प्रोग्राम के 50 एपीसोड लिखे। डा. तेजिन्द्र को अपने प्रतिभावान बच्चों पर भी गर्व है मुधरजीत सरघी ने ‘छपाक’ फिल्म में वकील का रोल और बहुत सारे सीरियल में मुख्य भूमिका निभाई। तेजिन्द्र के सुपुत्र भी फिल्म निर्देशन के साथ जुड़े हैं। आपके दामाद अनुराग सिंह प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक हैं। अपने प्रतिभावान बच्चों पर गर्व करती हुई डा. तेजिन्द्र अपने वर्तमान को अच्छे ढंग से जीने का संदेश देती हैं। डा. तेजिन्द्र हरजीत कौर समूचा परिवार पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत का भला मांगने वाला है। रेडियो, टैलीविज़न और एलबम के अनेक गीत लिखने वाली डा. तेजिन्द्र ने विश्व की प्रसिद्ध लोक कहानियों का संग्रह अनुवाद करके लोक साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान डाला है। अपनी दादी की बातों से प्रोत्साहित होने वाली तेजिन्द्र लोक साहित्य और सभ्याचार की रोचक दुनिया का आचेत तौर पर ही हिस्सा बन गई। कनाडा और यूरोप के भ्रमण दौरान हुए विभिन्न अनुभव भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर उनकी चेतना का हिस्सा बने हैं। विभिन्न देशों ने सभ्याचार और जीवन को कई पक्षों से निहारते हुए उन्होंने अपनी रचनाओं में किसी न किसी रूप में लिखा है। 40 वर्षों से पंजाबी साहित्य/सभ्याचार से जुड़ी शख्सियत का बाल साहित्य रचना में बहुमूल्य योगदान होने के कारण भाषा विभाग पंजाब की ओर से शिरोमणि बाल साहित्य लेखक पुरस्कार कार्यालय ‘अजीत प्रकाशन समूह’ आपको मुबारकबाद देता है। 
-हंसराज महिला विद्यालय जालन्धर।