कोरोना विरोधी जंग का दूसरा मोर्चा

भारत सहित पूरी दुनिया को एकाएक दहला रख देने वाली महामारी कोविड-19 यानि कोरोना की घातक होती चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित वैक्सीन के टीकाकरण का व्यापक आधार वाला दूसरा चरण शुरू हो जाने से कोरोना संक्रमण पर मानव द्वारा काबू पा लेने की सम्भावनाएं प्रबल हो गई हैं। इस दूसरे चरण की शुरुआत में पहले ही दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उप-राष्ट्रपति वेकैंया नायडू, अमित शाह, विदेश मंत्री जयशंकर सहित अनेक केन्द्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा टीका लगवाये जाने से नि:सन्देह इस अभियान की विश्वसनीयता बढ़ी है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के जजों का भी टीकाकरण विश्वास के धरातल पर सोने पर सुहागे का काम करेगा।  प्रथम मार्च से कोरोना टीकाकरण के इस दूसरे चरण में देश में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाया जाना है। इनके साथ 45 वर्ष से अधिक उम्र के उन लोगों का भी टीकाकरण होगा जो कई प्रकार की गम्भीर बीमारियों में से किसी एक या अधिक रोगों से ग्रस्त होंगे। इस दूसरे चरण से देश में सभी लोगों को टीके की डोज़ दिये जाने के अभियान की भी शुरुआत हो जाती है। बहुत स्वाभाविक है कि स्वदेशी धरातल पर निर्मित इस वैक्सीन एस्ट्राज़ेनेका का बड़े स्तर पर उत्पादन हो रहा है जिससे पूरे देश के लोगों को टीका लगने की सफलता की सम्भावनाएं दूर नहीं लगतीं। 
विगत वर्ष नवम्बर के अंत में सीरम इंस्टीच्यूट के सी.ई.ओ. अदार पूनावाला ने कहा था कि उनकी कम्पनी के पास 10  करोड़ डोज़ तैयार पड़ी हैं, और लाखों डोज़ प्रतिदिन और तैयार करने की क्षमता उनकी कम्पनी के पास है। उन्होंने यह भी कहा था कि देश की पूरी आबादी का टीकाकरण करने में चार वर्ष तक का समय लग सकता है, परन्तु जिस रफ्तार और अनुशासित ढंग से देश में टीकाकरण का कार्य चल रहा है, उससे यह कार्य घोषित सीमा से पहले भी हो जाए, तो कोई आश्चर्य भी नहीं। देश में कोविड-19 टीकाकरण के पहले चरण की विधिवत शुरुआत 16 जनवरी से हुई थी जब पहले ही दिन कोरोना वॉरियर्ज यानि योद्धाओं के नाम से तीन लाख स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की पहली डोज़ दी गई थी। पंजाब में भी इस दिन कुल 8100 लोगों को टीका लगा था। पूरे देश में पहले दिन तीन हज़ार से अधिक टीकाकरण केन्द्र बने  थे, परन्तु धीरे-धीरे जैसे-जैसे टीकाकरण बारे जागरूकता बढ़ती गई, टीकाकरण केन्द्र भी बढ़े और टीका लगवाने वालों की संख्या भी बढ़ती गई। यह अभियान 44 दिन तक चला, और अब पहली मार्च से इसके दूसरे चरण की भी विधिवत शुरुआत हो गई है। कोरोना वॉरियर्स के ध्वज तले देश के स्वास्थ्य कर्मियों को पहले चरण पर टीकाकरण की आवश्यकता इसलिए भी थी कि इस जंग में जूझते हुए सात सौ से अधिक डाक्टर, नर्सें एवं अन्य स्वास्थ्य सफाई कर्मी मारे गये थे। सरकारी आंकड़ों की बात करें, तो 162 डाक्टरों, 107 नर्सों और 45 आशा वर्करों के जीवन कोरोना की भेंट चढ़े हैं। इसके साथ ही पुलिस कर्मियों का टीकाकरण भी इसी चरण के अन्तर्गत किया गया। इसका एक फलित यह भी हुआ कि जन-साधारण में एक ओर जहां कोरोना का भय कम हुआ, वहीं टीके के प्रति फैलाई जाती अफवाहों एवं आशंकाओं को भी विराम मिला।
अब दूसरे चरण की शुरुआत से जहां टीकाकरण अभियान के बल पकड़ने की सम्भावना है, वहीं देश के कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण की नई उपजी लहर को रोक लेने की सार्वजनिक मानव क्षमता एवं इम्यूनिटी भी स्वत: उपजने लगेगी। बेशक देश में अब तक कोरोना संक्रमण की रफ्तार में कमी आई है, और 20 राज्यों में मृत्यु दर का शून्य हो जाना संतोष एवं देश के स्वास्थ्य जगत के लिए गर्व एवं पर्व की बात है, परन्तु देश के चार-पांच राज्यों में कोरोना की नई लू-लहर चलना चिन्ता भी पैदा करता है। पंजाब भी इन पांच राज्यों में शुमार है, परन्तु पंजाब में टीकाकरण की रफ्तार का समुचित स्तर पर बने रहना संतोष भी बढ़ाता है। पंजाब में अब तक टीकाकरण के 146 दौर हो चुके हैं, और विगत एकाकी दिन 2331 लोगों को टीका लगाया गया। देश के अन्य भागों में भी इन दो दिनों में जन-साधारण में टीकाकरण के प्रति भारी उत्साह देखा जाना एक सुखद संकेत जैसा है। 
भारत ने विश्व देशों में कई बार बड़ी उपलब्धियां दर्ज की हैं। अभी पिछले ही दिन भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान केन्द्र इसरो ने एक साथ 19 उपग्रह सफलता के साथ अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित कर एक उल्लेखनीय इतिहास रचा है, और अब केवल डेढ़ मास में सवा करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण करके देश ने कोरोना के विरुद्ध वैश्विक जंग में एक बड़े मोर्चे की फतेहयाबी के ध्वज को छू लिया है। टीकाकरण की प्रतिशतता में बेशक इज़रायल, अमरीका और रूस बहुत आगे हैं, परन्तु भारत सवा करोड़ से भी अधिक आबादी वाला बड़ा देश है, और स्वाभाविक है कि इसका टीककरण अभियान भी बहुत विशाल एवं व्यापक होगा। इस दृष्टिकोण से देश में इस अभियान में अब तक की उपलब्धियों के बावजूद तेजी लाये जाने की बड़ी ज़रूरत है और इस तेज़ी के लिए जागरूकता पहली शर्त है। जिस भावना और प्रतिबद्धता का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके सहयोगी नेताओं ने प्रदर्शन किया है, नि:सन्देह उससे जागरूकता भी बढ़ेगी, और इस अभियान में तेज़ी भी आएगी। इससे यह भी पता चलता है कि भारतीय टीकाकरण सर्वाधिक सुरक्षित है। इस अभियान से अभी तक विपरीत एवं हानिकारक परिणामों की भी कोई बड़ी ़खबर नहीं है। 
हम समझते हैं कि भारत ने इस मोर्चे पर भी यदि सफल एवं सुर्खरू होकर निकलना है तो कोरोना निरोधी शस्त्रों को दो-तरफा धार देनी होगी। एक ओर जहां जन-साधारण को कोरोना-रोकू नियमों एवं कानूनों का दृढ़ता से पालन करना होगा, वहीं सरकार को भी टीकाकरण अभियान में प्रतिबद्धता के साथ तेज़ी लानी होगी। नि:सन्देह देश की कम्पनियों के पास टीका-स्टाक की कमी नहीं है। कई और भी टीकों का इस बीच ईजाद हुआ है। लोगों को यह भी इल्म है कि भारत पड़ोसी देशों को भी टीके प्रदान कर रहा है। लिहाज़ा बात केवल योजनाबंदी एवं कर्मठता की है। सरकार को इस कार्य में निजी क्षेत्र का सहयोग भी लेना चाहिए और बिना किसी राजनीतिक मसलहत के इस अभियान को मंज़िल-ए-म़कसूद तक ले जाना होगा। हमने पहला मोर्चा सफलता से सर किया है, दूसरा भी हम अवश्य जीत लेंगे।

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