धूप के चश्मे के चयन में सावधानी बरतें

गर्मियां शुरू होते ही अधिकांश व्यक्तियों को धूप के चश्मे की जरूरत महसूस होने लगती है। चिलचिलाती धूप में आंखों पर बिना चश्मा बाहर जाने पर आंखों में जलन, पानी गिरना, सिर चकराना, जी मिचलाना जैसी शिकायतें होने लगती हैं।
पहनने से पहले परखिए 
लेंस के रंग का चयन करते समय भी सावधानी बरतें। लेंस ऐसे रंग का हो जो आंखों को कोमलता का अहसास दिलाए। लेंस हमेशा हरे, हल्के काले, गहरे नीले, कत्थई या भूरे रंग का ही खरीदें। अच्छी किस्म और उचित रंगों के लेंस सूर्य की किरणों और प्रकाश को परावर्तित करके वापस लौटा देते हैं। फलस्वरूप लेंस गर्म नहीं होते और आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाते।
लेंस के अलावा चश्मे का फ्रेम भी ठीक होना चाहिए। आजकल चश्मे की दुकानों पर विभिन्न प्रकार के फ्रेम मिलते हैं जैसे धातु फ्रेम, सेल्यूलोज नाइट्रेट फ्रेम आदि। चश्मे का फ्रेम न ज्यादा तंग और न अधिक ढीला होना चाहिए। साथ ही चश्मे का फ्रेम ऐसा हो जो चेहरे के आकार-प्रकार के अनुरूप और सुविधाजनक हो। लगातार आवश्यक स्थानों पर व अनुपयुक्त समय पर धूप का चश्मा लगाते रहने से प्रकाशांतक (फोटोफोबिया) नामक रोग भी हो सकता है। अत: इसका उपयोग केवल आवश्यकता होने पर ही करना चाहिए।
कभी भी सस्ते व घटिया किस्म के लेंसों वाले चश्मे न खरीदें। सस्ते चश्मों में लेंस के स्थान पर वही शीशे लगा दिये जाते हैं जो खिड़कियों आदि में इस्तेमाल किए जाते हैं। 
शीशे के अलावा प्लास्टिक का भी प्रयोग होता है। घटिया शीशे या प्लास्टिक के ये लेंस सूर्य की किरणों के साथ आने वाली पराबैंगनी किरणों से आंखों को नहीं बचा पाते और लेंस के माध्यम से आर-पार होकर आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। 
जरूरी है सावधानी
८ चश्मा लगाने से पहले चश्मे के लेंस को फलालेन या किसी मुलायम कपड़े से अवश्य पोंछ लें
८ चश्मे को सदा दोनों हाथों से पहनना व उतारना चाहिए। एक हाथ से चश्मा उतारने से फ्रेम ढीला पड़ जाता है और फ्रेम खराब हो सकता है।
८ अगर चश्मे को मेज पर रखना हो तो उसकी कमानियां मोड़कर ऐसे रखें कि लेंस ऊपर की ओर रहें।