ओलम्पिक पदक की प्रबल दावेदार सोनम व अंशु 

कुछ घंटों के लिए ताशकंद एयरपोर्ट टर्मिनल अंशु मलिक व सोनम मलिक के लिए वार्म-अप हॉल बन गया। यह 9 अप्रैल, 2021 की बात है। अलमाटी, कज़ाकिस्तान का सफर जारी करने में नौ घंटे का समय शेष था। दोनों पहलवानों ने ने अपने स्वेट-सूट्स पर कई सारे गर्म कपड़े पहन लिए और वेटिंग हॉल में ही जॉगिंग शुरू कर दी। लगभग 18 घंटे तक अपने को भूखा रखा, आधी रात को अपनी मंजिल पर पहुंचीं, कोविड-19 टैस्ट कराया और कुछ घंटों की नींद ली। अगले दिन यानी दस अप्रैल को जागीं तो सफर की थकान से बदन चूर था, लेकिन दर्द में ही एशियन ओलंपिक क्वालीफायर्स में मुकाबला किया और जुलाई में टोक्यो ओलम्पिक के लिए अपनी जगह पक्की कर ली। इतना कठिन परिश्रम केवल इसलिए करना पड़ा क्योंकि 9 अप्रैल की सुबह जब उन्होंने दिल्ली से उड़ान भरी थी तो दोनों ही अपनी वजन श्रेणी से लगभग एक किलो अधिक थीं। 18-वर्षीय सोनम 62-किलो वर्ग में और 19-वर्षीय अंशु 57-किलो वर्ग में मुकाबला करती हैं। अलमाटी के लिए उनकी फ्लाइट इस तरह से बुक की थी कि वे अपने पहले मुकाबले से चंद घंटे पहले ही वहां पहुंचतीं, जिससे वह अपने वजन को कम नहीं कर पातीं और अगर किसी तरह कर भी लेतीं तो उनमें प्रतिस्पर्धा के लिए जान ही न बचती। इसलिए उन्होंने ताशकंद एयरपोर्ट पर ही कसरत की और मुकाबले के बाद ही कुछ खाया ताकि वह अपनी वजन सीमा के भीतर रहें। हां, इस बात से भी लाभ मिला कि दोनों साथ थीं। अपने शुरुआती दिनों में दोनों 56 किलो वर्ग में हिस्सा लेती थीं और प्रतियोगिताओं में दो बार आमने-सामने आयीं। 2016 में राज्य-स्तरीय अंतर-स्कूल प्रतियोगिता में सोनम ने अंशु को पराजित किया और इसके दो माह बाद अंशु ने राज्य-स्तरीय कैडेट प्रतियोगिता में बदला ले लिया। इन दोनों की प्रतिद्वंदिता इतनी कड़ी थी कि सोनम के पिता राज और अंशु के पिता धर्मवीर भी इसमें शामिल हो गये थे। 
बहरहाल, 2016 के अंत में सोनम व अंशु का चयन राष्ट्रीय कैडेट कैंप (लखनऊ) के लिए हुआ और उन्हें कमरा शेयर करना पड़ा। इस साझेदारी ने उन्हें दोस्त बना दिया। यह तो सबको ज़ाहिर ही हो गया था कि दोनों सोनम व अंशु में जबरदस्त संभावनाएं हैं, वह अन्य लड़कियों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर हैं, इसलिए इन्हें एक ही स्वर्ण पदक के लिए आपस में लड़ाते रहने की कोई तुक नहीं थी। लिहाजा दोनों के परिवारों ने आपस में तय किया कि उनके वजन वर्ग अलग कर दिए जायें ताकि वे दो स्वर्ण पदक ला सकें। इस फैसले से दोनों को ही लाभ हुआ है। दोनों ने ही बहुत तेज़ी से तरक्की करते हुए इस साल के शुरू में सीनियर स्तर पर अपने पहले राष्ट्रीय खिताब जीते।
अंशु व सोनम ने ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई तो कर लिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या वह टोक्यो में पदक भी हासिल कर सकेंगी? इनके क्वालीफाई करने के अंदाज़ से तो लगता है कि ओलम्पिक पदक लाने की सम्भावनाएं बहुत अधिक हैं। एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली अंशु ने दस अंकों के अंतर से टेक्निकल श्रेष्ठता के आधार पर क्वालीफाई किया। कैडेट विश्व चैंपियनशिप में दो स्वर्ण (2017, 2019) व एक कांस्य (2018) जीतने वाली सोनम ने दर्द व 0-6 से पिछड़ने के बावजूद टॉप सीड अयौल्यम कस्यमोवा (कज़ाकिस्तान) के विरुद्ध लगातार 9 अंक अर्जित करके क्वालीफाई किया। सोनम ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सबसे कम उम्र की महिला पहलवान हैं। यहां यह बताना दिलचस्प रहेगा कि सोनम तो 2024 ओलंपिक के लिए तैयारी कर रहीं थीं, लेकिन पिछले साल कोच अजमेर मलिक ने एशियन चैंपियनशिप के लिए आयोजित नेशनल सिलेक्शन ट्रायल्स में कहा कि उन्हें रिओ ओलम्पिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक से मुकाबला करना होगा। यह सुनकर सोनम का चेहरा लाल हो गया, जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो। सोनम को लगता था कि कुछ वर्ष की ट्रेनिंग के बाद ही वह साक्षी या विनेश फोगाट जैसी पहलवानों से मुकाबला कर सकेंगी। अब योजना बदल गई थी।सोनम को समझाने में अजमेर को कई घंटे लगे, कुश्ती संघ को समझाने में इससे भी अधिक समय लगा। आखिर सोनम बनाम साक्षी हुआ। 2-10 से पिछड़ने के बावजूद सोनम ने ऐसा शानदार खेल दिखाया कि ट्रायल्स में साक्षी को पराजित कर दिया। इसके बाद दोनों के बीच तीन और मुकाबले हुए हैं और हर बार सोनम ही जीती हैं और यही टोक्यो टिकेट का उनके लिए मुख्य आधार बना है। सोनम व अंशु के अतिरिक्त जो भारतीय पहलवान टोक्यो जायेंगे वह हैं, विनेश फोगाट (53 किलो), बजरंग पुनिया (65 किलो), रवि दहिया (57 किलो) और दीपक पुनिया (86 किलो)।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर