सर्वोच्च् न्यायालय की टिप्पणियां

महामारी के दृष्टिगत देश में चल रहे टीकाकरण अभियान में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गईर्ं टिप्पणियां वज़नदार हैं। अब तक इस अभियान के संबंध में उठाये गये प्रश्न समयानुसार सही एवं अनुकूल हैं। सर्वोच्च न्यायालय की ओर से केन्द्र सरकार को स्पष्ट रूप में यह संकेत किया गया है कि उसकी टीकाकरण संबंधी नीतियों में तुरंत कई आवश्यक संशोधन किए जाने की आवश्यकता है। न्यायालय ने केन्द्र को यह सवाल किया है कि राज्यों की ओर से टैंडरों के माध्यम से विदेशी कम्पनियों से टीकों की खरीद करना किस सीमा तक उचित है जबकि फाईज़र एवं मोडर्ना आदि बहु-राष्ट्रीय विदेशी कम्पनियों ने सीधे राज्यों के साथ कोई भी करार करने से इन्कार कर दिया है। 
इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि टीके लगवाने के लिए लोगों को ऑनलाइन ‘कोविन एप’ पर अपने नाम सूचिबद्ध करने के लिए कहना किस सीमा तक उचित है जबकि देश की बहुसंख्या जो गांवों में रहती है, को इसका ज्ञान ही नहीं है। तीसरा उठाया गया मुद्दा टीकों के संबंध में है क्योंकि कम्पनियों की ओर से केन्द्र, राज्य सरकारों एवं निजी अस्पतालों अथवा फर्मों को दिये जाने वाले टीकों की कीमत में भारी असंतुलन है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि इन टीकों की कीमत में एकरसता होनी ज़रूरी है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय धरातल पर केन्द्र को टीकों के करार स्वयं करके  टीके राज्यों को देने चाहिएं। अदालत ने यह भी कहा कि अभी तक प्रत्येक महीने 15 करोड़ टीकों का उत्पादन हो रहा है। इससे 6 महीनों में टीकाकरण का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता है। जहां तक टीकाकरण की सीमा का संबंध है, सर्वोच्च न्यायालय को सरकार की ओर से पेश हुये महाधिवक्ता तुषार मेहता ने विश्वास दिया है कि इस वर्ष के अंत तक सभी पात्र लोगों को टीका लगा दिया जाएगा। इससे कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी यह कहा था कि आगामी दिसम्बर महीने तक देशवासियों के लिए टीकाकरण का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस संबंध में जानकारी देते हुये कहा था कि निश्चित समय पर 200 करोड़ खुराकें हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसके माध्यम से 108 करोड़ लोगों को टीका लगा दिया जाएगा। इस समय की स्थिति यह है कि अब तक केन्द्र ने 22 करोड़ से अधिक खुराकें राज्यों को भेजी हैं। अब केन्द्र सरकार ने राज्यों को यह भी बताया है कि जून के महीने में 12 करोड़ खुराकें और उपलब्ध हो जाएंगी। इससे पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कोविड टीकों के उत्पादन एवं उनका वितरण देश में नियोजित ढंग से करने के लिए कहा था तथा यह भी कहा था कि इस समय देश में बनने वाले टीकों को विदेशों में न भेजा जाये तथा यह भी कि भारत में केवल 2 कम्पनियों की ओर से ये टीके तैयार करना काफी नहीं है। 
अब रूस का स्पूतनिक-वी टीका भी भारत में पहुंच चुका है। केन्द्र की ओर से फाईज़र एवं मॉडर्ना के साथ भी तकनीकी बाधाओं को दूर करने एवं बड़े स्तर पर टीकों का आयात करने के लिए पथ-प्रशस्त किया जा रहा है। बीमारी के फैलने से बड़ी संख्या मेें लोगों के भीतर टीका न लगवाने की झिझक भी अब कम होती जा रही है जिससे इस कार्य में और भी तेज़ी लाई जा सकती है। हम इस बात को अच्छा समझते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय भी इस अत्यधिक अहम कार्य में अपनी पूर्ण रुचि दिखा रहा है। हम महसूस करते हैं कि यदि केन्द्र सरकार अपने दावे के अनुसार एक निश्चित समय में देशवासियों को टीकाकरण के अभियान में शामिल कर लेती है तो इसे देश के लिए एक बड़ी राहत माना जाएगा। आज देश एवं दुनिया भर की नज़रें भी टीकाकरण के इस अभियान पर लगी हुई हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द