घर को  ताज़गी भरा एहसास दिलाए वाटर गार्डनिंग

यदि आपका गार्डन बड़ा है तो उसमें कई तरह के फूलों और दूसरे पौधों के अलावा आप अपना वाटर गार्डन भी तैयार कर सकते हैं। वाटर गार्डन गर्मी के मौसम में ठंडक और ताजगी का एहसास दिलाता है।
जगह का चुनाव
बड़े गार्डन में वाटर गार्डन तैयार करने के लिए ऐसे स्थान का चयन करें, जहां पानी की नियमित सप्लाई हो और वाटर गार्डन के पास दिन में पूरी धूप आये, आस-पास बड़े छायादार पेड़ नहीं होने चाहिए। क्योंकि इससे पानी में लगाये गये पौधों की वृद्धि नहीं होती।
वाटर गार्डन का निर्माण
आमतौर पर वाटर गार्डन कच्चा और पक्का दो तरह का तैयार किया जाता है। पक्के वाटर गार्डन को कंकरीट और सीमेंट से ऊपर से नीचे तक पक्का बनाया जाता है। कच्चे वाटर गार्डन के आकार का चयन मनमुताबिक कर सकते हैं।  वाटर गार्डन की दीवारें ईंट से बनायी जाती हैं और नीचे की सतह को बालू और सीमेंट से तैयार किया जाता है। अगर आप वाटर गार्डन में लिली या कमल भी उगाना चाहते हैं तो तालाब की गहराई ज्यादा रखनी चाहिए।
पौधों का चुनाव
बड़े वाटर गार्डन में आसानी से कमल का फूल लगाया जा सकता है। इसके फूल बड़े खुशबूदार, सफेद, गुलाबी और लाल रंग लिये होते हैं। इसके अलावा वाटर टैप ग्रास तालाब के पानी में ऑक्सीजन पैदा करने वाला ऐसा पौधा है, जिससे तालाब की सफाई होती है। 
पौधे कैसे लगाएं
कमल या वाटर लिली के राइजोम यानी कंदों को कंपोस्ट की टोकरी में भरकर लगाया जाता है। इसे तालाब में रखा जाता है किंतु पहले कंपोस्ट और मिट्टी के मिश्रण को 20 से 25 सेंटीमीटर मिट्टी की परत बनाकर उसके बाद इसमें पौधों को लगाया जाता है।
देखभाल कैसे करें
वाटर गार्डन की सतह ईंटों की बनी होती है। लगातार पानी के संपर्क में रहने पर उसके किनारे की दीवारों पर काई भी लग जाती है। इसके लिए 30 ग्राम पोटाशियम मैटाबाइट सल्फेट को पानी में घोलकर डाला जाता है। पानी में लगाये जाने वाले पौधों को खरीदने के तुरंत बाद न लगाएं। क्योंकि इनकी पत्तियों और जड़ों में परजीवियों के अंडे और लारवे हो सकते हैं जो बाद में पानी में दूसरे पौधों को भी खराब कर सकते हैं। इन्हें लगाने से पहले पानी से अच्छी तरह धोकर लगाएं। पानी में पौधों का रोपण करने के तुरंत बाद वाटर गार्डन में मछली नहीं छोड़नी चाहिए। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर