बच्चों के छोटे-छोटे झगड़े यूं सुलझाएं

घर में बच्चे हों और झगड़े न हों, ऐसी कल्पना करना भी मुश्किल है। कभी कभी माता पिता बच्चों के इन छोटे-छोटे झगड़ों से इतना परेशान हो जाते हैं कि समझ में नहीं आता कि क्या करें। जब डांटने लगें तो कभी कभी माता पिता को सुनना पड़ता है कि आपको क्या, हम तो हंसी मजाक कर रहे थे। हम तो लड़ ही नहीं रहे थे। बस आपको हर बात पर डांटना आता है।  माता-पिता का फर्ज है कि बच्चों के झगड़ों को नजरअंदाज न कर उनमें प्रेम जगाएं रखें।
बच्चों को सही गलत का ज्ञान दें: दोनों बच्चों को समय समय पर गलत और सही के बारे में बताते रहें जैसे लड़ते समय हाथ नहीं उठाना, गाली नहीं देनी, बड़े का नाम नहीं लेना, किसी के सामान को छूना नहीं, मिलकर खेलना है, एक-दूसरे का सामान चोरी नहीं करना आदि। ऐसा उन्हें समय समय पर स्पष्ट करते रहें।
उनकी आपस में तुलना न करें : कभी कभी, खेल में, व्यवहार में, पढ़ाई में हम उनकी तुलना करते हैं। देखो छोटा बच्चा बहुत अच्छा है। बड़ा तो गंद फैलाता है। बड़ा अपने कपड़े गंदे करता है और छोटा तो बिल्कुल नहीं गंद फैलाता आदि। ऐसे में बड़े बच्चे में छोटे बच्चे के प्रति नकारात्मक फीलिंग्स आएंगी जो आगे जाकर संबंधों में नुकसान पहुंचाएंगी।
बच्चों में समानता रखें : बच्चों में अक्सर यह भावना आ जाती है कि मम्मी तो मुझे प्यार नहीं करती, बस उसे प्यार करती है या उसको अधिक देती है, मुझे कम। यह ईर्ष्या उनके मन में कभी-कभी घर कर जाती है। अक्सर हम छोटे बच्चे को अधिक ध्यान देते हैं क्योंकि उसे केयर की अधिक जरूरत होती है। जब बड़ा बच्चा यह महसूस करता है कि मुझे प्यार कम मिलता है, तब वह अधिक शरारतें करने लगता है और जिद्दी भी बन जाता है। 
सोच समझ कर बनें निर्णायक : कभी-कभी बच्चे लड़ते हैं और आपके पास फैसले के लिए आते हैं तो दोनों पक्षों की बारी बारी सुनें और सोच समझ कर फैसला दें। ध्यान रखें कोई बच्चा अधिक हर्ट न हो। जब बच्चे आपस में लड़ रहे हों तो जरूरी नहीं आप हर बार उनके बीच बोलें। जब लगे थोड़ा अधिक हो रहा है तो उन्हें समझाने का प्रयास करें। सजा न दें। (उर्वशी)