घबराहट में अपनी सोच को बिखरने न दें

इन्सान चाहे तो क्या नहीं कर सकता। उसके मजबूत इरादे ही तो रहे जो वह अंतरिक्ष भी चीर गया पर हमेशा व्यक्ति अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पाता। यही वजह होती है कि वह किसी काम को करते हुए घबरा जाता है। घबराहट हर कार्यक्षेत्र से जुड़ी है। सही मायने में घबराहट व्यक्ति से जुड़ी एक आम समस्या है जिसका हल कोई मनोवैज्ञानिक भी तभी कर पाता है जब ग्रसित व्यक्ति उसका साथ दे तथा वह घबराहट से पीछा छुड़ाना चाहे।
असल में घबराहट है क्या? मन को विचलित करने वाली सोच ही घबराहट बन जाती है। व्यक्ति दो पक्षों में जीता है -सकारात्मक पक्ष एवम नकारात्मक पक्ष। ये दोनों व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। आमतौर पर व्यक्ति दोनों पक्षों में संतुलन बनाकर जीता है मगर जब यह संतुलन नहीं बनता तो वह घबरा जाता है। यह घबराहट उसे अपने काम के बिगड़ने के विषय में होती है।
व्यक्ति के कार्य करने का पक्ष सकारात्मक है अथवा नकारात्मक, यह जानने के प्रयास में वह असंतुलित हो जाता है जबकि सामने दिखाई देने वाला भविष्य सकारात्मक है, बाकी सब नकारात्मक। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक व्यक्ति किसी चीज अथवा काम को अपने नजरिये से देखता है। जो उसकी नजर में सही है, उसे दूसरा गलत मानता है। यही असमंजस व्यक्ति की घबराहट का मुख्य कारण बनता है। कहीं कोई गड़बड़ न हो जाये सिर्फ यह ख्याल काफी है व्यक्ति की घबराहट बढ़ाने के लिए।
घबराहट से बचने के लिए जरूरी है कि वह कारण ढूंढें जो आपको घबराने पर मजबूर कर रहा है। बेटी की शादी और घबराहट न हो, यह कहा जाता है जबकि सब कुछ इच्छानुसार हो रहा है, फिर भी घबराहट है। हर व्यक्ति इस दौर से गुजरता है बल्कि यह तो खुशी-खुशी पूर्ण होना चाहिए। सोच होनी चाहिए कि हमने सबसे बेहतर किया न कि औरों ने हमसे बेहतर किया।
परीक्षा के बाद परीक्षाफल का इंतजार, यह घबराहट न बढ़ाए तो क्या हो? जैसा परीक्षा में काम किया है, वैसा ही रिजल्ट आएगा। स्वयं को मानसिक रूप से कमजोर बनाने से क्या फायदा? देर से घर लौटना चाहे, फिर पति, पत्नी, बच्चे, मां-बाप कोई भी क्यों न हो? डांट पड़ेगी अथवा घर पर झगड़ा होगा। इससे घबराने से क्या फायदा? कायदे से अपनी मजबूरी सुना दीजिएगा। कोई न माने तो आप क्या कर सकते हैं? घबराहट तो इसका इलाज नहीं, इसलिए चैन से घर पहुंचिए। रोजमर्रा की हमारी ज़िंदगी की रफ्तार इतनी तेज हो चली है कि कोई काम बिगड़ न जाए या बिगड़ गया तो इसकी चिंता व्यक्ति को खाए जाती है जबकि इस घबराहट का एक ही निदान है। जो होना है वो होना है। साथ ही विचारों का संतुलित होना जरूरी है। (स्वास्थ्य दर्पण)