मां-बाप के लड़ाई-झगड़े का बच्चें पर होता है असर

क्या कभी आपने सोचा है कि जिन घरों में आये दिन बच्चों के सामने मम्मी पापा लड़ते झगड़ते रहते हैं, ऐसे बच्चों के स्वभाव में किस तरह के बदलाव आते हैं ? जी हां, जो बच्चे घरों में ज्यादातर समय अपने मम्मी पापा की लड़ाई की वजह से तनावग्रस्त रहते हैं, उनमें आत्मविश्वास की काफी कमी हो जाती है। खासकर जब लड़ाई के दौरान पति-पत्नी दोनो एक दूसरे को तलाक देने की धमकी देते हैं या एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कोई भी हद पार कर जाते हैं। ऐसे समय में बच्चे अंदर ही अंदर बहुत डर जाते हैं और यह डर उनमें आत्मविश्वास की कमी बनकर हमेशा हमेशा के लिए अपना घर बना लेता है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज के दौर में आर्थिक तनाव से हर दंपति गुजर रहा है, खासकर मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास। पिछले साल जब से कोरोना का कहर पूरी दुनिया में टूटा हुआ है, तब से आर्थिक तंगी बहुत से दंपतियों की नियमित समस्या बन गई है और इसी कारण पति पत्नी के बीच अकसर झगड़े होते रहते हैं। बच्चे अगर उन बातों का मतलब नहीं समझते तो भी उनके दिमाग में ये बैठ जाती है और सालों बाद जब उनको जानते हैं तो भी हतोत्साहित होते हैं।
जिन दंपतियों के आपस में शारीरिक और भावनात्मक संबंध कमजोर होते हैं, वो बहुत लड़ते हैं और इस लड़ाई का असर बच्चों पर पड़ता है। जब कोई मां-बाप किसी भी बात पर तुरंत एक दूसरे पर चरित्रहीन होने का आरोप लगा देते हैं, तो उनके बच्चे भविष्य में कभी भी अपने मां-बाप पर यकीन नहीं कर पाते। अगर वे चरित्रहीन न भी हों तो भी बच्चों की नजर में चरित्रहीन हो जाते हैं। कई बार बच्चे चरित्रहीन होने का मतलब नहीं समझते और इसकी बहुत भयावह कल्पना कर लेते हैं। इसलिए लड़ाई के दौरान कभी ऐसे अपशब्द न बोलें जो तात्कालिक तौर पर ही नहीं बल्कि आपके रिश्ते को बुरी तरह से प्रभावित करें । बच्चे दरअसल अपने मां-बाप से एक दूसरे के बारे में यानी मां-बाप से ही सुनते हैं, तो वे उस सुने हुए किसी तर्क की तरह ही यकीन नहीं करते और न ही उनमें किसी गुस्से में लगाये गये आरोप मानते है बल्कि रोज रोज जब वे एक दूसरे के बारे में सुनते हैं तो जो सुनते हैं या जो कुछ कहा जा रहा होता है, वो उस पर यकीन कर लते हैं और बाद में इस यकीन को उनके दिलदिमाग से निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। 
अगर सब कुछ के बावजूद स्थितियां ऐसी बनती है कि बच्चों के सामने आपकी आपस में बहस हो जाती है तो भी तू तू, मैं मैं, करने से बचें  यह न मानें कि बच्चे सिर्फ  किसी एक के कहे को सही मानेंगे और दूसरे के कहें को सही नहीं समझेंगे। बच्चे हर बात को सही मानते हैं। इसलिए बच्चों के सामने लड़ने झगड़ने से तौबा कर लें।-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर