इन्सानियत और रिश्तों का हो रहा है मोह भंग

आज जो भी हो रहा है कहीं न कहीं आपसी रिश्तों और इन्सानियत का हाल बहुत बुरा है क्योंकि जैसे समझदार व्यक्ति कहते हैं कि पहले लोग कच्चे घरों में रहते थे लेकिन उनके रिश्ते पक्के थे। आज लोग आलीशान घरों में रहते हैं लेकिन रिश्तों के प्रति उनका मोह भंग हो रहा है। इन्सानियत खत्म हो रही है। क्या कारण हो सकता है रिश्तों के बीच आपसी मोह भंग होने का?
इंटरनैट और सोशल मीडिया ने हमें दूर-दराज़ देश-विदेश में बैठों को तो पास लेकर आया ही है लेकिन अधिकतर युवा और छोटे बच्चे अपना पूरा ध्यान इसमें लगाये रखते हैं क्योंकि बातचीत करके बेगानों को अपना और अपनों को बेगाना बना रहे हैं। आजकल के बच्चे घर के बुजुर्गों के पास दो पल भी बैठ कर खुश नहीं हैं। इसी प्रकार बच्चों का अपने बढ़ों से भी मोह भंग हो जाता है। लेकिन अधिकतर बच्चे अपनी शिक्षा और कामकाज के लिए भी इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं जो बहुत ही लाभप्रद साबित हो रहा है। कहीं तो समझदार आयु के लोग ही इसका दुरुपयोग करके अपने रिश्तों को खराब बैठे हैं फिर बाद में पछतावा ही करते हैं। ऐसे लोग जो अपना पूरा समय ऐसे कार्यों में खराब करके अपने रिश्तों के प्रति लापरवाही अपनाते हैं और बेगानों से वाहवाही लूट कर सिर्फ अपने अहंकार का प्रकटावा करते हैं। कहीं न कहीं सहनशीलता की कमी भी सभी रिश्तों पर भारी पड़ रही है और रिश्तों में कड़वाहट पैदा कर देती है। इसलिए दोस्तो सुख-दुख एक सिक्के के दो पहलू हैं और बचाव में ही बचाव है। लेकिन कोई भी दुख-सुख कहीं भी आ सकता है। जितना हो सके हर स्थिति में एक दूसरे का साथ अवश्य दें और सहनशीलता, हमदर्दी और इन्सानियत को कायम रखें ताकि रिश्तों का आपसी मोह भंग न हो और इन्सानियत भी खत्म न हो।