पारदर्शी न्यायिक जांच की आवश्यकता

विगत रविवार के दिन उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में घटित हुये घटनाक्रम ने सभी ओर उथल-पुथल मचा दी है। देश के बड़े विपक्षी नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश की सरकार एवं केन्द्रीय सरकार को पूरी तरह से निशाने पर लिया जा रहा है। चाहे अगले ही दिन बड़े किसान नेता राकेश टिकैत की उपस्थिति में दोनों पक्षों के मध्य पीड़ित परिवारों को राहत देने एवं दोषियों के विरुद्ध मामला दर्ज करने के संबंध में समझौता होने की घोषणा कर दी गई थी। इसी कारण केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा एवं अन्यों के विरुद्ध आपराधिक मामला भी दर्ज कर लिया गया है। 
परन्तु अजय कुमार मिश्रा ने इस मामले में अपने पुत्र के शामिल होने से इन्कार किया है तथा कहा है कि वह घटना स्थल पर उस समय मौजूद नहीं था। निरन्तर सभी ओर से पड़ते दबाव के कारण केन्द्रीय मंत्री के पुत्र पर मामला दर्ज करने के लिए सरकार विवश हुई है परन्तु अभी तक उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई जबकि विपक्षी दलों के नेता इस बात पर बज़िद नज़र आते हैं कि अजय कुमार मिश्रा को अपने पद से हटाया जाना चाहिए तथा उसके पुत्र आशीष मिश्रा को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों में समझौता हो जाने के बाद भी प्रदेश एवं केन्द्र की सरकार पर इस मामले को लेकर जितना दबाव बढ़ता जा रहा है, उसे देखते हुये जहां सरकार के भीतर भारी चिन्ता उत्पन्न होना स्वाभाविक बात है, वहीं उसे तुरंत ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता होगी जो जन-मानस को संतुष्ट करने वाले हों। उत्तर प्रदेश एवं पंजाब सहित कुछ राज्यों में शीघ्र ही चुनाव होने जा रहे हैं। किसान आन्दोलन अभी भी लटकता चला जा रहा है। जिस प्रकार का माहौल बनता जा रहा है, उससे हालात के और भी गम्भीर हो जाने की सम्भावना बनते हुये दिखाई दे रही है। ऐसा भी प्रतीत होने लगा है कि इसके चलते आगामी दिनों में भिन्न-भिन्न गुटों में आपसी टकराव बढ़ सकते हैं जो अपने आप में भारी नुकसान के भागी बनेंगे। 
ऐसी स्थिति को देखते हुये जहां सरकार को भी तुरंत ऐसे पग उठाने की आवश्यकता होगी जो लोगों के मन में विश्वास पैदा करने के साथ-साथ स्थिति को सुधारने में सहायक हो सके, वहीं विपक्षी दलों के नेताओं को भी इस गम्भीर स्थिति को अधिक नाज़ुक बनाने में सहायक नहीं होना चाहिए। उनकी ओर से निरन्तर की जा रही कार्रवाइयां एवं दिये जा रहे बयान स्थिति को और भी खराब करने में सहायक हो सकते हैं। उत्पन्न हुई इस स्थिति में से राजनीतिक लाभ उठाने की उत्तेजना से इस समय बचा जाना चाहिए। इसकी अपेक्षा उच्च अदालत की ओर से ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो घटित हुये इस घटनाक्रम की वास्तविकता को सामने ला सकें जिसके आधार पर इस त्रासदी हेतु ज़िम्मेदार अपराधियों को कानून के अनुसार समुचित सज़ाएं दी जा सकें।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द