स्थानीय दुकानदारों को न भूलें

आज ऑनलाइन शॉपिंग ने घरों में दस्तक दी है। जब भी महिलाएं ऑनलाइन खरीदारी करती हैं तो जो चीज़ जितनी कीमत की होती है, उतने में ही हम खरीद लेते हैं, लेकिन दूसरे ठेले वालों, दुकानदारों से और सब्ज़ियां तक खरीदने वालों से भी हम सौदेबाज़ी करते रहते हैं।
हमारी ऑनलाइन खरीदारी की खुशी से किसी को अप्रत्यक्ष तौर पर दुख हुआ या किसी के चेहरे मुर्झाये हैं यह हम कभी नहीं सोच सकते। क्या हमें इस बात का अनुमान है कि हमारे एक-एक ऑर्डर से हमारे छोटे और बड़े दुकानदारों पर क्या प्रभाव पड़ता है? एक दुकानदार जब सुबह अपनी दुकान खोलता है तो एक प्रार्थना और उम्मीद मन में रखता है कि आज के दिन दुकान में अच्छी बिक्री हो और वह खुशी-खुशी घर वापिस जाए। लेकिन वह दुकानदार बेचारा उस समय यह भूल जाता है कि उसके अधिक खरीदार ऑनलाइन साइटों पर खरीदारी कर चुके होते हैं। जी.एस.टी., नोटबंदी और फिर कोरोना महामारी के कारण गत वर्ष से दुकानदारों की खरीदारी बहुत कम हो गई थी। इस वर्ष का त्यौहारों का मौसम दुकानदारों के लिए एक आशा की किरण है। 
स्थानीय तौर पर कारोबारी बड़ी ऑनलाइन खरीदारी करने वाली कम्पनियों के साथ मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं, जो कि लोगों को बड़ी मात्रा में छूट दे रहे हैं। हो सकता है कि ऑनलाइन वस्तु जो हम खदीरते हैं दुकान पर उतनी किस्म वाली या उतनी सस्ती न हो, लेकिन हमें अपने स्थानीय दुकानदारों का साथ हमेशा देना पड़ेगा। अकेले दुकानदार ही नहीं बहुत-से व्यापारी इस कारोबार में लगे हुए होते हैं, जो आगे दुकानदार वालों तक अपने माल को पहुंचाते हैं। 
ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते रुझान ने व्यापारियों की रातों की नींद को उड़ा दिया है। स्थानीय व्यापारी हमारी अर्थ-व्यवस्था की रीढ़़ की हड्डी हैं जो यदि नज़रंदाज़ हुये तो हमारी अर्थ-व्यवस्था बड़े पतन की ओर चली जाएगी और बेरोज़गारी बढ़ेगी। आज लगातार बढ़ती बेरोज़गारी देश की बहुत बड़ी और गम्भीर समस्या बन चुकी है और बन रही है जिसके परिणाम भविष्य में बहुत नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। 
दुकानदारों ने किराया, बिजली का बिल, सामान के रख-रखाव का खर्च, करिंदों का वेतन देना होता है, जोकि ऑनलाइन खरीदारी के चक्करों के कारण देना मुश्किल हो जाता है। 
हम स्वयं भी समझें और बच्चों को भी स्थानीय दुकानदारों से सामान खरीदने हेतु प्रेरित करें तो हमारा छोटा कारोबारी भी चैन की सांस ले सकेगा और हमारे देश की आर्थिकता को नुकसान भी नहीं होगा, तो अगली बार किसी दुकानदार के साथ सौदेबाज़ी करने से पहले या फिर ऑनलाइन खरीद करने के लिए बटन दबाने से पहले यह अवश्य सोच लें कि हमारा ऐसा करने से कितने ही घरों के चूल्हे नहीं जलेंगे और इसके ज़िम्मेदार हम ही होंगे।
इसलिए आओ, मिल कर प्रण लें कि स्थानीय दुकानदारों से विशेष तौर पर त्यौहारों के मौसम में, उनके चेहरों पर वही खुशी वापिस लाई जाए जो ऑनलाइन खरीदारी का दौर शुरू होने से पूर्व उनके घरों और दुकानों में होती थी।