बुजुर्गों का सर्दियों में रखें विशेष ध्यान


बच्चों की तरह बुजुर्गों को भी सर्दियां ज्यादा तंग करती हैं। उन्हें भी बच्चों की तरह विशेषड्ड केयर की आवश्यकता होती है क्योंकि बहुत सी समस्याएं उन्हें सर्दियों में अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं।
जोड़ों में दर्द - सर्दियां शुरू होते ही बुजुर्गों की मांसपेशियों में तनाव की समस्या बढ़ जाती है और जोड़ों में भी ज्यादा दर्द होने लगता है। ऐसे में नहाते समय गर्म पानी से जोड़ों की सिंकाई करें। थोड़ी ऊंचाई से जोड़ों पर गर्म पानी डालें। अगर बाथरूम में ऐसा करना आपके लिए मुश्किल हो तो हल्के गर्म पानी में तौलिया भिगोकर जोड़ों पर रखें। ठंडा होने पर पुन: इस क्रि या को दोहराएं। 5-10 मिनट का प्रयास नियमित करें।
= अगर दर्द अधिक बढ़ जाए तो सोते समय और दिन में दर्द निवारक आइंटमेंट हल्के हाथों से लगाएं या लगवाएं और उसको मोटे कपड़े, गर्म पट्टी या नी कैप से ढक लें। इसका प्रयोग कुछ समय हेतु करें। लगातार नी कैप लगाने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसी प्रकार गर्दन दर्द में कुछ समय हेतु कालर लगाएं। कमर दर्द होने पर कुछ समय हेतु बेल्ट बांधें। जब दर्द कम हो तो थोड़ा-थोड़ा व्यायाम करना शुरू कर दें।
अस्थमा और ब्रोंकाइटिस
सर्दियों में अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की समस्या काफी बढ़ जाती है, विशेषकर बुजुर्गों में। चेस्ट इंफेक्शन और निमोनिया का भी खतरा अधिक हो जाता है। जिन बुजुर्गों को सांस लेने में मुश्किल होती हो, नाक बंद रहता हो, सर्दी जुकाम हो, उन्हें सोने से पहले स्टीम ले लेनी चाहिए। पानी में कारवोल का कैप्सूल भी डाल सकते हैं। नाक जल्दी खुल जाएगा। इसके अलावा छाती और नाक पर विक्स लगा सकते हैं।
दिल की समस्या
- सर्दी में ब्लड सप्लाई करने वाली नलियां सिकुड़ जाती हैं जिनसे खून का दौरा कम हो जाता है और दिल पर वर्क लोड बढ़ जाता है जिससे दिल से संबंधित परेशानी का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर भी हाई हो जाता है।
सर्दियों में अधिक गरिष्ठ भोजन खाने का मन करता है। अगर गरिष्ठ भोजन कई दिन तक खाया जाए तो भी बीपी की समस्या बढ़ जाती है जो दिल पर प्रभाव डालती है।
बुजुर्गों का ब्लड प्रेशर सप्ताह में एक बार अवश्य चैक कराएं। अगर बीपी ज्यादा या उतार-चढ़ाव हो रहा है बीपी का तो कुछ दिन तक लगातार बीपी चैक करवाते रहें ताकि नजर रखी जा सके। बीपी चैक कराने का समय लगभग एक ही रखें। इन परेशानियों से बचने हेतु उनका विशेष ध्यान रखें।
सावधानियां
= बुजुर्ग पुरूष सिर पर टोपी, गले में मफलर, ग्लव्स, गर्म जुराबें और जैकेट पहन कर रखें और इनरवियर गर्म पहनें। महिलाएं भी गर्म इनरवियर अवश्य पहनें। शाल, स्कार्फ का प्रयोग करें।
= बुजुर्ग लोग प्रात: जल्दी सैर पर न जाएं क्योंकि इस समय दिल की नलियां पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाती। ऐसे में हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है। 8-9 बजे के बाद बाहर जाएं और सैर करें।
= धूप का नियमित सेवन अवश्य करें। जब धूप बहुत तेज हो तो टोपी, मफलर और जैकेट हटा दें। प्रात: और शाम को ऊनी वस्त्र पूरी तरह पहनें।
= हल्के गर्म पानी से रोजाना नहाएं। इससे शरीर की सफाई तो होती ही है, साथ में जोड़ और मांसपेशियां भी खुलती हैं।
खाने का ध्यान रखें 
= इस मौसम में फैट वाला खाना कम से कम खाएं। हाई प्रोटीन और हाई कार्बोहाइड्रेटस लें। तले हुए भोज्य पदार्थ बहुत ही कम लें।
= बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक शक्ति बनी रहे, इसके लिए उन्हें विटामिन सी युक्त फल दें। आंवला और संतरा उनके लिए लाभकारी है। आंवले का सेवन किसी भी रूप में करें।
= सलाद और फल फ्रिज से पहले ही बाहर निकाल कर रखें ताकि अधिक ठंडा उन्हें नुकसान न पहुंचाए। फल और सलाद घिसकर भी दे सकते हैं।
= सब्जियों के सूप लें। जो जोग शाकाहारी हैं वे अंडे, फिश, चिकन का सेवन सीमित मात्र में कर सकते हैं।
= तुलसी, शहद, अदरक, लहसुन का सेवन नियमित करें। 
=गर्म दलिया (मीठा या नमकीन) बुजुर्गों हेतु हल्का भोजन है। उबले कार्न खा सकते हैं।
= पानी दिन भर पीते रहें। चाय काफी का सेवन कम से कम करें। खांसी होने पर कुछ ठंडा खाने को न दें, न ही खट्टे खाद्य पदार्थ दें। आंवले का मुरब्बा व अदरक में शहद, नींबू का रस मिलाकर दे सकते हैं।
नियमित व्यायाम करें
= नियमित वार्मअप और स्ट्रेचिंग व्यायाम करें ताकि जोड़ और मांसपेशियां लचीली बनी रह सकें।
= अगर घुटने ठीक हैं तो आधा घंटा सैर पर जाएं। प्रात: आठ बजे के बाद और शाम 4-5  बजे तक जाएं। सर्दियों में अक्सर सड़कें गीली रहती हैं। नॉन स्लिपर जूते पहनें।
= लंबे गहरे श्वास का अभ्यास प्रतिदिन करें। इसके साथ अनुलोम विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करें। 
(स्वास्थ्य दर्पण)