ऊन की खरीदारी में बरतें समझदारी

 ऊन खरीदते ही मन में डिज़ाइन ध्यान आने लगते हैं। वैसे घर के बने स्वेटर की अपनी ही शान होती है। जिस रंग और नाप का स्वेटर चाहें, आप बना सकते हैं। बुनाई करते समय और ऊन खरीदते समय कुछ विशेष बातों को दिमाग में रखकर ही शुरू करना चाहिए।
= सबसे पहले यह ध्यान रखें कि स्वेटर किस के लिए बनाना है और कैसा बनाना है, उसी अंदाज़ से ऊन खरीदें। रंग का चयन पहनने वाले के रंग रूप को ध्यान में रख कर करना चाहिए।
=ऊन हमेशा मुलायम और केशमिलॉन की खरीदें क्योंकि न तो यह जुड़ती है, न रंग खराब होता है, न सिकुड़ती है, न ही ज़रूरत से ज़्यादा गर्म होती है।
=ऊन लेते समय ध्यान रखें कि अधिक मोटी ऊन का स्वेटर न बनायें क्योंकि मोटी ऊन कई बार धोने के बाद ढीली पड़ जाती है।
= सिलाइयां ऊन के अनुसार लें, मोटी ऊन के लिए मोटी सिलाई और पतली ऊन के लिए पतली सिलाई।
=यदि ऊन लच्छी वाली हो तो पहले उसे ध्यान से खोलकर गोले बना लें। गोला थोड़ा ढीला बनायें ताकि ऊन के रेशे बरकरार रहें। गोले वाली ऊन ले रहे हैं तो थोड़ा देख लें उसमें गांठें अधिक न हों। लच्छी वाली ऊन की एक लच्छी बचाकर बाकी की खोलें। यदि ऊन अधिक हो तो बदलवाने में आसानी होती है।
= गोले वाली ऊन के लेबल को संभाल कर रखें। कभी ऊन समाप्त हो जाए या अंदाज ठीक न बैठे तो उस लेबल की सहायता से आप और ऊन खरीद सकते हैं।
= अगर ऊन बहुत पतली हो तो सिलाई पर फन्दे ऊन को दोहरा कर डालें।
=स्वेटर के बॉर्डर थोड़े कसे हुए बुनें। पहला फन्दा बिना बुने उतारने से सिलाई आसानीपूर्वक की जा सकती है।
= स्वेटर का नाप इंचीटेप की सहायता से लें। जब भी नापें, स्वेटर को समतल स्थान पर रखकर नापें।
= जब आप स्वेटर बना रहे हैं, तब दूसरे को वही भाग बुनने को मत दें। इससे स्वेटर की बुनाई में अन्तर आ जाता है।
= सिलाई बुनते समय जब आपको बन्द करना हो तो सिलाई पूरा करके रखें। आधी सिलाई में फन्दे गिरने का खतरा बना रहता है।
= यदि आप दो या अधिक रंग का स्वेटर बना रही हैं तो ध्यान रखें कि ऊन का रंग दूसरे पर न जाये। पहले थोड़ा सा टुकड़ा धोकर जांच कर लें।  (उर्वशी)