नया वष नई सोच

  जब नव वर्ष का सूर्य उदय होता है तो मन में एक विचार आता है कि वर्ष बहुत ही जल्द बीत गया। इस वर्ष सर्दी अधिक पड़ी, कोरोना के मामले कम आये, महंगाई बढ़ी और अन्य इस तरह की अनेक बातें हमारी जुबान पर होती हैं। यह सब कुछ एक ओर, लेकिन बीते वर्ष कोरोना के भय से काफी सीमा तक मुक्ति मिली तथा ज़िन्दगी फिर से पहले की भांति शुरू हो गई, जिसका शुक्रिया हम पूरा वर्ष करते रहे।
2020 कोरोना वर्ष ने जो हमें सिखाया, स्वास्थ्य संबंधी या अन्य सावधानियां अपनाने के बारे, 2021 में हमने उसे बहुत ही अच्छे ढंग से निभाया है और अमल किया। कुछ संकल्प तो हर वर्ष लेने बनते हैं, यदि इन पर 50 प्रतिशत भी अमल करने में हम सफल हो जाते हैं तो हमारी सफलता होती है।
बीते वर्ष को अलविदा कहते समय उस वर्ष की शिक्षाएं, अनुभव हमारे ज़हन में बसे होते हैं। आओ, कुछ नया करें और नया सोचें। इस नव वर्ष की सुबह से हम अपनी नींद को त्याग दें अर्थात् और लेट, और लेट उठने का विचार छोड़ दें तथा चुस्त-दुरुस्त होकर सुबह का स्वागत करें। जब हमें जल्दी और समय पर उठने की आदत पड़ जाएगी तो फिर हमें अहसास होगा कि दिन में और कितने अन्य कार्य हैं, जो हम कर सकते हैं। इससे समय के पाबन्द होना हमारे व्यक्तित्व का भाग बन जाता है।
आजकल युवा लोगों को स्वास्थ्य संबंधी बहुत-सी परेशानियां हो रही हैं। इसका अधिकतर दोष हमारे रहन-सहन के ढंग-तरीकों को जाता है। हमें अपने स्वास्थ्य के लिए अपने जीवन ढंग को बदलना पड़ेगा और यह परिवर्तन लाने में घर की महिला अधिक सहयोग दे सकती है। धीरे-धीरे पूरे परिवार में परिवर्तन आ सकता है। जीवन ढंग से तात्पर्य है खाने-पीने और प्रतिदिन की दिनचर्या से। हमें यह सोचना चाहिए कि पौष्टिक खाना है, प्रतिदिन व्यायाम करना है तथा चुस्त-दुरुस्त रहना है। स्वयं को एक कमज़ोर मरीज़ कभी नहीं बनाना चाहिए। छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बीमारी का भी मानसिक रूप से साहस से सामना करना चाहिए। आधी बीमारी का हल हमारे दिमाग के सोचने से होता है। यदि हम डाक्टरों और दवाई पर विश्वास करेंगे तथा झोलाछाप  लोगों से बचेंगे तो हम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का मुकाबला कर सकेंगे। 
हम सभी जानते हैं कि आजकल सोशल मीडिया भिन्न-भिन्न मंच बड़े-छोटे सभी की ज़िन्दगी का एक महत्त्वपूर्ण भाग बन गये हैं। कुछ लोग तो दूसरों की तस्वीरें, कपड़े देख कर, घूमना-फिरना देख कर दुखी होते हैं। अपनी दूसरों के साथ तुलना करते हैं। लोगों की खुशी से ईर्ष्या करना बहुत ही गलत है, हमें अपने व्यक्तित्व में से इस पक्ष को हटाने का प्रयास करना चाहिए। यदि हम इसमें सफल नहीं  होते हैं तो सोशल मीडिया जैसी चीज़ों को अपने जीवन में से बाहर कर देना चाहिए। प्रत्येक के कार्य का सम्मान करना चाहिए। चाहे डाक्टर, अध्यापक, रिक्शा चलाने वाला, दुकानदार आदि कोई भी हो। आजकल वास्तविकता को समझे बिना हम बहुत जल्द अपने आपे को खो देते हैं और दूसरों के काम में कमी निकाल कर उसकी मारपीट की जाती है। इससे स्थिति और बिगड़ जाती है। 
कई बार ज़िन्दगी में हम ऐसे मोड़ पर खड़े हो जाते हैं, जहां सिर्फ अन्धेरा ही दिखाई देता है, वह समय बहुत ही कठिन लगता है। उस समय एक ही बात सोचें कि यही ज़िन्दगी की परीक्षा है और हमने इन परीक्षाओं का कैसे सब्र, नम्रता से मुकाबला करना और सफल बन कर इनसे बाहर निकलना है। स्वयं की कभी भी आलोचना न करें, अपने रंग-रूप से प्यार करें। 
जब भी अवसर मिले अपने लिए ही जीयें। अपनी बढ़ती आयु और अपने शरीर की समस्याओं को स्वयं पर भारी न होने दें, हमेशा ज़िन्दादिल रहें। साकारात्मक विचारधारा रखें और दूसरों से हमेशा एक मुस्कान के साथ मिलें तथा इस वर्ष प्रण करें कि 2022 में छोटे-छोटे पग अवश्य उठायें, जिससे हमारे आस-पास का कुछ भला हो सके और हम विकसित नागरिक बन सकें। जब हम दिन में एक भी जन-भलाई का एक कार्य करेंगे तो वह दिन बहुत ही हल्का और खुशी भरा महसूस करेंगे। इसलिए आएं, एक दिन एक बार फिर इन छोटी और गहरी बातों से इस वर्ष का स्वागत उत्साहपूर्वक करें। 
नव वर्ष मुबारक।


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