काल्पनिक चरित्र नहीं , वास्तविक संगीतकार थे  एंथॉनी गोंजाल्विसकाल्पनिक चरित्र नहीं , वास्तविक संगीतकार थे  एंथॉनी गोंजाल्विस

फिल्म ‘अमर अकबर एंथॉनी’ में अमिताभ बच्चन एक गाना गाते हैं और वो चर्चित गाना है ‘माई नेम इज़ एंथॉनी गोंजाल्विस’। कौन थे एंथॉनी गोंजाल्विस? एंथॉनी गोंजाल्विस गीत की पंक्तियों में आया मात्र एक काल्पनिक नाम नहीं अपितु वे एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। असंख्य लोगों की तरह एंथॉनी गोंजाल्विस भी फि ल्म जगत में अपनी किस्मत आज़माने मुंबई आए थे और उन्होंने भारतीय फि ल्म जगत में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया। एंथॉनी गोंजाल्विस ने पचास और साठ के दशक की अनेक फि ल्मों में अपना बेहतरीन संगीत दिया। फि ल्म ‘अमर अकबर एंथॉनी’ का गीत ‘माई नेम इज़ एंथॉनी गोंजाल्विस’ उन्हीं प्रसिद्ध संगीतकार एंथॉनी गोंजाल्विस को समर्पित है। इस समर्पण के पीछे की क्या कहानी है?
  एंथॉनी गोंजाल्विस का जन्म दक्षिणी गोवा में मड़गाँव के पास माजोरदा नामक स्थान पर हुआ था। एंथॉनी गोंजाल्विस पहले अपने गाँव के चर्च में वायलिन बजाते थे। एंथॉनी गोंजाल्विस वर्ष 1943 में मुंबई आए थे, तब वह बहुत छोटे थे। उनकी शुरूआत फि ल्म ढोलक के संगीत से हुई। उन्होंने सबसे पहले उस समय के मशहूर संगीतकार नौशाद साहब के साथ एक वायलिनवादक के रूप में काम किया। बाद में ‘ज्योति कलश छलके’ गीत के लिए दिए संगीत के बाद उनके नाम को एक पहचान मिली। फि ल्म प्यासा का गीत ‘हम आपकी आंखों में’ और महल का गीत ‘आएगा आने वाला’ को उनके बेहतरीन कामों में गिना जाता है। उन्होंने ‘किस्मत’, ‘महल’, ‘नया दौर’, ‘हक़ीक़त’ और ‘दिल्लगी’ जैसी अनेक हिट फि ल्मों के संगीत में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  एंथॉनी गोंजाल्विस अपने समय में देश के बेहतरीन वायलिनवादक के रूप में चर्चित थे और उन्होंने उस समय की मशहूर हस्तियों को वायलिन वादन सिखाया भी। वास्तव में गोंजाल्विस ने संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की मशहूर जोड़ी के प्यारेलाल को ही नहीं अपितु उस समय के महान संगीतकार एस.डी. बर्मन को भी वायलिन बजाना सिखाया था। उन्होंने इन महान संगीतकारों एस.डी. बर्मन और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ भी काम किया। बाद में संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की मशहूर जोड़ी ने फि ल्म ‘अमर अकबर एंथॉनी’ के लिए संगीत रचना की। फि ल्म ‘अमर अकबर एंथॉनी’ के निर्देशक थे मनमोहन देसाई और गीतकार थे आनंद बक्शी। फि ल्म ‘अमर अकबर एंथॉनी’ में एंथॉनी का नाम गाने में भी डाला गया। अमिताभ बच्चन पर फि ल्मा, जाने वाले इस चरित्र का पूरा नाम रखा गया था एंथॉनी डिसूजा। आनंद बक्शी जी ने गाने की पहली पंक्ति लिखी, ‘माई नेम इज़ एंथॉनी डिसूजा’। संगीत निर्देशक प्यारेलाल इस गाने के द्वारा अपने वायलिनवादक गुरू एंथॉनी गोंजाल्विस को सम्मान देना चाहते थे अत: उन्होंने निर्देशक मनमोहन देसाई और गीतकार आनंद बक्शी के सामने अपने दिल की बात रखी। उन्होंने संगीत निर्देशक प्यारेलाल की इच्छा का सम्मान करते हुए गाने में परिवर्तन किया और एंथॉनी डिसूजा के स्थान एंथॉनी गोंजाल्विस कर दिया गया। इस प्रकार फि ल्म ‘अमर अकबर एंथॉनी’ के एक गीत के माध्यम से संगीत निर्देशक प्यारेलाल ने अपने वायलिन वादक गुरु और मशहूर संगीतकार एंथॉनी गोंजाल्विस को अमर कर दिया।
 एंथॉनी गोंजाल्विस 1983 में मुंबई नगरी की चकाचौंध से दूर दक्षिणी गोवा में स्थित अपने गाँव माजोरदा लौट गए। उनका पुत्र ब्रिटेन में रह रहा है। अपने अंतिम दिनों में वह अपनी पेंटर पुत्री लक्ष्मी के साथ रह रहे थे। वर्ष 2012 के प्रारंभ के दिनों में एंथॉनी गोंजाल्विस निमोनिया से ग्रस्त हो गए और उन्हें इलाज के लिए गोवा मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। 19 जनवरी 2012 को वहीं 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। एंथॉनी गोंजाल्विस अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन जब तक माई नेम इज़ एंथॉनी गोंजाल्विस गाना बजता रहेगा उनकी यादों को ताज़ा करता रहेगा और साथ ही संगीत निर्देशक प्यारेलाल के अपने गुरु के प्रति समर्पण की याद भी दिलाता रहेगा।