आवश्यक है घर से बाहर बच्चों की देखभाल

आजकल के बच्चे ज्यादा चंचल और उद्यमी होते हैं। यदि वे सुस्त बैठे रहेंगे तो उन्हें बच्चे कौन कहेगा? जितने उग्र स्वभाव के बच्चे होंगे, उन्हें झेलना उतना ही मुश्किल होगा। खासकर माताओं के लिए तो यह एक समस्या ही है। सारा दिन उन्हीं का तो बच्चों के साथ गुजरता है। ऐसे में, बच्चों को संभालने और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी सारी उन्हीं के सिर पर आ जाती है। जब बच्चे स्कूल चले जाते हैं तभी उन्हें चैन की सांस मिलती है पर क्या दंगली बच्चे घर से स्कूल और स्कूल से घर तक का सफर ऐसे ही शांति से गुजार लेते हैं। नहीं, बल्कि अब तो उन्हें ज्यादा संभालने की जरूरत होती है। 
आप यह मत सोचिए कि आपके बच्चे को तो स्कूल की बस या रिक्शेवाला स्कूल तक लेकर जाता है तो वह सुरक्षित है। पता नहीं आपका बच्चा रिक्शे या बस में कैसे बैठता, उतरता हो। दूसरे बच्चों के प्रति उसका व्यवहार कैसा है, किसी से उसकी नोकझाेंक तो नहीं चल रही, स्कूल वालों ने रिक्शावाले या ड्राइवर को पूरी जांच पड़ताल के बाद ही रखा है या नहीं। उनका आपके बच्चे के साथ किस तरह का व्यवहार है, इन बातों पर खास ध्यान दें। अपने बच्चे को भी टटोल टटोलकर पूछती रहा करें।  स्कूल में जल्दी पहुंचकर आपका बच्चा क्या करता है? स्कूल में टीचरों के साथ उसका व्यवहार किस तरह का है? वह किस तरह के गेम्स वहां खेलता है। इन सब बातों की जानकारी अभिभावकों को रखनी चाहिए। 
ऐसे उग्र बच्चे के अभिभावकों को चाहिए कि वे समय-समय पर स्कूल जाकर अपने बच्चे की निगरानी रखें। घर आने पर उस पर बरसें नहीं बल्कि शांत स्वभाव में उसके साथ बर्ताव करें। घर पर आप उसके लिए थोड़ी लापरवाह हो सकती हैं मगर घर से बाहर उसके लिए लापरवाही न रखें। जब भी बच्चे घर से बाहर निकलें, उन पर निगरानी रखे। हो सके तो स्वयं भी बाहर टहल आएं। उन्हें कोई चीज या सामान आस-पास से लेने भी भेजें तो उन्हें देखती रहें जिससे वे आपकी आंखों से ओझल न हो सकें एवं घरेलू कार्य भी सीख लें। (उर्वशी)