दर्शक हमारे किरदार को देखते हैं, स्क्रीन स्पेस को नहीं मृणाल ठाकुर

मृणाल के अनुसार छोटे पर्दे के धारावाहिक  से मेरी बस एक ही ख्वाहिश थी कि एक आर्टिस्ट बनकर दर्शकों को एंटरटेन कर सकूं और मुझे लगता है कि मैने जो कुछ चाहा, वह सब कुछ भगवान ने मुझे दिया है। मैं कामयाबी से ज्यादा मंजिल की और जारी रहने वाली यात्रा पर ध्यान केन्द्रित करने को प्रमुखता देती हूं। जब मैने अपना करियर शुरू किया, उस वक्त बस यही चाहती थी कि अपने काम के जरिये अपनी पहचान बना सकूं और वह मैंने बना ली है। आज लोग मुझे पहचानते हैं, मेरे काम को पसंद करते हैं। मेरे लिए यही काफी है।  मैं हमेशा यही सोचती हूं कि ज्यादा से ज्यादा ऑडियंस तक कैसे पंहुच सकूं। मैं एक्सप्लोर करना चाहती हूं। बतौर एक्ट्रेस हर तरह के कैरेक्टर और हर भाषा की ऑडियंस के लिए फिल्में करना चाहती हूं। मुझे लगता है कि जब फिल्मों की बात होती है, तब लैंग्वेज मायने नहीं होना चाहिए। एक्टर का मतलब ऐसा शख्स जो हर तरह के किरदार और हर भाषा की फिल्में कर सके। फिल्म ’जर्सी’ की रिलीज का बेसब्री से इंतजार है।  जिस वक्त मुझे फिल्म की कहानी सुनाई गई, तब मुझे अपना किरदार अच्छी तरह समझ में नहीं आया लेकिन उसके बाद जब मैंने वह तेलुगु फिल्म देखी जिसका यह हिंदी रीमेक है, तब मुझे किरदार की अहमियत अच्छी तरह समझ में आ गई। र्मैं अपने कैरियर की शुरूआत में ही समझ गई थी कि लोगों को इस बात से मतलब नहीं होता कि आपको कितना स्क्र ीन स्पेस मिला है। बस वह तो यह देखना चाहते हैं कि आपको जो रोल दिया गया है, उसे आपने किस तरह निभाया है। (अदिति)