ऐसा हो बच्चों का अध्ययन कक्ष

जब तक बच्चे छोटे होते हैं, तब तक वे अधिक समय माता-पिता के साथ व्यतीत करते हैं। जब बच्चे स्कूल जाकर अपनी पढ़ाई नियमित रूप से शुरू करते हैं तो बच्चों को एक ऐसे स्थान की आवश्यकता महसूस होने लगती है जहां वे निश्ंिचत होकर सो, पढ़ और आराम कर सकें, अपनी पुस्तकों और कापियों को अपनी मर्जी से फैला सकें और उन्हें संभाल सकें। ऐसे में समझदार माता-पिता बार-बार की टोकाटाकी से बचने के लिए बच्चों को अलग से ‘अध्ययन कम बैडरूम’ दे देते हैं। बच्चों को पढ़ाई के लिए अलग कमरा देते समय उन्हें मानसिक रूप से तैयार कर देना चाहिए कि उन्हें यह कक्ष इसलिए दिया जा रहा है ताकि वे एकाग्रचित होकर पढ़ाई कर सकें। ऐसा उनकी भलाई के लिए किया जा रहा है। बच्चों को अध्ययन कक्ष देते समय माता-पिता को कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए। प्रकाश की उचित व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। स्टोर जैसा प्रकाशहीन कमरा कभी भी बच्चों को पढ़ने के लिए न दें। ऐसी जगह, जहां प्राकृतिक प्रकाश नहीं पहुंच पाता, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश का आगमन आवश्यक है जिससे बच्चा दिन में बैठकर बोर महसूस न करे या बिजली न होने पर उस कमरे में जाते हुए डरे।  बच्चों के अध्ययन कक्ष में खिड़कियों, दरवाजों व रोशनदान की उचित व्यवस्था होनी चाहिए जिससे दिन में ताजी हवा आ सके। बच्चों के कमरे में पंखा, कूलर आदि सुविधानुसार प्रदान करें जिससे ग्रीष्म ऋ तु में उन्हें गर्मी से जूझना न पड़े या बिजली न होने पर भी खिड़की, दरवाजे खोलकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। बच्चों के अध्ययन कक्ष खेल के मैदान की तरफ न हों या गली में उनके दरवाजे से आना जाना न हो क्योंकि गली से आने जाने वाले हॉकरों की आवाज से उनको असुविधा होगी और जब गली में अन्य बच्चे खेल रहे होंगे तो उनको मन को काबू करना मुश्किल हो जायेगा। अगर आपने बच्चे को अध्ययन कक्ष में कम्प्यूटर लगा कर दिया हुआ है तो समय-समय पर जांच करते रहें कि कहीं ऐसा न हो कि वह कहीं कम्प्यूटर में गेम्स ही खेलता रहे और पढ़ाई पर ध्यान न दे।  बच्चों के टाइम टेबल में मदद करें (उर्वशी)