गेहूं का मंडीकरण

अप्रैल के महीने में प्रदेश की बड़ी सक्रियता रबी की फसल गेहूं की सार-सम्भाल के गिर्द घूमती है। इसीलिए इस महीने का पंजाब में विशेष महत्त्व माना जाता है। नई फसल की आमद एवं खालसा पंथ की स्थापना के दृष्टिगत बैसाखी का त्यौहार भी इसी महीने में मनाया जाता है। अभी तक भी प्रदेश की आर्थिकता का बड़ा आधार कृषि है तथा रबी एवं खरीफ की फसलें क्रमिक रूप से गेहूं एवं धान को विशेष महत्त्व प्राप्त है। विगत कुछ दशकों से जिस प्रकार गेहूं एवं धान को सम्भालने के प्रबन्ध बने हुये हैं, उनमें आए किसी भी प्रकार के अवरोध अथवा गड़बड़ से किसानों का नुकसान होने की आशंका बन जाती है। फसल के मंडियों के आने और फिर उसके निर्विघ्न अपने-अपने ठिकानों अथवा गोदामों में चले जाने से ही सुख का सांस आता है, परन्तु इस बार समय से पूर्व एवं अधिक गर्मी पड़ने से गेहूं के झाड़ में आई कमी तथा गेहूं के दाने सिकुड़ने ने भारी चिन्ता उत्पन्न की है। इसका कारण मौसम में बढ़ रही अनिश्चितता को ही माना जा सकता है।
पंजाब में इस बार लगभग पौने दो लाख टन गेहूं आने का अनुमान लगाया जाता था परन्तु अब इसके काफी कम हो जाने की सम्भावनाएं बन गई हैं। केन्द्रीय खाद्यान्न निगम की ओर से गेहूं की गुणवत्ता में आई कमी के कारण खरीद से हाथ पीछे खींचने को लेकर भी किसानों की कठिनाइयां बढ़ती दिखाई देने लगी हैं। पंजाब की सरकारी खरीद एजेंसियों ने इस पर निरन्तर अपनी आपत्ति जतायी है तथा यहां तक भी कहा है कि यदि केन्द्रीय एजेंसी गुणवत्ता के आधार पर नरमी लाकर फसल नहीं खरीदेगी तो उनके लिए कार्य करना कठिन हो जाएगा। वैसे फसल की आमद के लिए मंडियां पहली अप्रैल से खोल दी गई थीं परन्तु अभी तक गेहूं पूरी तरह न आने के कारण खरीद लक्ष्य से पीछे रह गई है परन्तु इसके साथ ही महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि इसे निर्विरोध मंडियों से उठाया जाता रहे ताकि वहां इसके अम्बार लगने शुरू न हो जाएं। मौसम को देखते हुये भी ऐसा किया जाना बहुत आवश्यक है।
 केन्द्रीय एजेंसी एफ.सी.आई. के साथ-साथ पंजाब की सम्बद्ध एजेंसियों को भी पूरी तरह सक्रिय होने की ज़रूरत है। सरकार को भी मौसम के मिज़ाज के दृष्टिगत गेहूं के झाड़ में आई कमी के कारण किसानों की सहायता हेतु तत्पर रहना चाहिए। इस संबंध में खाद्य एवं सिविल सप्लाई विभाग के मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने भारत सरकार को पत्र लिख कर गेहूं के दानों के सिकुड़ने के संबंध में विशेष रियायत देने की मांग की है। झाड़ में आई कमी के कारण किसानों के हुये नुकसान की पूर्ति के लिए भी पग उठाये जाने चाहिएं। इस संबंध में कुछ स्थानों पर केन्द्रीय एजेंसी की टीमें भी सर्वेक्षण के लिए पहुंची हैं। पंजाब की नई ‘आप’ सरकार की यह पहली परीक्षा है जिससे समुचित ढंग से निपट पाने में ही इसकी बड़ी सफलता माना जाएगा। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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