अब आतंकवाद का स्थायी समाधान हो जाना चाहिए
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में गत 22 अप्रैल को हुए बर्बरतापूर्ण व अमानवीय आतंकी हमले को देश जल्दी भुला नहीं पायेगा। इसमें 26 बेगुनाहों की जान चली गई जिनमें अधिकांश देश के विभिन्न राज्यों से आये हुये पर्यटक शामिल थे। इस अमानवीय घटना की जितनी भी निंदा की जाये वह कम है। इस घटना के बाद राजनीति, भारतीय मीडिया, सोशल मीडिया, पक्ष और विपक्ष से जुड़े कई ऐसे पहलू थे जिन पर चर्चा होनी स्वभाविक थी और वह हुई भी।
बहरहाल 22 अप्रैल से लेकर अब तक इस घटना को लेकर दोनों देशों की ओर से कई कदम उठाये जा चुके हैं। भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध जो अहम फैसले लिए हैं उनमें मुख्य रूप से भारत-पाकिस्तान के बीच हुये सिंधु जल समझौते को स्थगित करना, अटारी सीमा को बंद करना, भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों को इसी मार्ग से लौटने के लिए 1 मई तक की समय सीमा निर्धारित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को भारत का वीज़ा न देना, भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय देना, सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द करना, नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात पाकिस्तानी डिफैंस एडवाइज़र्स को भारत छोड़ने के लिए एक हफ्ते का समय देना तथा दोनों उच्चायोग में तैनात कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 तक किया जाना शामिल है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारत के विरुद्ध कई फैसले लिये हैं जिनमें भारत के साथ हुआ शिमला समझौता स्थगित करना, वाघा बॉर्डर से व्यापार पूरी तरह बंद करना तथा अन्य कई फैसले शामिल हैं।
उधर दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध उठाये जा रहे इन कदमों के बीच पाकिस्तान की ओर से की गयी एक ऐसी स्वीकारोक्ति ने भारत द्वारा पाकिस्तान के विरुद्ध लगभग चार दशकों से लगाये जा रहे इन आरोपों को सच साबित कर दिया है कि पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी भी है और पनाहगाह भी। गौरतलब है कि एक न्यूज़ एजैंसी के संवाददाता ने पहलगाम में आतंकी हमले के सन्दर्भ में जब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाज़ा आसिफ से पूछा कि ‘क्या आप मानते हैं कि पाकिस्तान का इन आतंकी संगठनों को समर्थन देने, प्रशिक्षण देने और धन मुहैया कराने का लंबा इतिहास रहा है?, तो ख्वाज़ा आसिफ ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को धन मुहैया कराने के साथ-साथ उन्हें हर तरह से समर्थन करता रहा है। ख्वाजा आसिफ ने बातचीत के दौरान कहा कि ‘हम अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों के लिए करीब तीन दशकों से यह गंदा काम कर रहे हैं।’ इसे दूसरे शब्दों में कहा जाये तो पाकिस्तान अमरीका व ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों की कठपुतली बनकर आतंकवाद की पनाहगाह व आतंकवादियों का मुख्य उत्पादक देश बना हुआ है।
सच पूछिये तो धर्म के आधार पर भारत से विभाजित होकर 1947 में अलग देश बने पाकिस्तान में शुरू से ही कट्टरता, हिंसा व आतंकवाद का बोल बाला रहा है और समय के साथ से यह और बढ़ता गया। पाकिस्तानी नेताओं व शासकों द्वारा पोषित व प्रायोजित आतंकवाद का पहला निशाना तो पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोग ही बने।
राष्ट्रपति ज़िया-उल-हक के दौर में पाकिस्तान में कट्टरपंथ व आतंकवाद खूब फला-फूला। इसी पाकिस्तान में धर्म के नाम पर आत्मघातियों की भर्ती की गयी जिन्होंने मस्जिदों, दरगाहों व अनेक धार्मिक जुलूसों में अब तक हज़ारों लोगों की जान ली। उसके बाद इसी पाकिस्तान ने तालिबानों को शुरूआती दौर में पूरा संरक्षण दिया। उनके कार्यालय तक खोले गये और ओसामा-बिन-लादेन व मुल्ला उमर के समय में तालिबानी प्रवक्ता पाकिस्तान में बैठकर पत्रकार वार्ता करता तथा तालिबानी नीतियों को सार्वजनिक करता था। अफगानिस्तान की कट्टरपंथी तालिबानी सरकार को मान्यता देने वाला पहला देश पाकिस्तान ही था। पाकिस्तान में पोषित तालिबानी ही आगे चलकर कट्टरपंथी व आतंकी गिरोह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के नाम से जाने गये। यही बाद में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के करीब संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्र के चरमपन्थी उग्रवादी गुटों के संग्ठन के रूप में स्थापित हुये। इनका मकसद पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपन्थी इस्लामी अमीरात को कायम करना था। इस संग्ठन ने भी कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के प्रयास किये थे। तहरीक-ए-तालिबान ही वह संगठन था जिसके छ: आतंकियों ने 16 दिसम्बर, 2014 को पेशावर के सैनिक स्कूल पर हमला करके पाक सैनिकों के ही 126 बच्चों की हत्या कर दी थी।
इन सब वास्तविकताओं के बावजूद जब-जब पाकिस्तान पर आतंकवाद फैलाने या उसे संरक्षण देने का आरोप भारत द्वारा लगाया जाता तो पाकिस्तान यह कह कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करता कि वह तो स्वयं आतंकवाद का दंश झेल रहा है और इसका भुक्तभोगी है, परन्तु पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की ताज़ातरीन स्वीकारोक्ति से यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान ही आतंक फैलाने के लिए ज़िम्मेदार है। मसूद अज़हर, कंधार विमान अपहरण, हाफिज़ सईद, अजमल कसाब, पहलगाम की ताज़ा अमानवीय घटना ऐसे दर्जनों सुबूत हैं जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान द्वारा पोषित व संरक्षित आतंकवाद भारत के लिये स्थाई सिरदर्द बन चुका है, लिहाज़ा इसका स्थायी समाधान किया जाना अब ज़रूरी हो गया है।
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