आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में रखें नेतृत्व पर भरोसा
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी प्रतिरक्षा मंत्री ख्वाजा आरिफ ने वे बातें दुनिया के सामने रखने की हिम्मत जुटाई है जो हमारे हुक्मरान विगत दो दशकों से छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान के प्रतिरक्षा मंत्री आरिफ ने अपने एक हालिया साक्षात्कार में कहा, अमरीका और कुछ यूरोपीय देशों के हितों के लिए पाकिस्तान ने पिछले तीन दशकों से आतंकवादी संगठनों को समर्थन, ट्रेनिंग और पैसा दे रहा है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इसके कारण पाकिस्तान को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है।
ख्वाजा आसिफ ने कबूल करते हुए कहा कि हम पिछले तीन दशकों से अमरीका और पश्चिम देशों के लिए यह गंदा काम करते आ रहे हैं। इस बयान से यह तो साबित हो गया है कि पाकिस्तान अभी भी अपनी ताकत का नकारात्मक उपयोग कर रहा है और दुनिया भर में एक खास मॉडल के आतंकवाद का कारखाना चला रहा है। इस बयान ने यह भी साबित कर दिया है कि इस खेल में अकेले पाकिस्तान ही शामिल नहीं है, उसके साथ वे पश्चिमी ताकतें भी शामिल हैं जो आज भी साम्राज्यवादी मनोवृति से ग्रस्थ हैं।
आधुनिक साम्राज्यवाद का इतिहास औटोमन (तुर्क) साम्राज्य के पतन से प्रारंभ होता है। औटोमन को पाराभूत कर ग्रेट ब्रिटेन दुनिया का सम्राट बन गया। उसके राज्य में सूरज कभी अस्त नहीं होता था। वह दुनिया का एक मात्र भाग्यविधाता भी बन गया लेकिन सत्ता सदा एक के पास नहीं रहती है। प्रथम और दूसरे महायुद्ध ने पूरे पश्चिमी जमात को परेशान कर दिया और दुनिया पर शासन की पकड़ कमज़ोर होने लगी। इस युद्ध के कारण सबसे ज्यादा नुकसान फिरंगियों को उठाना पड़ा। इधर फ्रांस, रूस और अमरीका में नयी शक्तियों का उदय होने लगा। नयी विचारधारा और राजनीतिक समीकरण के कारण रूस लगातार ताकतवर होता चला गया और उसने राजनीतिक साम्राज्यवाद के खिलाफ दुनिया को गोलबंद करना प्रारंभ कर दिया। पश्चिम के गुलाम देशों को समाजवादी रूस का साथ मिलने लगा और एक-एक कर तीसरी दुनिया के देश आज़ाद होने लगे लेकिन फिरंगियों ने यहां भी मौके का फायदा उठाया और दुनिया को अपने तरीके से डिज़ाइन किया। अमरीका के साथ मिलकर एक पूजीवादी साम्राज्यवाद का मॉडल तैयार किया और उस पर काम करना प्रारंभ कर दिया। मध्य-पूर्व को अपने तरीके से विभाजित किया। भारत और पाकिस्तान का बंटवारा भी उसने अपने ढंग से किया। इंग्लैंड को भरोसा था कि भारत की तुलना में पाकिस्तान उसकी वफादारी ज्यादा करेगा। वह आज भी जारी है।
आज जिस इस्लामिक आतंकवाद से दुनिया त्रस्त है, उसका प्रणेता सऊदी अरब या कोई अन्य मुस्लिम देश कतई नहीं है। इस आतंकी मॉडल को भी डिजाइन करने के पूछे फिरंगियों का ही हाथ हो सकता है।
हमारे देश में लम्बे समय तक अमरीका और ब्रिटेन के खिलाफ सरकारें रही लेकिन जब से भारत में समाजवादी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी है तब से पश्चिम के खिलाफ प्रतिरोध के सुर मंद पड़ गए हैं। हालांकि उससे थोड़ा फायदा भी हुआ और माओवादी आतंकवाद और इस्लामिक आतंकवाद पर हमारी सुरक्षा एजेंसी काबू पाने में सफल रही, लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिम के खिलाफ प्रतिरोध से सुर प्रभावी किए हैं तब से एक बार फिर पश्चिमी ताकत भारत को घेरने की योजना में लग गयी है। भारत में इन दिनों जो तोड़-फोड़ की घटनाएं देखने को मिल रही है, वह पश्चिमी ताकत के खिलाफ हमारी लड़ाई का प्रतिफल हो सकता है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर पश्चिमी देशों के एजेंट के रूप में काम करने लगे हैं। इस बात की चर्चा पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारे में भी हो रही है।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान और अफगानिस्तान में बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस है। इस संसाधन को लेकर दुनिया के तमाम ताकतवर देश वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराए रखना चाहते हैं। चूकि भारत इस उप-महाद्वीप का बड़ा और प्रभावशाली राष्ट्र है, इसलिए पश्चिमी शक्तियां इस पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। दूसरी तरफ हमारे देश के अंदर कई प्रकार के अंतरविरोध इन दिनों देखने को मिल रहे हैं। हालांकि यह वर्तमान सत्ता के नीतियों का ही पतिफल है लेकिन वैश्विक स्थिति और हमारी एकता एवं अखंडता के साथ हमारे लोकतांत्रिक मूल्य, साथ ही हमारी आंतरिक सुरक्षा कई प्रकार की चुनौतियों में आकर फंस गयी है। यह बेहद खतरनाक दौर है। संकट की इस घड़ी में हमें साथ रहना होगा और अपने नेतृत्व पर भी भरोसा रखना होगा। यदि यहां चूक गए, तो जो ताकतें हमें उलझाए रखना चाहती हैं, उनकी योजना सफल हो जाएगी और हम लम्बी परेशानी में फंसने को मजबूर हो जाएंगे। (अदिति)