भारत का कड़ा सन्देश

कश्मीर में 22 अप्रैल के बेहद दु:खद और भयावह रक्तिम घटनाक्रम के बाद घाटी में ही नहीं, अपितु देश भर में समूचा माहौल बदल गया है। आतंकवादियों द्वारा किए गए इस कृत्य ने सभी ओर दु:खद माहौल पैदा कर दिया है। पिछले कई दशकों से जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ देश के अलग-अलग स्थानों पर आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां रुकने का नाम नहीं ले रहीं। लगातार इसके कड़े प्रमाण सामने आते रहे हैं कि ऐसी पूरी योजनाबंदी पड़ोसी देश पाकिस्तान में होती रही है। भारत के विरुद्ध सक्रिय रहे और शक्तिशाली बनते रहे इन संगठनों ने प्रतिदिन देश के समक्ष बड़ी चुनौतियां खड़ी करके रखी हैं। घाटी में तो लगातार उनके द्वारा खून की होली खेली जाती रही है, परन्तु पाकिस्तान की शह पर इन्होंने भारत की संसद के साथ-साथ मुम्बई जैसे महानगरों को भी अपनी खूनी चपेट में लिए रखा है। समय-समय पर दोनों देशों में इस कारण कड़ा तनाव भी बनता रहा, परन्तु पाकिस्तान की सेना ने भारत को रक्त-रंजित करने का अपना एजेंडा जारी रखा है। वह लगातार आतंकवादियों के कंधे पर बंदूक रख कर भारत के विरुद्ध केन्द्रित करती रही है। यहां तक कि वर्ष 2019 में पुलवामा में आतंकवादियों ने घातक हमला करके तीन दर्जन से अधिक सुरक्षा बलों को शहीद कर दिया था। उसके बाद भारत ने बड़ी सीमा तक अपने इस पड़ोसी देश से संबंध तोड़ लिए थे परन्तु ऐसा होने के बाद भी उसने कश्मीर हथियाने के नाम पर अपनी बेहुदा हरकतों को जारी रखा है।
विगत कुछ वर्षों से जम्मू-कश्मीर में हुई शांति और बढ़ती गतिविधियों से उसकी बौखहालट और भी बढ़ गई है। देश भर से लाखों ही पर्यटकों के कश्मीर घाटी में पहुंचने से वहां चहल-पहल बढ़ी है और दशकों से असुखद हालात का सामना करते लाखों ही कश्मीरियों की ज़िन्दगी में नई धड़कन आई है। उनके लिए आर्थिक द्वार पुन: खुल गए हैं। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया है। चुनावों के बाद नई प्रदेश सरकार अस्तित्व में आई है। आज उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नैशनल कान्फ्रैंस की सरकार बड़े यत्नों से लोगों के दिल में पुन: अपना प्रभाव स्थापित करने के यत्न में है। विगत वर्ष लगभग 30 लाख पर्यटकों के घाटी में आने से स्थानीय लोगों में नई उमंग और तरंग पैदा हुई थी। इस वर्ष भी पहले से अधिक पर्यटकों के घाटी में आने की सम्भावना उजागर हुई थी, परन्तु पहलगाम के निकट आतंकवादियों के अमानवीय कृत्य ने पूरा माहौल ही ़गमगीन और दु:खद कर दिया है। चाहे इन आतंकवादियों ने स्पष्ट रूप में एक समुदाय के लोगों को निशाना बना कर बन रही भाईचारक सांझ में बड़ी दरार डालने का यत्न किया है परन्तु इस बार जिस तरह समूची घाटी में इन आतंकवादियों के विरुद्ध रोष पैदा हुआ है, उसने समूचे माहौल को पूरी तरह बदल कर रख दिया है।
कश्मीर के बड़े-बड़े शहरों में इस कृत्य के विरुद्ध रोष प्रदर्शन किए गए हैं, जिनका नेतृत्व कश्मीरी नेताओं ने ही किया है। एक रोष प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह हमला पर्यटकों पर ही नहीं, अपितु कश्मीर की आत्मा पर है। इन रोष प्रदर्शनों में घाटी के प्रत्येक वर्ग ने हिस्सा लिया और पूरी घाटी में दुकानें और कारोबार बंद होने से पाकिस्तान को यह सन्देश गया है कि वह उनका मित्र नहीं, अपितु दुश्मन है, जिसने समूचे प्रदेश को ही रक्तिम लड़ाई का गढ़ बना कर रख दिया है और कश्मीरियत की भावना को कुचल दिया है। हुर्रियत कान्फ्रैंस के नेता मीर वाइज़ ने तो यहां तक कहा है कि जो भी बेगुनाह को मारता है, वह समूची इन्सानियत की हत्या करता है। नि:संदेह भारत द्वारा सिंधु जल संधि को खत्म करने की घोषणा और पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के कोई संबंध न रखने के सरकारी बयानों ने उसे एक कड़ा सन्देश दिया है।
ऐसा ही सन्देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देते हुए कहा है कि इन आतंकवादियों और साजिश रचने वालों को कड़ी सज़ाएं दी जाएंगी। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप पाकिस्तान ने भारत से संबंध तोड़ने की घोषणा की है परन्तु साथ यह भी कहा है कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को रोकने का कोई भी यत्न युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। पहलगाम के घटनाक्रम की विश्व भर के देशों में बड़ी आलोचना हुई है, जिससे पाकिस्तान अन्तर्राष्ट्रीय भाईचारे में अकेला खड़ा दिखाई देने लगा है। ऐसे माहौल में युद्ध के बादल भी गहरे हो रहे हैं जोकि एक बार फिर इस क्षेत्र के विनाश का संकेत देते दिखाई दे सकते हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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