घिबली इमेज मज़ेदार ट्रेंड या डिजिटल पहचान की सेंधमारी ?
इन दिनों घिबली स्टाइल में फोटो बनाने का ट्रेंड बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल यह ट्रैंड है ही इतना दिलचस्प कि अपनी कोई भी फोटो लीजिए और किसी भी एआई घिबली स्टाइल क्रिएटर टूल में डालिए, बस पलभर में ही तैयार है आपकी सुपर क्यूइट फोटो यानी आपका क्यूट अवतार। ‘घिबली इमेज’ का ट्रेंड आजकल हर किसी के सिर चढ़कर बोल रहा है और इन दिनों यह सबसे ज्यादा ट्रेंड में है। न जाने कितने ही यूजर्स रोज़ाना चैटजीपीटी अथवा अन्य एप्स के जरिये अपनी तस्वीरों को घिबली इमेज में कन्वर्ट कर रहे हैं। लोगों में घिबली स्टाइल में अपनी तस्वीरें बनाने की हो? सी लगी है। नेता हो या कोई सेलिब्रिटी हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी घिबली स्टाइल में बनी तस्वीरें शेयर कर रहा है। यही कारण है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स इत्यादि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर घिबली स्टाइल में बनी तस्वीरों की जैसे बाढ़ आ गई है। हालांकि एआई चैटबॉक्स से बनने वाली घिबली स्टाइल तस्वीरों को लेकर कॉपीराइट उल्लंघन के आरोप भी लग रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर यह घिबली अवतार है क्या?
जापान का एक एनिमेशन स्टूडियो है ‘स्टूडियो झिबली’, जिसके द्वारा बनाई गई फिल्मों को ऑस्कर अवार्ड भी मिल चुका है। 1941 में टोक्यो में जन्मे हयाओ मियाजाकी को बचपन से ही जापानी कॉमिक्स और ग्राफिक नॉवल्स पढ़ने का बहुत शौक था, जिन्होंने इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1963 में एक एनिमेटर के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया और 1985 में उन्होंने ही ‘स्टूडियो झिबली’ की स्थापना की। ‘स्टूडियो झिबली’ को ‘स्टूडियो जिबुरी’ भी कहा जाता है, जिसे हिंदी और अंग्रेजी में ‘झिबली’ या ‘घिबली’ कहा जा रहा है। स्टूडियो झिबली की वर्ष 2003 में आई फिल्म ‘स्पिरिटेड अवे’ को बेस्ट एनिमेटेड फीचर का अकेडमी अवॉर्ड (ऑस्कर) मिला था। 2003 में ही ‘द बोय एंड द हेरोन’ को 96वां एकेडमी अवॉर्ड मिला था। उन फिल्मों में एनिमेशन का ऐसा कमाल है, जिसने ‘स्टूडियो झिबली’ को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई। आज एआई का उपयोग कर जिस प्रकार की घिबली तस्वीरें बनाई जा रही हैं, उन्हें लेकर झिबली स्टूडियो के फाउंडर और एनिमेटर मियाजाकी बेहद निराश हैं। उनका कहना है कि वे अपने काम में एआई तकनीक को कभी शामिल नहीं करना चाहेंगे। दरअसल उनके स्टूडियो में एनिमेशन बनाने में किसी भी डिजिटल तकनीक की मदद नहीं ली जाती बल्कि सभी एनिमेशन हाथ से बनाए जाते हैं। वह कहते हैं कि एक एनिमेटर का औजार केवल पेंसिल होता है।
चैटजीपीटी से यूजर्स इन दिनों अपने किसी भी फोटो को ‘स्टूडियो झिबली’ स्टाइल इमेज में बदल रहे हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इन दिनों घिबली स्टाइल तस्वीरों का तांता लग गया है और अनगिनत वायरल मीम भी घिबली स्टाइल में देखने को मिल रहे हैं। चैटजीपीटी और ग्रोक जैसे प्लेयटफॉर्मों द्वारा शुरू हुए इस ट्रैंड पर लोग अपनी तस्वीरें लेकर टूट पड़े हैं और हर कोई इस बहती गंगा में हाथ धोता दिख रहा है तथा सोशल मीडिया पर घिबली स्टाइल में अपनी कहानी बता रहा है। लोग घिबली इमेज के ट्रेंड के चक्कर में अपनी तथा अपने परिजनों की एआई-जनरेटेड तस्वीरें बिना कुछ सोचे-विचारे धड़ल्ले से शेयर कर रहे हैं। यदि आप भी ऐसा ही करने जा रहे हैं तो जरा सावधान हो जाइए क्योंकि घिबली इमेज का यह ट्रैंड देखने में जितना मजेदार लगता है, यह उससे कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता है। यदि आप सोच रहे हैं कि एआई से अपनी घिबली तस्वीरें जनरेट करवाना मजेदार है और इसका इस्तेमाल केवल मनोरंजन के लिए ही हो रहा है तो आप गलत सोच रहे हैं। घिबली इमेज का यह ट्रैंड वास्तव में बैठे-बिठाए आपके लिए बड़ी मुश्किल को दावत दे सकता है।
क्या आप जानते हैं कि घिबली इमेज के लिए अपलोड की गई आपकी फोटो आखिर जा कहां रही है और आपकी फोटो के साथ क्या हो सकता है? क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी ये तस्वीरें कहां स्टोर हो रही हैं और इस ट्रैंड का हिस्सा बनकर बिना सोचे-समझे एआई प्लेटफॉर्म्स पर अपनी निजी तस्वीरें शेयर करना आपके लिए कितना सुरक्षित है? आप अनजाने में ही अपना ‘फेशियल रिकॉग्निशन’ यानी अपने चेहरे की पहचान एआई कंपनियों को सौंप रहे हैं। ज्यादातर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अपलोड की गई तस्वीरों को अपने सर्वर पर स्टोर कर सकते हैं। वास्तव में एआई प्लेटफॉर्म्स पर शेयर की जाने वाली आपकी निजी तस्वीरों से आपके चेहरे से कोई और पैसा कमा रहा होता है। इस ट्रैंड की वजह से ओपन एआई को आपके फेशियल डेटा को एक्सेस करने की आज़ादी मिल रही है, जो आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स का स्पष्ट कहना है कि बिना सोचे-समझे इस तरह अपनी निजी तस्वीरों को भी एआई के हवाले करना आपके लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है क्योंकि आपकी तस्वीरों के साथ कभी भी कुछ ऐसा हो सकता है, जो आगे चलकर आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, ये डेटा पासवर्ड या क्रेडिट कार्ड नंबर से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि पासवर्ड को तो आप बदल सकते हैं और क्रेडिट कार्ड को भी ब्लॉक करा सकते हैं लेकिन यदि आपका चेहरा ही चोरी हो जाए तो उसे आप नहीं बदल सकते।
माना कि एआई तकनीक आज हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है और मनोरंजन से लेकर बड़े कामों को आसान करने तक, इससे काफी कुछ किया जा सकता है। एआई ने हमारी जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है लेकिन यह हमें अनजाने में बड़ी मुश्किलों में भी डाल सकता है। इसलिए एआई तकनीक को भूल से भी हल्के में लेने की कोशिश न करें और बिना सोचे-समझे किसी भी एआई प्लेटफॉर्म में अपनी तस्वीरें अपलोड करने से बचें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस घिबली इमेज ट्रेंड के चलते चैटजीपीटी तथा अन्य एआई एप्स के पास लोगों की निजी तस्वीरों का एक्सेस आ जाएगा, जिनका इस्तेमाल वह भविष्य में किस प्रकार करेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। गूगल और फेसबुक (मेटा) जैसी बड़ी कंपनियों पर आरोप लगते रहे हैं कि वे यूजर्स की तस्वीरों का उपयोग अपने एआई मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिए करती हैं। ‘पीमआईज’ जैसी वेबसाइट्स किसी भी व्यक्ति की फोटो अपलोड करके उसकी पूरी डिजिटल उपस्थिति निकाल सकती हैं, जिसका सीधा सा अर्थ है कि स्टॉकिंग, ब्लैकमेलिंग और साइबर क्राइम के मामले बढ़ सकते हैं। ‘स्टैस्टिका’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 तक ‘फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी’ का बाज़ार 5.73 बिलियन डॉलर और 2031 तक 14.55 बिलियन डॉलर का हो सकता है। कुछ साल पहले ‘क्लीयरव्यू एआई’ नामक कंपनी पर बिना इजाजत सोशल मीडिया और न्यूज वेबसाइट्स से तीन अरब से भी ज्यादा तस्वीरें चुराने का आरोप लगा था। उस कंपनी द्वारा वह सारा डेटा पुलिस और निजी कंपनियों को बेच दिया गया था। इस डेटा का इस्तेमाल कई तरीके से होता है और इससे करोड़ों की कमाई की जाती है। मई 2024 में ऑस्ट्रेलिया की ‘आउटएबॉक्स’ कंपनी का डेटा लीक हुआ था, जिसमें 10 लाख से ज्यादा लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और पते चोरी हो गए थे। वह डेटा एक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था, जिससे हजारों लोग पहचान चोरी और साइबर धोखाधड़ी के शिकार हुए थे।
साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, एआई स्वयं इस तरह अपलोड की जाने वाली तस्वीरों के ट्रेंड को असुरक्षित बताते हुए स्पष्ट करता है कि एआई इमेज जनरेशन टूल्स, सोशल मीडिया साइट्स जैसे अधिकांश ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अपलोड की गई तस्वीरों को अपने सर्वर पर स्टोर कर सकते हैं। कुछ प्लेटफॉर्म अस्थायी रूप से इमेज स्टोर करते हैं लेकिन कुछ इसे लंबे समय तक सेव कर सकते हैं। कई प्लेटफॉर्म पर आपकी तस्वीरें अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध हो सकती हैं, खासकर यदि प्लेटफॉर्म का कोई सार्वजनिक गैलरी फीचर हो, इसलिए सबसे पहले गोपनीयता नीति पड़ें और जांचें कि आपकी तस्वीरों का उपयोग एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने अथवा अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है या नहीं। यदि किसी एआई प्लेटफॉर्म की सुरक्षा मजबूत नहीं है या आपकी तस्वीरें कहीं लीक हो जाती हैं तो फर्जी प्रोफाइल बनाने, एआई डीपफेक इमेज जनरेशन जैसे कार्यों में भी इनका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए यदि आप नहीं चाहते कि आपकी पहचान का गलत इस्तेमाल हो तो किसी भी एआई ऐप पर अपनी तस्वीरें अपलोड करने से पहले एक बार जरूर इस बारे में सोचें। डेटा लीक, आइडेंटिटी चोरी और साइबर धोखाधड़ी जैसी समस्याओं से बचने के लिए हमें स्वयं ही सतर्क रहना होगा।