दुनिया के सबसे छोटे देश के राजा थे पोप फ्रांसिस

इस समय दो प्रश्न महत्वपूर्ण हैं। एक, पोप फ्रांसिस के बाद अगला पोप कौन होगा? और दूसरा यह कि क्या नये पोप भी कैथोलिक चर्च को उसी दिशा में ले जाने का प्रयास करेंगे, जिस तरफ पोप फ्रांसिस ले जा रहे थे? फ्रांस के 66 वर्षीय जीन-मार्क एवेलीन, हंगरी के 72 वर्षीय पीटर एरडो, माल्टा के 68 वर्षीय मारियो ग्रेश, स्पेन के 79 वर्षीय जीन जोज़ ओमिला, इटली के 70 वर्षीय पिएट्रो परोलिन, फिलीपींस के 67 वर्षीय लुई टगी, अमरीका के 72 वर्षीय जोसफ टोबिन, घाना के 76-वर्षीय पीटर तुर्कसन और यूक्रेन के 46 वर्षीय मयकोटा ब्यचोक अगले पोप की दौड़ में हैं। फुटबॉल के शौकीन पोप फ्रांसिस कैथोलिक चर्च को अधिक समावेशी बनाने का प्रयास कर रहे थे। वह तलाक, विवाहित पादरियों की संभावना, धार्मिक मामलों में महिलाओं को अधिक भूमिका देने जैसे विषयों पर वाद-विवाद के लिए तैयार थे। इस वजह से उनका परंपरावादियों से टकराव भी रहता था। वह गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों के लिए मसीहा थे। उनके इस खुलेपन ने उदारवादियों को उत्साहित कर दिया था। पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल 2025 को स्ट्रोक व दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह 88 साल के थे। उनका अंतिम संस्कार 26 अप्रैल 2025 को वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्क्वायर पर किया गया, जिसमें विश्व के कई नेताओं ने शिरकत की।
इटली में एक कहावत प्रचलित है कि उस व्यक्ति पर अपना पैसा मत लगाना जो पोप बनने की दौड़ में सबसे आगे हो। गौरतलब है कि नये पोप का चयन कॉन्क्लेव में किया जाता है। इसमें कार्डिनल्स बंद कमरे में पोप का चयन करते हैं। बैलेट्स को एक विशेष अंगीठी में जला दिया जाता है। इस बंद कमरे की चिमनी से काले धुएं का निकलना संकेत देता है कि पोप का चयन नहीं हुआ है, जबकि सफेद धुएं का अर्थ होता है कि कार्डिनल्स ने कैथोलिक चर्च के नये प्रमुख को चुन लिया है। भारत में जो 6 कार्डिनल्स हैं उनमें से जिन चार की आयु 80 साल से कम है, वह भी पापल कॉन्क्लेव में नया पोप चुनने के लिए मतदान करेंगे। गोवा व दमन के आर्चबिशप, कार्डिनल फिलिप नेरी फेर्रो, जो सीसीबीआई (कांफ्रैंस ऑ़फ कैथोलिक बिशप्स ऑ़फ इंडिया) और एफएबीसी (फेडरेशन ऑ़फ एशियन बिशप्स कांफ्रैंस) के भी अध्यक्ष हैं, नये पोप के लिए मतदान करेंगे, तीन अन्य भारतीय कार्डिनल्स के साथ। जो तीन अन्य भारतीय कार्डिनल्स मतदान करेंगे वह हैं 64-वर्षीय बेसलिओस क्लीमिस, 51 वर्षीय जॉर्ज कूवाकड (जिन्हें पिछले साल 7 दिसम्बर को कॉलेज ऑ़फ कार्डिनल्स में शामिल किया गया था) और 63 वर्षीय अंथोनी पूला, जोकि पहले दलित कार्डिनल हैं व हैदराबाद के आर्चबिशप हैं। कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रासिअस 80 साल के हैं और कार्डिनल जॉर्ज एलनचेरी जो इस 18 अप्रैल को 80 साल के हुए, को मतदान का अधिकार नहीं होगा क्योंकि 80 साल का होने पर वोट करने का हक नहीं रहता है।
पोप फ्रांसिस को भारत से विशेष प्यार था और वह भारत की यात्रा पर आना भी चाहते थे, लेकिन अपनी बीमारी की वजह से वह न आ सके। इस साल के शुरू में उन्हें पांच सप्ताह तक अस्पताल में रहना पड़ा था। मौत अचानक व शांतिपूर्ण आयी। सुबह लगभग 5:30 बजे उन्होंने बेचैनी की शिकायत की। तुरंत उनकी टीम उनकी देखभाल में लग गई। इसके थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी नर्स की ओर अलविदा का इशारा किया और कोमा में चले गये। उनके निधन का समय सुबह 7:35 बताया गया। भारत में चर्च 9 दिन का शोक मना रहे हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष प्रार्थनाओं व मास का आयोजन किया जा रहा है। 
भुवनेश्वर में जनवरी 2024 में सीसीबीआई की 36वीं प्लेनरी असेंबली हुई थी। इसमें भारतीय बिशपों को अपने विशेष संदेश में पोप फ्रांसिस ने उनसे आग्रह किया था कि वह अपने क्षेत्रों में गरीबों व कमजोरों की सेवा को प्राथमिकता दें और सभी इंसानों के लिए चर्च के दरवाज़े खोल दें। गोवा की नन सिस्टर लूसी ब्रिटटो ने 16 साल तक वेटिकन में काम किया और उन्होंने 3 पोप की सेवा की। उनके अनुसार, पोप फ्रांसिस विन्रम स्वभाव के व्यक्ति थे, जो सादगी का जीवन व्यतीत करते थे, लेकिन उनके विचार गहरे थे। वह सभी से अच्छे संबंध बनाने में विश्वास रखते थे और गरीबों में भी सबसे गरीब तक पहुंचने का प्रयास करते थे। सिस्टर लूसी अब रिटायर होकर उत्तरी गोवा के कान्डोलिम में रहती हैं। वह वेटिकन सचिवालय के आर्काइव सेक्शन में कार्य करती थीं। वहां उन्हें पोप के पास आने वाले लाखों पत्रों को देखने का अवसर मिलता था। इन पत्रों में बधाई संदेश, प्रार्थनाओं के लिए आग्रह, मदद के लिए पुकार और बच्चों द्वारा की गई ड्राइंग्स तक होती थीं। सिस्टर लूसी के अनुसार, पोप फ्रांसिस बच्चों की फरमाइश कभी नहीं ठुकराते थे। एक बच्चे ने यूरो में कुछ सिक्के भेजे और आग्रह किया कि उतने मूल्य के वेटिकन सिक्के उसे भेज दिए जायें। पोप फ्रांसिस ने उसे दो गुने वेटिकन सिक्के भेजे। वह बच्चों को अक्सर वेटिकन के स्टैम्प भी भेजते थे। वह जब 2013 में पोप बने तो सारा स्टाफ उनसे मिलने के लिए गया। सिस्टर लूसी ने उनका अभिवादन हाथ जोड़कर नमस्ते से किया और बताया कि वह भारतीय हैं। पोप फ्रांसिस ने भी जवाब नमस्ते से ही दिया। वह अपने कर्मचारियों से कभी काम के बारे में मालूम नहीं करते थे बल्कि हालचाल मालूम करते थे। उनका सेंस ऑ़फ ह्यूमर गज़ब का था। सिस्टर लूसी कहती हैं कि पोप फ्रांसिस की विशेष दिलचस्पी गरीबों के उत्थान में थी और वह ज़माने के साथ चलना चाहते थे, इसलिए परिवारों व राजनीतिक मामलों में विशेष दिलचस्पी रखते थे।
जहां पोप बेनडिक्ट-16 को मोज़ार्ट प्रिय था वहीं पोप फ्रांसिस फुटबॉल के दीवाने थे, जो उनके अनुसार ‘सबसे सुंदर खेल है’। वह अक्सर बताते कि जब वह लड़के थे तो ब्यूनस आयर्स की सड़कों पर फटे-पुराने कपड़ों से बनी गेंद से फुटबॉल खेला करते थे। वह स्वीकार करते कि वह ‘अच्छे खिलाड़ी न थे’ और अक्सर गोलकीपर के रूप में खेलते थे, जोकि उनके अनुसार अच्छा तरीका है यह सीखने का कि खतरे का मुकाबला कैसे किया जाये क्योंकि खतरा तो कहीं से भी आ सकता है। वह पोप बनने के बाद भी अर्जेंटीना में सन लोरेंजो क्लब के सदस्य बने रहे, जिससे इस क्लब के प्रति वफादारी और फुटबॉल से उनके प्रेम का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
अपने कार्यकाल के दौरान पोप फ्रांसिस ने अनेक तरह से कैथोलिक चर्च को नई दिशा देने का प्रयास किया, जिसमें वह सफल भी रहे और असफल भी। उन्होंने चर्च में बाल यौन शोषण की समस्या का समाधान करने का प्रयास किया और इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे। उन्होंने वेटिकन की जटिल वित्तीय संस्कृति का हल निकाला। उन्होंने चर्च के भीतर पुरातन पंथियों की जगह प्रगतिशील व आधुनिक विचारों वाले बिशपों को प्राथमिकता दी। वह बिशप का चयन करते समय प्रबंधकों पर पास्टर्स को पॉवर ब्रोकर्स पर स्ट्रीट प्रिस्टस को वरीयता देते थे। उन्होंने बिशप के नामंकनों पर चीन से समझौता किया। अब देखना यह है कि कैथोलिक चर्च को जो उन्होंने अधिक समावेशी बनाने की राह चुनी उस पर नये पोप चलते हैं या नहीं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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