‘खेलो इंडिया’ खेल बनाम लास एंजिलस ओलम्पिक-2028

भारत सरकार द्वारा ‘खेलो इंडिया’ के माध्यम से खेलों के स्तर को ऊपर उठाने का किया जा रहा प्रयास प्रशंसनीय है। आप सोचते होंगे कि लास एंजिलस ओलम्पिक-2028 के साथ इन खेलों का क्या संबंध है, बहुत ही गहरा संबंध है। इन खेलों की तैयारी का जन्मदाता ‘खेलो इंडिया’ खेल हैं। ‘खेलो इंडिया’ खेल क्या हैं? ये कब और क्यों शुरू हुए, इनका मुख्य उद्देश्य क्या है, जानना आवश्यक है। ‘खेलो इंडिया’ का मुख्य लक्ष्य खिलाड़ियों की प्रतिभा खोज का निरीक्षण करने के बाद खिलाड़ियों के लिए अच्छी शिक्षा तथा अच्छा प्रशिक्षण प्राथमिक कर्त्तव्य हैं। खिलाड़ियों को वज़ीफा राशि देना भी इसका भाग है, जिसकी बदौलत परिणाम सार्थक हो सकते हैं। भारत में सबसे पहले ये खेल 31 जनवरी से 8 फरवरी 2018 तक दिल्ली में हुए, ये खेल ‘खेलो इंडिया’ स्कूल गेम्स-2018 के रूप में जाने जाते हैं। इस खेलों में सबसे पहले अधिकतर नैशनल स्कूल खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों ने शिरकत की थी। इन खेलों में भाग लेने के लिए खिलाड़ियों की आयु सीमा अंडर-18 वर्ष (लड़के-लड़कियां) रखी गई थी। एक वर्ष के बाद ‘खेलो इंडिया’ खेलों की रूप-रेखा बदल कर इन खेलों का नाम स्कूल गेम्स से यूथ गेम्स कर दिया गया। खिलाड़ियों की आयु सीमा में भी परिवर्तन किया गया, जिसमें आयु वर्ग अंडर-18 तथा अंडर-21 खिलाड़ियों को स्वीकृति दी गई। पहले ‘खेलो इंडिया’ यूथ खेल 9 जनवरी से 20 जनवरी 2019 तक पुणे (महाराष्ट्र) में हुए। इन खेलों से ‘खेलो इंडिया’ में यूथ खेलों का प्रभाव बढ़ना शुरू हो गया, मेधावी खिलाड़ी इन खेलों से पिछड़ते नज़र आए। वर्ष 2020 के ‘खेलो इंडिया’ यूथ खेल 10 जनवरी से 22 जनवरी तक गुवाहाटी (असम) में हुए। वर्ष 2021 के ‘खेलो इंडिया’ यूथ खेल पंचकूला (हरियाणा) में होने तय हुए थे, परन्तु कोरोना के कारण अनिश्तिकाल के लिए स्थगित कर दिये गए। भारत सरकार ने ‘खेलो इंडिया’ खेलों में एक और परिवर्तन किया, जिसके तहत यूनिवर्सिटियों को भी स्थान दिया गया। ‘खेलो इंडिया’ यूथ यूनिवर्सिटी गेम्स-2020 22 फरवरी से 1 मार्च 2020 तक भुवनेश्वर (उड़ीसा) में करवाई गईं। खेलों का बदलता रूप मेधावी खिलाड़ियों को रास नहीं आ रहा। खिलाड़ियों की आयु में किया गया परिवर्तन लास एंजिलस ओलम्पिक-2028 के आने वाले परिणामों पर प्रश्न चिन्ह लगा सकता है, क्योंकि खेलो इंडिया कमेटी की जिम्मेदारी है खिलाड़ियों की प्रतिभा की खोज का निरीक्षण करने के बाद प्रत्येक वर्ष 1000 खिलाड़ियों की नियुक्ति करनी होती है। यह नियुक्ति 2018 से 2028 तक लगातार करते रहना तथा सरकार द्वारा खिलाड़ियों को दी जाने वाली सुविधाओं को उन तक पहुंचाना ‘खेलो इंडिया’ कमेटी की ज़िम्मेदारी होती है। खेल विशेषज्ञों के अनुसार अंडर-18 वर्ष के खिलाड़ियों की नियुक्ति करना ठीक है, ये खिलाड़ी ओलम्पिक-2028 में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी स्तर पर खिलाड़ियों की आयु अधिक होती है, खिलाड़ियों का खेल प्रक्रिया से लम्बा समय जुड़े रहना कोई आसान नहीं है। एक दशक तक अर्थात् वर्ष 2028 तक बढ़ती आयु का खमियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। भारत सरकार द्वारा खिलाड़ियों को ओलम्पिक स्तर तक ले जाने तक का किया गया प्रयास प्रशंसनीय है। यदि 10 वर्ष की योजना में कोई न कोई कमी नज़र आती है तो उसे जल्द से जल्द दूर किया जाए तथा योग्य खिलाड़ियों की नियुक्ति की जाए। भारत सरकार द्वारा खेलों के लिए ‘खेलो इंडिया’ के माध्यम से किये गए प्रयास की बदौलत देश का तिरंगा झंडा लास एंजिलस ओलम्पिक-2028 (अमरीका) में बुलंदियों पर नज़र आएगा। 

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