अपनी कप्तानी से क्रिकेट जगत में विशेष स्थान हासिल किया था नवाब पटौदी ने

मंसूर अली खान पटौदी भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और महान खिलाड़ी थे। उन्होंने अपनी कप्तानी से क्रिकेट जगत में विशेष स्थान हासिल किया था। नवाब पटौदी ने अपने नेतृत्व कौशल से भारतीय क्रिकेट में नये आयाम जोड़े थे।नवाब पटौदी जिन्हे टाइगर पटौदी भी कहा जाता था, का जन्म 5 जनवरी, 1941 में मध्य प्रदेश के भोपाल के शाही परिवार में हुआ था। नवाब पटौदी इफ्तकार अली खान पटौदी के बेटे थे, जो भोपाल के आठवें नवाब थे। इफ्तकार अली खान पटौदी को सीनियर पटौदी नाम से जाना जाता था, उन्होंने भी भारतीय टीम की कप्तानी की थी।  नवाब पटौदी ने प्राथमिक शिक्षा देहरादून के प्रसिद्ध स्कूल वेलहम बॉयज स्कूल से प्राप्त की, और उन्होंने ज्यादातर उच्च शिक्षा इंग्लैंड से प्राप्त की।  नवाब पटौदी का जन्म भले ही शाही परिवार में हुआ हो लेकिन फिर भी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा, चाहे निजी जीवन हो या क्रिकेट करियर।नवाब पटौदी जब महज 11 साल के थे तब उनके पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।पिता की हुई अचानक मौत से जूनियर पटौदी बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया था। किसी तरह इस सदमे से वह बाहर आये, घर वालों और दोस्तों के मनाने पर उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया। फिर चार साल बाद उनका नाम अखबारों में आया जब उन्होंने विनचेस्टर की ओर से खेलते हुये शानदार प्रदर्शन किया। जब वह 20 वर्ष के हुए तब इंग्लैंड में एक कार दुर्घटना में उन्हें काफी चोट पहुंची जिसमें उनकी दाईं आंख की रौशनी चली गई। दाईं आंख की रौशनी चले जाने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने न सिर्फ  भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई बल्कि भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया। उन्होंने भारतीय टीम के अलावा दिल्ली, हैदराबाद और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के लिए भी क्रिकेट खेला था। अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर में नवाब पटौदी ने 310 मैच खेले जिसमें उन्होंने 33.67 की औसत से 15425 रन बनाये जिसमे 33 शतक और 75 अर्ध शतक शामिल हैं। नवाब पटौदी को 13 दिसम्बर, 1961 में अंतर्राष्ट्रीय टैस्ट क्रिकेट खेलने का पहली बार मौका मिला। यह टैस्ट मैच दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ  खेला गया था। इसके एक वर्ष बाद ही उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बनने का मौका मिला। उन्होंने अपने टैस्ट करियर में 46 मैच खेले, जिसमे उन्होंने34.91 की औसत से 2693 रन बनाये थे, जिसमे उन्होंने 6 शतक और 16 अर्ध शतक लगाये थे। 203 रन उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर था। आपको उनका औसत भले ही ज्यादा न लग रहा हो लेकिन उन्होंने अपने करियर के 47 में से 40 मैच एक आंख की रोशनी जाने के बाद खेले थे। नवाब पाटौदी का विवाह 1 मार्च, 1967 में भारतीय फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से हुआ था। इनके तीन बच्चे हुए जिनके नाम सैफ अलीखान, सोहा अली खान और सबा अली खान हैं। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने 1993 में मैच रैफरी के रूप में नये जीवन की शुरुआत की। नवाब पटौदी ने दो टैस्ट और 10 एक दिवसीय मैच में मैच रैफरी की भूमिका निभाई। फिर 1996 में नवाब पटौदी ने इस भूमिका से भी संन्यास ले लिया। 22 सितम्बर, 2011 को उनका निधन हो गया।