ऐसे करें छोटे बच्चें का पालन-पोषण

हर स्त्री के लिए पहली बार मां बनना एक सुखद अहसास होता है पर बच्चे का लालन पालन करना आसान काम नहीं। दादी मां के अनुभवों से आप भी लाभ उठा सकते हैं अपने लाडले लाडलियों का पालन-पोषण करने में।
बच्चे को एकांत स्थान पर अकेला न छोड़ें। न ही अकेला सोता छोड़ स्वयं घर से कहीं बाहर जायें।
जब तक बच्चे में बैठने की क्षमता विकसित न हो, तब तक उसे बैठाने का प्रयास न करें। इससे बच्चे की रीढ़ की हड्डी पर कुप्रभाव पड़ता है।
बच्चे को तेज हवा, तेज प्रकाश, तेज धूप, आंधी से बचा कर रखें।
बच्चे को कभी भी ऊपर उठाकर उछालें नहीं। ऐसा करने से कोई भी दुर्घटना घट सकती है। बच्चे को बार-बार ऊपर नीचे भी न करें।
बच्चे को दीवारों पर बनी परछाई को दिखाकर डरायें नहीं। इससे उसके उचित विकास में बाधा पड़ सकती है।
बच्चे के हाथ में सिक्का, कील आदि कोई भी नोकदार वस्तु न दें। इससे वह स्वयं को नुकसान पहुंचा सकता है। 
सोते हुए बच्चों को एकदम न उठाएं। इससे वो डर सकता है और बीमार भी पड़ सकता है। वैसे भी बच्चे को डराना उसके विकास के लिए उचित नहीं है।
बच्चों को नर्म, सुखद बिस्तर पर लिटाएं। बच्चे को गीला और नंगा न छोड़ें। जब बच्चा जाग रहा तो तो उसे खेलने के लिए छोड़ दें और ध्यान रखें कि नीचे न गिरे। उसके आस-पास रहें।
बच्चे को दिन में तीन चार बार अपनी छाती के साथ चिपटा कर प्यार अवश्य करें ताकि बच्चा अपने आप को सुरक्षित महसूस करे।
बच्ची हो तो उसके कान जब वो आठ माह की हो जाए, तब छिदवाएं।
बच्चों को कभी कंगन या ऐसे डिजाइन के लॉकेट न पहनाएं जिसके किनारे नोकदार या चुभाने वाले हों।
प्रतिदिन बच्चों को स्नान करवा कर साफ सुथरे वस्त्र पहनाएं। उनके नीचे पहनने वाले वस्त्रों को सप्ताह में एक बार डिटॉल वाले पानी से धोकर सुखाएं।
बच्चों को नर्म व आगे से खुलने वाले वस्त्र पहनाएं। वस्त्र अधिक टाइट न हों।
बच्चों के पेट में गैस बनने पर नाभि के चारों ओर दाएं से बाएं हल्के हाथों से मालिश करने से लाभ होता है। (उर्वशी)