क्या गर्मियों की छुट्टियां लाभप्रद चल रही हैं ?

बच्चों के साथ मिलकर बनाएं योजना : कुछ बच्चे छुट्टियों के पहले सप्ताह और अंतिम सप्ताह ही स्कूल से मिला सारा काम खत्म करने का प्रयास करते हैं ताकि वह जल्दी-जल्दी खाली हो जाएं और शेष छुट्टियां खेलने-कूदने में बिता सकें। जल्दबाज़ी में जहां कई बार गलतियां होने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं, साथ ही बच्चे काम को पूरी तरह समझ कर नहीं करते।
इसमें माता-पिता बच्चों का सहयोग कर सकते हैं कि स्कूल से मिले छुट्टियों के काम को प्रतिदिन थोड़े-थोड़े समय में करने के लिए अच्छी तरह बांट कर बच्चे को दें ताकि बच्चे को काम का बोझ न लगे और समझ कर भी करे। साथ ही उसे खेलने का समय भी मिले। 
बच्चों की रुचियों का करें विकास : छुट्टियां बच्चों में छिपी हुई कई ललित कलाओं को उभारने के लिए बहुत अच्छा समय हो सकती हैं जैसे कि पेंटिंग, लिखाई में सुधार, गीत गाना, डांस या अन्य मनपसंद खेल में अभ्यास करना आदि। यदि बच्चों का अच्छा नेतृत्व किया जाए तो यह छुट्टियों के समय का सद्पयोग भी हो सकता है साथ ही बच्चों का शारीरिक विकास भी सम्भव हो सकेगा। 
बच्चों के साथ समय बिताएं : ज़िन्दगी का पहिया बहुत तेज़ी से घूम रहा है। इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में कहीं न कहीं बच्चों के माता-पिता उनको अधिक समय नहीं दे पाते। छुट्टियों में क्योंकि बच्चे भी घर पर होते हैं। इसलिए बच्चों के साथ अधिक व्यतीत कर उनकी मन की भावनाओं को समझना, बच्चों के साथ खेलना, प्रेरणादायक कहानियां सुनाना, अपनी ज़िन्दगी के अनुभव सांझा करना और बच्चों के भीतर बोल-चाल का सलीका, बोल-चाल के गुण शब्द भंडार विकसित करना आदि पक्षों का लाभ उठा सकते हैं। 
नैतिक आदतों का अभ्यास करना : सुबह उठकर सत्श्री अकाल, नमस्ते, घर आए अतिथियों का स्वागत आदि पक्षों के बारे में बताया जा सकता है। बच्चों की छुट्टियों के दौरान घर के कामों में हाथ बंटाने के लिए भी सहायता की जा सकती है। ताकि भविष्य में वह हाथों से काम करने की शिक्षा ले सकें। पुरातन समय में भी बच्चे पौधों को पानी देना, स्कूल के कमरों की सफाई करना और कई अन्य कामों में भी अपने अध्यापकों की सहायता करते थे। लेकिन आजकल वह समय नहीं रहा क्योंकि हमारी सोच बदल गई है। इसलिए आज के बच्चे शारीरिक पक्ष से कमज़ोर और बीमारियों से ग्रस्त हैं। 
बच्चों को अपनी कमियां दूर करने का अवसर दें : छुट्टियों के दौरान बच्चे अपनी पढ़ाई और अन्य पक्ष की कमज़ोरियों को दूर करने के लिए अच्छा अभ्यास कर सकते हैं, जैसे कि अधिकतर बच्चे ऐसे होते हैं कि जिनकी लिखाई साफ नहीं होती तो वह छुट्टियों में लिखने का अब्यास करके सुधार कर सकते हैं। अधिकतर बच्चों को पढ़ने में मुश्किल होती है तो वह पढ़ने का अभ्यास करके गति को बढ़ा सकते हैं। बहुत-से बच्चों के भीतर आत्म-विश्वास की कमी होने के कारण वह खुल कर अपनी भावनाओं को दूसरे के समक्ष व्यक्त कर पाते। तो छुट्टियों के दौरान उन्हेें बातचीत के द्वारा अधिक से अधिक प्रेरित करके और हौसला बढ़ा कर उनके भीतर आत्म-विश्वास पैदा किया जा सकता है।