ध्यानपूर्वक करें बोन्साई की देखभाल

कुछ प्लाटंस काफी बड़े होते हैं। उन्हें गमलों में लगाकर उनकी कटाई छंटाई बहुत ध्यान पूर्वक कर बोन्साई तैयार किया जाता है। फिर इसे इनडोर प्लांट की तरह घर की शोभा बढ़ाने के लिए रखा जाता है। बोन्साई में फूलों वाले, फलों वाले, जूनिपर्स और पाइन्स जैसे पौधे होते हैं।
बोन्साई जितना मुश्किल से बनाया जाता है, उतना ही उसका ध्यान अधिक रखा जाता है तभी वो जिंदा रह सकता है। यदि उसका ध्यान ठीक से न रखा जाए तो वो सूख सकता है। वैसे बोन्साई के लिए छोटा पॉट ही चाहिए और मिट्टी भी कम। अगर मिट्टी का चयन ठीक न हो तो बोन्साई को अधिक समय तक जिन्दा रखना मुश्किल हो जाता है।
बोन्साई के लिए मिट्टी ऐसी होनी चाहिए जो पानी को रोक सके। इसके लिए सैंडी लोम मिट्टी उपयुक्त रहती है। ऐसी लोम मिट्टी न हो जो अधिक समय तक पानी को रोके रखे। इससे इसकी जड़ें खराब होने का खतरा रहता है। मिट्टी तैयार करते समय पूरी जानकारी ले लें। वैसे इसके लिए मिश्रित मिट्टी ही ठीक रहती है। 
मिट्टी के साथ-साथ वातावरण भी अनुकूल होना जरूरी है।
कैसे करें देखरेख
किसी भी बोन्साई को दो से तीन साल के बाद एक गमले में न रखें। उसे दूसरे गमले में शिफ्ट कर दें। गमला बदलते समय बोन्साई के आकार और उसके पत्तों के रंग का ध्यान रखें।
जब लगे कि बोन्साई अधिक बढ़ना शुरू हो गया है और उसमें पत्तियां भी नई आने लगी हैं, ऐसे में दूसरे गमले में बदल लें ताकि उसे पूरी हवा और पानी मिल सके।
वातावरण में जैसे ही तापमान 3० डिग्री पहुंचे तो उसे छाया में रखना प्रारंभ कर दें। बोन्साई की जड़ों में पानी स्प्रे के जरिए डालें। बर्तन से पानी न डालें इससे उसकी जड़ें मिट्टी से अलग हो जायेंगी।
बोन्साई की कटिंग साथ-साथ तेज धार वाली कैंची से करते रहें।
जब बोन्साई जड़ें पकड़ ले तो एक सप्ताह के बाद इसे बाहर रख दें और शाम होने से पहले इसे अंदर वापिस रखें।
बोन्साई को उचित रोशनी और हवा की आवश्यकता भी होती है इसलिए इसे बाहरी वातावरण जरूर मिलना चाहिए बस ध्यान दें चिलचिलाती धूप और तेज हवा में इसे बाहर न रखें।
ट्रिमिंग करते समय इसकी शेप का पूरा ध्यान रखें। (उर्वशी)