अर्थव्यवस्था के मोर्चे से बेहतर खबर 

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में
सबसे तेजी से आगे बढ़ सकती है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की
विकास-दर 13.5 फीसदी हो गई है। यह वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल, मई, जून
की पहली तिमाही की बढ़ोतरी है। हमारी अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों
के पार चली गई है और इसे 2019 के औसत स्तर पर आंका जा रहा है। यह
बढ़ोतरी इसलिए भी सुखद, सकारात्मक और विकासपरक है, क्योंकि ढेरों चुनौतियों
के बाद आज सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। ऐसे वक्त
में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की ग्रोथ लगातार कम हो रही है इसके बावजूद भारत
की ग्रोथ रफ्तार डबल संख्या में बने हुए है। ऐसे में कहा जा सकता है कि कोरोना
महामारी के दो साल बीत जाने के बाद भी भारत की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ रही
है। वहीं इन आंकड़ों ने विपक्षी दलों की  बोलती भी बंद कर दी है, क्योंकि विपक्ष
आर्थिक मोर्चे को लेकर लगातार सरकार पर हमला बोलता रहा है।
हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई थी। इस
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का जीडीपी वित्त वर्ष 2022 में 7.4 और 2023 में 6.1
रहने की उम्मीद है, जो अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमरीका, यूरो एरिया,
जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, जापान व ब्रिटेन की तुलना में कहीं बेहतर है। लेटेस्ट
वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक ग्रोथ प्रोजेक्शन में भारत 2021 में भारत एक बड़ी
अर्थव्यवस्था के रूप में उभरकर सामने आया है। 2021 में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की
तुलना में भारत का जीडीपी सबसे ऊपर 8.7 रहा, जिससे पता चलता है कि भारत
की स्थिति अन्य विकसित देशों की तुलना में बेहतर है।
दुनिया के कुछ देशों में आर्थिक मंदी की आशंका के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में
लगातार सुधार देखा जा रहा है। तमाम आर्थिक संकेतक इस बात की गवाही पहले
ही दे रहे थे और अब जीडीपी के ताजा आंकड़े भी इसी बात को साबित कर रहे हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त
वर्ष की अप्रैल से जून की तिमाही के लिए भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानि
जीडीपी विकास दर 13.5 फीसदी दर्ज किया गया। पिछले साल अप्रैल से जून की
तिमाही में जीडीपी ग्रोथ दर 20.1 फीसदी  थी। कृषि की विकास दर 4.5 फीसदी
दर्ज की गई तो वहीं सेवा क्षेत्र ने बेहतरीन प्रदर्शन किया जिसमें ट्रेड, होटल्स,
ट्रांसपोर्ट एंड कम्युनिकेशन में सबसे ज्यादा 25.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
साथ ही पब्लिकेशन और दूसरी सेवाओं में 26 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की
गई।
हमारे देश में सर्विस सैक्टर, होटल, व्यापार क्षेत्रों का इस बढ़ोतरी में अहम योगदान
है, हालांकि अभी विकास को वह स्तर छूना है, जहां युवाओं के लिए नौकरी,
रोज़गार के समग्र आयाम खुलेंगे। होटल, व्यापार क्षेत्रों में 25.7 फीसदी की बढ़ोतरी
दर्ज की गई है, जबकि सेवा क्षेत्र की बढ़ोतरी 17.6 फीसदी रही है। ये क्षेत्र ही
सर्वाधिक नौकरियां और रोज़गार मुहैया कराते हैं। मनोरंजन, रेस्तरां, खेल, बैंकिंग,
उद्योग, विनिर्माण, कृषि आदि क्षेत्रों में भी बढ़ोतरी हासिल हुई है।
परिणामस्वरूप अब जीडीपी 36.85 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि
लॉकडाउन के दौर में यह 27.04 लाख करोड़ रुपये तक लुढ़क गया था। हमारी
अर्थव्यवस्था की यह बढ़ोतरी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आकलन के मुताबिक भी है,
जिसने मौजूदा वित्त वर्ष की विकास दर 7.4 फीसदी आंकी थी। भारत सरकार के
वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने अब भविष्यवाणी की है कि वर्ष के अंत में
विकास दर 7 फीसदी से अधिक होगी। कुछ अर्थशास्त्रियों का आकलन है कि अब
अंतिम विकास दर दहाई, यानी 10 फीसदी और ज्यादा, में होनी चाहिए। बेशक
आर्थिक बढ़ोतरी के ये आंकड़े नई उम्मीदें जगाते हैं। यह सत्य स्थापित करते हैं कि
भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे सशक्त है और तेजी से बढ़ रही है। चीन
की जीडीपी बढ़ोतरी दर 0.4 फीसदी है और करीब 25 ट्रिलियन डॉलर की
अर्थव्यवस्था वाले सबसे विकसित देश अमरीका की विकास दर -0.6 फीसदी, यानी
ऋणात्मक है। जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन सभी देश भारत की बढ़ोतरी से बहुत पीछे
हैं। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था ऋणात्मक है।  भारत में यह बढ़ोतरी भारतीय रिजर्व बैंक
की मौद्रिक नीति समिति के अनुमान 16.2 फीसदी और भारतीय स्टेट बैंक के
अनुमान 15.7 फीसदी से कम रही है। यह विकास दर 14 फीसदी से अधिक होनी
चाहिए थी।