फायदों से भरपूर है जामुन का पेड़

भारतीय संस्कृति में जामुन का कितना महत्व है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत के नामों में से एक जम्बू द्वीप यानी जामुनों का द्वीप भी है। जामुन का पेड़ कई मामलों में अद्भुत है। भारतीय जीवनशैली में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां जामुन का महत्व न समझा जाता हो। धर्म, ज्योतिष, संस्कृति, पर्यावरण और औषधीय सभी क्षेत्रों में जामुन को बहुत ही महत्वपूर्ण वृक्ष माना जाता है। जामुन कई रोगों की रोकथाम करती है। आज के सबसे खतरनाक लाइफस्टाइल रोग शुगर के खात्मे में जामुन रामबाण की तरह उपयोगी है। लेकिन शुगर के अलावा भी यह पेचिश, पथरी, कब्ज और हैजा जैसी बीमारियों में उपयोगी है। जामुन की गुठली के अंदर जो गिरी पायी जाती है, उसमें जंबोलिन नामक ग्लूकोसाइट होता है, यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है। इसलिए शुगर या मधुमेह में जामुन बेहद उपयोगी है। जामुन की लकड़ी की खासियत है कि यह पानी में बहुत लंबे अर्से तक सड़ती नहीं है। इसकी इसी खूबी के कारण नाव बनाने में बड़े पैमाने पर जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल होता है। नाव की निचली सतह जो हमेशा पानी में रहती है, वह तो जामुन की लकड़ी की ही होती है।
भारत में कुछ बेहद ठंडे इलाकों को छोड़कर पूरे देश में जामुन उगता है। प्राचीनकाल में देश में जामुन के इतने पेड़ थे कि उन्हीं की वजह से भारत का एक नाम जम्बूद्वीप भी था। जामुन का वैज्ञानिक नाम-शाइजियम क्यूमिनी है। यह  एक सदाबहार वृक्ष होता है। इसके फल बैंगनी रंग के होते हैं, जो आमतौर पर 1 से 2 सेंटीमीटर व्यास के होते हैं। जामुन भारत के अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, इंडोनेशिया और मलेशिया में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। भारत में जामुन के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग नाम हैं। कहीं इसे जामुन कहते हैं, कहीं काला जामुन, कहीं ब्लैक बैरी, कहीं जमाली तो कहीं कुछ और। जामुन का प्राकृतिक स्वाद थोड़ा कसैला होता है। चूंकि यह एक अम्लीय फल है इसलिए इसे नमक के साथ खाना चाहिए। पकने पर जामुन बहुत मीठा होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज पाये जाते हैं। इसमें खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। दूसरे फलों के मुकाबले इसमें कम कैलोरी होती है। इस फल का सिर्फ  गूदा ही नहीं बल्कि गुठली भी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। जामुन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, लोहा, विटामिन डी, कैरोटीन, मैगनीशियम और फाइबर पाया जाता है।
जामुन के पेड़ का धार्मिक महत्व भी खूब है। इसकी  पूजा होती है। इस सबके साथ जामुन पर्यावरण के लिए भी बहुत उपयोगी वृक्ष है। क्योंकि यह प्रतिकूल पर्यावरण में भी न सिर्फ उग आता है बल्कि संघर्ष करके अपने आपको बनाये रखता है। यह कई तरह की मिट्टियों में आसानी से उगता और लगता है। चूंकि इसकी पत्तियां लगभग 7 से 8 सेंटीमीटर लंबी, दांतेदार, नुकीली और ज्यादातर समय तरोताजा रहने वाली हरे रंग की चमकदार होती हैं, इसलिए ये वातावरण से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखती हैं। जामुन उन विशेष पेड़ों में से है जो खूब ऑक्सीजन पैदा करता है। जामुन का पेड़ सीधे तने वाला तथा मध्यम आकार का होता है।  -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर