चीन पर वित्तीय प्रहार किया जाना भी ज़रूरी 

वर्तमान में भारत विश्व पटल पर तीव्रगति से विकास की ओर बढ़ने वाला देश है। भारत की बढ़ती विकास गति से विश्व के प्रमुख देश भयभीत भी हैं और ईर्ष्या भी करते हैं। विशेष रूप से पाकिस्तान और जनसंख्या व क्षेत्रफल के साथ-साथ आर्थिक रूप से से सुदृढ़ चीन हमारी विकासगति में समय-समय पर बड़ा अवरोध उत्पन्न करते रहते हैं और बाकी ईर्ष्यालु देश इन्हें भारत के विरुद्ध भड़काने का कार्य करते रहते हैं। 2014 के बाद भारत ने अपनी गजब की विदेश नीति व कूटनीति से पाकिस्तान के हौसले तो पस्त कर दिये है किंतु ड्रैगन चीन अभी भी एक समस्या के रूप में भारत की अस्मिता को ललकारने का कुत्सित प्रयास करता रहता है। यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सदैव पाकिस्तान के साथ वीटो पॉवर का प्रयोग कर भारत से दुश्मनी निभाने वाला चीन आर्थिक रूप से भारत के विशाल बाजार पर काफी हद तक निर्भर है।
2014 से पूर्व संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का साथ केवल रूस देता था किन्तु 2014 के बाद से भारत की कूटनीति के कारण आज पाकिस्तान के साथ केवल चीन खड़ा है और भारत के साथ पूरा विश्व। 
पिछले पंद्रह-बीस वर्षों से चीनी लड़ियां, चीनी सामान की देश के बाजारों में भरमार रही और हम विश्व के सर्वाधिक ग्राहक के रूप में उसके सामानों को खरीदकर चीन को मज़बूत रहे। वह हमारे बाजार से मजबूत होकर कभी डोकलाम तो कभी गलवान में हमें ही आँख दिखाता रहता है। अरुणाचल से लद्दाख तक भारत की सीमा पर चीन का व्यवहार दुश्मन देश जैसा है। उसकी इस गिद्ध हरकत पर भारत के नागरिकों ने पहले भी चीनी सामान का बहिष्कार कर उसे सबक सिखाया है किंतु वर्तमान में चीन की कमर तोड़ने के लिए हर भारतवासी को कमर कसनी पड़ेगी। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 में सियाचीन में सेना के जवानों के बीच गये थे। उन्होंने जवानों का हौसला बढ़ाया था। सियाचिन में सबसे कठिन परिस्थितियों में रहकर भारतीय जवान सीमा की रक्षा करते हैं। तब से यह स्पष्ट हो गया था कि अब भारत के भाग्योदय का समय आ गया है। तभी से चीन का सामना एक सशक्त भारत से होने लगा। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी पंजाब के अमृतसर के डोगराई युद्ध स्मारक भी पहुंचे थे। सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘मैं यहां आपके साथ दीपावली मनाने आया हूं और यह अवसर पाकर मैं काफी खुश हूं।’ इसके साथ ही उन्होंने सैनिकों की प्रशंसा भी की तथा आह्वान किया था कि पड़ोसी दुश्मन देश को सबक सिखाने के लिए हमें बाजार में अपना दम-खम दिखाना पड़ेगा। चीनी सामान का बहिष्कार कर उसे घुटनों पर लाया जा सकता है।
स्वदेशी जागरण मंच ने देशभर में चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चलाया। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने लोगों को इसके लिए जागरूक किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर स्वदेशी सामान की महत्ता, उद्देश्य एवं लाभ से लोगों को अवगत किया। जिस तरह चीन ने भारत के साथ-साथ ताईवान व जापान को भी धमकाने की कोशिश की है, उसके दृष्टिगत चीन की विकृत मानसिकता का मुँहतोड़ उत्तर यही रहेगा कि हम चीनी सामान का शतप्रतिशत बहिष्कार करें। मंदी के दौर में चल रहे चीन की भारतीयों के इस कदम से कमर टूट जायेगी। वह सिर के बल घुटनों पर आ जायेगा। चीन ने जिस प्रकार पाकिस्तान व बर्मा के बाद श्रीलंका में आकर भारत को घेरने की कुत्सित योजना तैयार की है, ऐसे में उसके अहंकार में गिरावट लाना बहुत आवश्यक है। अत: हर भारतीय यह संकल्प ले कि चीन का भारतीय बाजार से बिस्तर गोल करने के लिए उसके सामान का शतप्रतिशत बहिष्कार किया जाएगा। 
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