बड़ी-बड़ी आंखों वाली रॉस सील


रॉस सील विश्व की सबसे रहस्यमयी सील है। यह अंटार्कटिका के अत्यंत बर्फीले क्षेत्रों में पायी जाती है। यह हमेशा जमी हुई बर्फ  में रहती है, कभी सागर तटों पर नहीं आती। इसकी खोज सन 1840 में सर जेम्स रॉस ने की थी, इन्हीं के नाम पर इसका नाम रॉस सील रखा गया। अंटार्कटिका प्रदेश में मानव की गतिविधियां बढ़ने के बाद ही इनके बारे में जानने और समझने का मौका मिला है। हालांकि रॉस सीलों की आदतों और व्यवहारों पर अभी तक गहन अध्ययन नहीं किया गया। 
रॉस सील आलसी होती है, मानव के करीब आने पर यह मुंह फाड़कर विचित्र प्रकार की आवाजें निकालती है। अन्य सीलों की तरह यह निर्मोचन करती है और पूरे निर्मोचन काल में कुछ नहीं खाती। निर्मोचन के समय इसकी त्वचा की ऊपरी परत धीरे-धीरे टुकड़ों में निकलती है। उस समय इसे बहुत कष्ट होता है।  इसका आकार आधे चंद्रमा जैसा होता है। सिर छोटा और चौड़ा होता है। इसकी लंबाई 1.95 मीटर से लेकर 2.95 मीटर तक होती है। मादा सील की लंबाई नर से कम होती है। त्वचा कठोर और खुरदरी होती है। पीठ का ऊपरी रंग गहरा ग्रे होता है। पेट और नीचे का भाग बहुत हल्का ग्रे होता है। इसकी दोनों बगलों पर ग्रे रंग की धारियां भी होती हैं। शरीर मांसल होता है। गर्दन छोटी और मोटी होती है। आंखें बड़ी और बाहर की ओर निकली होती हैं, इसलिए इसे बड़ी आंखों वाली सील भी कहते हैं। रॉस सील का प्रमुख भोजन स्क्विड है। इसके अलावा यह समुद्री मछलियां और फ्रिल खाती है।
रॉस सील, केकड़ा खाने वाली सील और तेंदुआ सील की तरह सागर तटों से दूर जमी हुई बर्फ पर एकांत में प्रजनन करती है। जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के कारण यह धरती से तेज़ी से विलुप्त हो रही है। यही वजह है कि इसे विलुप्त प्राय जीवों की सूची में शामिल किया गया है। रॉस सील ऐसे स्थानों पर रहती है जहां मानव सरलता से नहीं पहुंच सकता, इसलिए इसकी संख्या के बारे में अधिकारपूर्वक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसकी संख्या लाखों में भी हो सकती है और कुछ सौ में भी। ये रॉस सीलें उन्हीं क्षेत्रों में देखने को मिली है जहां मानव रहता है या आता जाता है। अंटार्कटिका क्षेत्र में जो रॉस सीलें देखी गई हैं, उनमें से अधिकांश सीलें अंटार्कटिक के हर्डद्वीप पर मिली हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर