जाकिर को लेकर आहत होती फीफा खेलों की संस्कृति


कतर में फुटबाल के ‘महाकुम्भ’ फीफा विश्व कप 2022 का आयोजन प्रारंभ हो चुका है। अल खोर शहर के 60 हज़ार की क्षमता वाले भव्य अल वायत स्टेडियम में दुनियाभर से फुटबाल प्रेमी पहुंचे हैं, जिनमें भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भारतीय शिष्टमंडल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अरब देश में यह पहला विश्व कप आयोजन है, जो भव्यतम खेल आयोजनों की दृष्टि से नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इस आयोजन की अनेकानेक विलक्षण, आश्चर्यकारी घटनाओं एवं व्यवस्थाओं के बीच विवादित इस्लामिक नेता ज़ाकिर नाइक को आमंत्रित कर खेल परम्पराओं पर साम्प्रदायिक विषमता का रंग देने की कुचेष्टा हुई है, निश्चित ही इससे अनेक प्रश्न खड़े हुए हैं, और कि यह आयोजन विवाद का वातावरण बना है,। खेल की सौहार्द एवं सदभावना मूलक भावनाओं को आहत किया गया है क्योंकि जाकिर खेल देखने नहीं, बल्कि बाकायदा एक षड्यंत्र एवं सोची समझी नीति के तहत फीफा विश्व कप के दौरान धार्मिक व्याख्यान देने के लिए कतर में पहुंचा है। जाकिर पर धार्मिक समुदायों के बीच नफरत, द्वेष, घृणा फैलाने, युवाओं को कट्टर बनाने, मनी लॉन्ंिड्रग, आतंकियों की खुली वकालत करने जैसे आरोप है। वह भारत में मोस्ट वांटेड है। ऐसे में  दुनिया के इस सबसे बड़े खेल आयोजन में उसे आमंत्रित करना विवादास्पद होने के साथ अनेक सवाल खड़े करता है। 
भले ही मलेशिया ने उसे स्थायी निवास की इजाज़त दी थी पर अब वह वहां भी उन्हीं आरोपों में घिर गया है, जिनके लिए वह जाना जाता है। ऐसा विषवमन करने वाले लोग पूरी दुनिया के लिये गंभीर खतरा हैं। अब खेलों पर भी उनकी काली छाया पड़ना गंभीर चिन्ता का विषय है लेकिन विडम्बना है कि साम्प्रदायिक आग्रहों एवं स्वार्थों के कारण दुनिया ऐसे खतरों को पहचान नहीं पा रही है। जब ऐसे लोग अपना जहर फैलाने एवं विध्वंस करने में सफल हो जाते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इस फीफा कप आयोजन में उसके ज़हर उगलने के क्या दुष्परिणाम होंगे, यह भविष्य के गर्भ है लेकिन इतना तय है कि फीफा विश्व कप पर वह एक काला दाग बनेगा।
उसने भारत में लम्बे समय तक विषवमन किया है। जब यहां की सरकार सचेत हुई और उसके खिलाफ  कार्रवाई करने को तत्पर हुई तो उसने मलेशिया में पनाह ले ली। वहां भी इस्लाम को बचाने के नाम पर उसने वहां रह रहे चीनी समुदाय के खिलाफ  विष वमन करते हुए कहा था कि चीनी समुदाय के लोगों को मलेशिया छोड़कर चले जाना चाहिए, क्योंकि वे इस देश के नागरिक नहीं, बल्कि मेहमान हैं। पिछले दिनों उसने उन हिंदुओं के खिलाफ  बयान दे डाला, जो सदियों से मलेशिया के नागरिक हैं और वहां की स्थानीय संस्कृति व राजनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा  हैं। इस तरह उसने मलेशिया की शांति एवं अमन को खण्डित कर दिया। उसने न केवल भारत बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी अपने कट्टरपंथी भाषणों, विषवमन, उन्मादी अभियानों से मजहबी कट्टरता को बढ़ाया है और आतंकवादी घटनाओं के लिये भी प्रेरित किया है। इस्लाम में अनेक ऐसे धर्मगुरु हैं, जिनकी प्रतिष्ठा विश्वव्यापी है। उनसे इतर आखिर नायक को फीफा में इतनी प्रमुखता देने की आवश्यकता क्यों हुई? 
जाकिर नाइक जैसे उन्मादी एवं कट्टरवादी लोग केवल भारत के लिए ही खतरनाक नहीं है, बल्कि वे पूरी दुनिया के लगभग सभी देशों के लिए भी खतरनाक हैं। एक दूसरा सच यह भी है कि दुनिया अभी तक इस तरह के खतरों से निपटने के रास्ते तलाश नहीं सकी है। जाकिर नाइक ढाका आतंकवादी हमलों को लेकर विवाद की चपेट में आया था। समूची दुनिया में इस्लाम को संगठित करने एवं इस्लाम के खतरे में होने की बात कहते हुए जाकिर जैसे कट्टरवादी एवं जहरीले लोग अपनी स्वार्थसिद्धि के लिये अपनी कौम को भी खतरे में डाल रहे हैं। किसी एक वर्ग के प्रति द्वेष और किसी एक के प्रति श्रेष्ठ भाव एक ऐसी मानसिकता हो जो विचारधारा नहीं बन सकती, न ही बननी चाहिए। लेकिन राजनीतिक स्वार्थों के प्रेरित यह मानसिकता जिस टेक पर चल पड़ी है, क्या वह दुनिया को विघटन की ओर ले जा रही है? क्या भटकाव एवं बिखराव की यह मानसिकता सम्पूर्ण मानवता के लिये एक गंभीर खतरा नहीं है? क्या विश्व खेलों के सौहार्द एवं सद्भावना के दृश्यों को इससे नुकसान नहीं पहुंचेगा?
फीफा जैसे खेल आयोजनों का उद्देश्य विश्व को जोड़ना है न कि तोडना। फिर इस विश्वकप में नायक के द्वारा दिये जाने वाले विषैले उपदेशों का लाभ क्या है? इस विषवमन का उद्देश्य क्या है? दुनिया को जोड़ने की बजाय तोड़ने की मानसिकता का अंत क्या है? कोई भी साध्य शुद्ध साधना के बिना प्राप्त नहीं होता। जाकिर से जो मानसिकता पनपी है, उससे राजनीतिक दल एवं साम्प्रदायिक संगठन एवं शक्तियां अपना स्वार्थ भले सिद्ध करें, लेकिन इन्सानियत खतरे में पड़ जाती है। भारत में ज़ाकिर नाइक पर, उसकी संस्थाओं पर साम्प्रदायिकता भड़काने से लेकर विदेशी मदद लेने जैसे कई मामले चल रहे हैं, जिनसे बचने के लिए वह दुनिया भर में घूम रहा है। 
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