फैलता आपराधिक जाल


कनाडा से अमरीका भागे गोल्डी बराड़ को अमरीकी पुलिस द्वारा पकड़ लिये जाने के समाचार से केन्द्र तथा पंजाब सरकार को बड़ी राहत ज़रूर मिली है। वैसे कुछ अन्य समाचारों के अनुसार अमरीकी पुलिस ने अभी उसे अपनी निगरानी में ही रखा है। स्वर्गीय गायक शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला की गैंगस्टरों द्वारा इस वर्ष 29 मई को दिन-दहाड़े गोलियां मार कर हत्या कर दी गई थी, जिसकी राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चर्चा हुई थी। इस संबंध में बहुचर्चित लारेंस बिश्नोई के ग्रुप को दोषी ठहराया गया था। लारेंस बिश्नोई चाहे उस समय जेल में बंद था परन्तु कनाडा में बैठे उसके साथी सतिन्दरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ ने इस हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी। गोल्डी लारेंस बिश्नोई का निकटतम साथी रहा था। उस पर पहले ही अनेक मामले दर्ज हैं।
आजकल हालात यह बन गये हैं कि चाहे बड़े गैंगस्टर जेलों में बंद हों परन्तु वहीं से ही अपनी निर्धारित कार्रवाइयों की योजना बनाने तथा उन्हें लागू करने में सफल हो जाते हैं। बाहर उनका जाल इस कद्र फैला हुआ है कि किसी भी कार्रवाई को  उसके साथी आसानी से पूरा कर देते हैं। समाचारों के अनुसार सिद्धू मूसेवाला को मारने की योजना भी जेल में ही बनी थी तथा जिस तरह उसकी हत्या की गई उससे तो यह अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि गैंगस्टरों का नैटवर्क किस सीमा तक फैला हुआ है। आज बड़ी संख्या में आपराधिक गतिविधियां करने वाले लोग जितने पंजाब में सक्रिय हैं उससे कहीं अधिक अन्य अलग-अलग राज्यों तथा विदेशों में भी पूरी तरह सक्रिय हैं। धमकियां, हत्या तथा जबरन वसूली की बात आम जैसी प्रतीत होने लगी है। पहले तो अमीरों तथा गायकों आदि को ही निशाना बनाया जाता था, अब तो बड़े-छोटे शहरों में अच्छे कामकाज़ करने वाले लोगों को भी नित्य-प्रति धमकियां मिलती रहती हैं। अकेले कनाडा में ही आज दर्जनों ़खतरनाक ऐसे अपराधी घूम रहे हैं। वह आसानी से इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल करते हुए अपना लक्ष्य पूरा कर लेते हैं।
दुख की तथा चिन्ताजनक बात यह है कि इन गैंगस्टरों ने अपने कई राजनीतिक आका भी बना लिये हैं तथा ये अक्सर अलग-अलग पार्टियों के समारोहों में भी नज़र आते  हैं। एक तरह से इन्हें कई नेता राजनीतिक संरक्षण भी प्रदान करते हैं। पिछले लम्बे समय से प्रशासन तथा पुलिस द्वारा इनके विरुद्ध बड़ी कार्रवाइयां भी की जाती रही हैं परन्तु इनकी संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि पुलिस के लिए वह एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। पिछले दिनों में अलग-अलग शहरों से जहां पुलिस के गैंगस्टरों के साथ मुकाबले के समाचार  आते रहे हैं वहीं नित्य-प्रति अलग-अलग स्थानों पर गोलियां चलने का सिलसिला भी जारी है। सीमा पार से भी इन्हें पूरी शह मिल रही है। कंटीली तारों को पार करना अब मसला नहीं रहा, क्योंकि अब पाकिस्तान की सहायता तथा शह से बड़ी मात्रा में हथियार तथा नशा ड्रोनों द्वारा भेजा जाने लगा है। सुरक्षा बलों द्वारा कई बार इन्हें गिरा भी लिया जाता है तथा कई अपराधियों को हिरासत में भी ले लिया जाता है। परन्तु इस बात का अनुमान लगाया जाना कठिन प्रतीत होता है कि ऐसा कितना कुछ सीमा पार से सुरक्षित निकल कर गलत हाथों में पहुंच चुका है। शुरू हुआ यह सिलसिला खत्म होने में नहीं आ रहा, जिसने अब बड़ी चिन्ता पैदा कर दी है। राष्ट्रीय जांच एजेन्सी भी लगातार पंजाब सहित उत्तर भारत में छापेमारी कर रही है तथा बड़ी मात्रा में पिस्टल, ज़िंदा कारतूस तथा मैगज़ीन आदि पकड़े जा रहे हैं परन्तु बेहद बढ़ चुके इस ‘गन कल्चर’ पर काबू पाने में पुलिस तथा प्रशासन अभी सफल नहीं हो सका। ऐसे सिलसिले को नकेल डालना बेहद कठिन हो चुका है, जिसने इस पक्ष से प्रदेश की शांति को भंग कर दिया है। गोल्डी बराड़ जैसे ़खतरनाक अपराधी को पकड़ना एक बड़ी सफलता ज़रूर है परन्तु इसके साथ ही यह बेहद विकराल हो चुकी समस्या शीघ्र हल नहीं हो सकेगी। इसके हर पहलू पर पूरी जांच-पड़ताल करने के बाद इस संबंध में कोई कड़ी तथा पुख्ता योजनाबंदी की जानी ज़रूरी है, जिससे कि बड़ी संख्या में घूम रहे ऐसे अपराधियों की कमर तोड़ी जा सके।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द