मगरमच्छ के आंसू क्या हैं ?


‘मगरमच्छ की तरह आंसू बहाना’ कहावत तो आपने ज़रूर सुनी होगी?
इस कहावत का प्रयोग तब किया जाता है, जब कोई व्यक्ति असली
हमदर्दी देने की जगह दिखावे की हमदर्दी जता रहा हो। आपको यह
जानकर बहुत हैरानी होगी कि मगरमच्छ ऐसा समुद्री जीव है, जिसकी
आंसू बहाने वाली ग्रंथियां (ञ्जद्गड्डह्म्ह्य द्दद्यड्डठ्ठस्रह्य) ही नहीं होतीं।
फिर यह आंखों में से निकलने वाला पानी आंसू नहीं होता तो फिर क्या
होता है?
आओ इस तथ्य को समझने का प्रयत्न करें।
यह तो आपको पता ही होगा कि समुद्र का पानी खारा होता है। यह
पानी हमारे पीने के योग्य भी नहीं होता। समुद्र के एक लीटर पानी में
लगभग 35 ग्राम नमकीन पदार्थ घुले होते है। इतने नमक वाला पानी
हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह साबित होता है। एक मनुष्य दिन में
कम से कम, तीन लीटर पानी तो ज़रूर पीता होगा। जो पानी हम पीते
हैं, उसका आधा भाग तो पेशाब के रूप में बाहर निकल जाता है। पेशाब
में ज्यादा खतरनाक नमक, सोडीयम आदि शरीर से बाहर निकल जाते
हैं। समुद्री पानी पीने के साथ हर रोज़ 100 ग्राम तक नमक शरीर में
पहुंच जाता है। यह नमक खून में मिलकर भारी तबाही मचाता है। 
समुंद्र में रहने वाले जीव जन्तुओं को यही मुश्किल पेश आती है। समुंद्री
चिड़िया और रेंगने वाले सांपों के शरीर में गुर्दों की जगह नमक को
बाहर निकालने वाली एक ग्रंथी मौजूद होती है। इस ग्रंथी को नमक ग्रंथी
 (ह्यड्डद्यह्ल द्दद्यड्डठ्ठस्र) कहा जाता है। समुद्री जीव जैसे मगरमच्छ,
कछुआ, सांप और छिपकलियों में इस ग्रंथी का बाहरी हिस्सा, आंख के
एक कौने में खुलता है। इस प्रकार इस ग्रंथी की मदद के साथ ये जीव
अपने शरीर में से ज्यादा पानी, भोजन के साथ पहुंचे फालतू तरल और
नमक को बाहर निकालते हैं। यही पानी मगरमच्छ के आंसू कहलाता है।
आंख के कोने में से निकलने के कारण इस पानी को आंसू समझ लिया
जाता है। इस पानी को हम आंसू नहीं कह सकते । मो-97806-67686