अपराध एक संगठित उद्योग बन चुका है


उनके लिए यह रोज़ की तरह काम पर जाने की तरह है। उन्हें किसी को शूट करना है, किसी का अपहरण करना है, कहीं बम लगाने हैं या कहीं इंटरनेट के जरिए चूना लगाना है। अपराध अब क्षणिक आवेश का परिणाम नहीं रह गया है बल्कि एक संगठित उद्योग बन चुका है। पेशेवर लोगों का एक ऐसा समूह जो अपने मुनाफे के ‘टारगेट’ ले कर काम करता है, दूसरे गिरोहाें के साथ व्यापारिक प्रतिस्पर्धा करता है और कमाई के नित नए तरीके खोजता हुआ कानून के रखवालों को चकमा देता रहता है। 
दुनिया में अपराध अब और ज्यादा संगठित शक्ल ले चुका है और इस खेल के नए से नए खिलाड़ी सामने आ रहे हैं जिनका अपना नेटवर्क है और पीढ़ी दर पीढ़ी अपराध का साम्राज्य बसाने वाले पुराने गिरोहों या माफिया को भी ये चुनौती भी दे रहे हैं। उनके बीच की गैंगवार भी अब गलियाें में शारीरिक रूप से भिड़ने जैसी मात्र नहीं रह गई बल्कि वे दिमाग से शह और मात के खेल खेलते हैं जिसका उद्देश्य होता है सामने वाले अपराधी संगठन के कमाई के स्रोत कम करना या खत्म करना और अपनी कमाई के जरिए बढ़ाना। 
ड्रग्स के मामले में ये अनौपचारिक नेटवर्क के साथ मिल कर काम करते हैं जिसको रोकना मुश्किल होता जा रहा है। अपने काम में आसानी के लिए ये आतंकवादी समूहों को अपने ऑपरेशन के लिए धन मुहैय्या करवाते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे कर विकासशील देशों को लगभग वार्षिक 40 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचाते हुए अपनी जेब भरते हैं। संगठित अपराध में अब मानव तस्करी पसंदीदा काम बनता जा रहा है और एक अनुमान के मुताबिक विश्व में 2.4 मिलियन लोग मानव तस्करी से पीड़ित हैं और अपराधी इन्हीं की बदौलत 32 अरब डॉलर की वार्षिक अवैध कमाई कर रहे हैं। 
संगठित अपराध या आपराधिक संगठन ऐसे केंद्रीयकृत संगठन हैं जिनका उद्देश्य पैसा या पॉवर है। कई देशों में इन अपराध संगठनों को माफिया कहा जाता है। अपराधियों के कुछ संगठन राजनीति से प्रेरित हो कर भी बनते हैं। अपराध का इनका तरीका बहुत सुनियोजित और ‘समझदारी’ भरा होता है। चोरी, डकैती, मादक पदार्थों से ले कर मनुष्यों की तस्करी, हत्या, ब्लैकमेल, यौन शोषण, विस्फोट, सट्टेबाजी, फिरौती, जबरन वसूली, अवैध आव्रजन, काले धन को सफेद करने से ले कर कंप्यूटर हैकिंग, पहचान की चोरी, प्रतिभूति धोखाधड़ी, जालसाजी जैसी तमाम अवैध गतिविधियां इनके काम में शुमार हैं।
संगठित अपराध का अपना चाक चौबंद तंत्र है जिसमें ऊपर से नीचे तक सभी की जिम्मेदारियां सुनिश्चित की जाती हैं और समय का खास ख्याल रखा जाता है जैसे कॉर्पोरेट ऑर्गनाइज्ड क्र ाइम गु्रप अपने ‘ऑपरेशन’ की सफलता सुनिश्चित करने के लिए संभावित बाधाओं का भी आकलन और उसके उपाय करते हुए चलते हैं। यूरोपियन कमीशन और यूरोपोल के अनुसार संगठित अपराध के लक्षण दो या इससे ज्यादा लोग हैं जिनकी अपनी-अपनी ‘जिम्मेदारी’ होती है। 
समयबद्ध टार्गेट के अनुशासन और नियंत्रण में रह कर गंभीर किस्म के अपराध कर्म में संलग्न रहते हैं। इंटरनेशनल या सीमा पार स्तर की अवैध गतिविधियों में संलग्नता होती है, हिंसा और धमकी का सहारा भी लेते हैं। व्यापारिक तंत्र की तरह कामकाज करते हुए नागरिक प्रशासन, मीडिया, न्याय प्रणाली अर्थव्यवस्था वगैरह को प्रभावित करते हैं। 
दुनिया भर में अपराध के जरिए लोग 2.1 खरब डॉलर की कमाई कर रहे हैं और यह दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में 3.6 प्रतिशत है। इससे क्रि मिनल बिजनिस दुनिया की 20 अर्थव्यवस्था में एक बन गया है। विकासशील देशों में वार्षिक 40 बिलियन डॉलर का नुकसान अपराध की वजह से उठाना पड़ रहा है वहीं अपराधी मानव तस्करी से 32 बिलियन डॉलर की वार्षिक कमाई कर रहे हैं। संगठित अपराध की रोकथाम करना सभी देशों के लिए चुनौती है। (अदिति)