रजनीगंधा -सी मुस्कान वाली विद्या सिन्हा

 

कुछ दिन पहले टीवी पर सलमान खान की फिल्म ‘बॉडीगार्ड’ (2011) आ रही थी। अचानक छोटे पर्दे पर नज़र पड़ी तो जाना पहचाना सा एक चेहरा दिखाई दिया, लेकिन याद नहीं आ रहा था कि वह कौन है। तभी पत्नी के फोन पर किसी की कॉल आयी, रिंग टोन बजी ‘रजनीगंधा फल तुम्हारे...’ अरे यह तो विद्या सिन्हा हैं, 70 के दशक की कामयाब अभिनेत्री, जो अचानक बड़े पर्दे से गायब हो गई थीं, लेकिन फिर फिल्मों व टीवी धारावाहिकों (जैसे ज़ारा, भाभी आदि) में छोटी-छोटी भूमिकाओं में कभी-कभी नज़र आने लगी हैं। इसके बाद वह ‘दादी’ के नाम से ज्यादा जानी गयीं क्योंकि उन्हें टीवी पर ऐसी ही भूमिकाएं मिलने लगी थीं।
15 नवम्बर, 1947 को मुंबई में पैदा हुई विद्या सिन्हा की पृष्ठभूमि फिल्मी थी, लेकिन वह संयोग से ही फिल्मों में आयीं। विद्या सिन्हा के पिता ने 1948 में देवानंद व सुरैया को लेकर दो फिल्में (विद्या व जीत) बनायी थीं, उनके दादा मोहन सिन्हा भी निर्माता निर्देशक थे, उन्होंने 32 फिल्मों का निर्देशन किया और मदन पुरी, जीवन जैसे कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का अवसर दिया, उन्होंने ही बेबी मुमताज़ को उनका स्क्रीन नाम मधुबाला दिया था ‘मेरे भगवान’ (1947) फिल्म में, लेकिन विद्या सिन्हा की दिलचस्पी फिल्मों में नहीं थी। वह शौक के तौर पर कभी-कभी मॉडलिंग कर लिया करती थीं। विद्या सिन्हा के पिता व दादा भी नहीं चाहते थे कि वह फिल्मों में काम करें। वह माटुंगा (केन्द्रीय मुंबई) अपने नाना नानी के साथ रहती थीं, क्योंकि उनके जन्म के समय ही उनकी माता का निधन हो गया था और उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी।
विद्या सिन्हा की मौसी ने उन्हें जबरन मिस बॉम्बे प्रतियोगिता (1968) में हिस्सा दिलाया, जिसे उन्होंने जीत लिया और उन्होंने मॉडलिंग शुरू कर दी। लेकिन तभी उन्हें अपने पड़ोसी वी अइयर, जो तमिल ब्राह्मण थे, से प्यार हो गया। दोनों ने शादी कर ली। विद्या सिन्हा के मॉडलिंग विज्ञापनों पर बासु चटर्जी की नज़र पड़ी, उन्होंने उन्हें ‘रजनीगंधा’ (1974) फिल्म ऑफर की, लेकिन उनकी ससुराल व मायका दोनों इस बात पर राज़ी नहीं थे कि वह फिल्मों में काम करें। लेकिन जब उन्होंने घर छोड़ने की धमकी दी तो सब तैयार हो गए। हालांकि विद्या सिन्हा ने पहले ‘राजा काका’ फिल्म साइन की थी, लेकिन पहले ‘रजनीगंधा’ रिलीज़ हुई, जिसके लिए वह आज तक याद की जाती हैं। इसके बाद तो कई सफल फिल्मों का सिलसिला शुरू हुआ जैसे ‘छोटी सी बात’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘पति, पत्नी और वो’ आदि। विद्या सिन्हा की पहली फिल्म 2 लाख रूपये के बजट में बनी थी और उन्हें दस हज़ार रूपये दिए गये थे, लेकिन फिल्म ज़बरदस्त हिट रही।
इस सफलता से विद्या सिन्हा के पास बड़ी-बड़ी फिल्मों के ऑफर आने लगे। राज कपूर ने उन्हें ‘सत्यम शिवम् सुन्दरम’ ऑफर की, लेकिन वह जीनत अमान की तरह छोटे कपड़े पहनने के लिए तैयार नहीं थीं, इसलिए उन्होंने इसमें काम नहीं किया। राज कपूर के साथ काम न करने का उन्हें बेहद अफसोस रहा। उनको दूसरा अफसोस दिलीप कुमार के साथ काम न कर पाने का था, जिनके साथ नासिर हुसैन उन्हें लेकर फिल्म बनाना चाह रहे थे। फिल्म की घोषणा भी की गई, लेकिन उसका कभी निर्माण न हो सका। एक मुलाकात में उन्होंने बताया था, ‘जिन वर्षों में मैंने काम नहीं किया, उनका मुझे खेद है। मैंने अपने करियर के चरम पर ब्रेक लिया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। आपका लोगों से सम्पर्क टूट जाता है और फिर से शुरुआत करना कठिन संघर्ष है।’ 1996 में उनके पति का निधन हो गया। वह अकेली पड़ गईं। कुछ समय बाद इन्टरनेट पर उनकी मुलाकात ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर नेताजी भीमराव सालुंखे से हुई। दोनों ने 2001 में शादी कर ली और एक बेटी जहान्वी गोद ले ली। लेकिन यह शादी बेहद नाकाम रही। शादी को बचाए रखने के लिए वह कुछ समय ऑस्ट्रेलिया जाकर भी रहीं। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। विद्या सिन्हा ने मानसिक व शारीरिक यातनाओं का आरोप लगाते हुए तलाक ले लिया। यह 2009 की बात है। बच्ची के गुज़ाराभत्ता को लेकर अदालत में लम्बा विवाद चला। सालुंखे का तर्क था कि विद्या सिन्हा कामकाजी हैं, इसलिए खर्चा खुद बर्दाश्त कर सकती हैं, लेकिन अदालत ने कहा कि औलाद की परवरिश की ज़िम्मेदारी दोनों माता व पिता की है, इसलिए सालुंखे को दस हज़ार रुपए प्रति माह के हिसाब से गुज़ाराभत्ता देना होगा।
विद्या सिन्हा अपने जीवन के दुखद हिस्से पर बात नहीं किया करती थीं और न ही ऑस्ट्रेलिया में गुज़ारे अपने दिनों के बारे में। बहरहाल, अपनी बेटी के ज़ोर देने पर वह मनोरंजन की दुनिया से एक बार फिर जुड़ गई थीं, लेकिन छोटे पर्दे से, जहां उन्होंने न केवल सीरियलों का निर्माण किया बल्कि अभिनय भी किया। विद्या सिन्हा का पहला सीरियल ‘तमन्ना’ था जिसे रवि राय ने निर्देशित किया था। इसके बाद वह फिल्मों से ज्यादा सीरियल में काम करना पसंद करने लगीं क्योंकि सीरियल वर्षों तक चलते हैं, जिससे कलाकार आपका परिवार बन जाते हैं। वह एक समय में केवल एक ही सीरियल करती थीं और सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम करती थीं। उनका कहना था कि टीवी में अब अधिक चमक दमक आ गई है। उनकी बेटी जवान हो गई हैं। विद्या सिन्हा का 15 अगस्त 2019 को 72 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया।
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