त्रिपुरा में एक नया तीसरा मोर्चा : वाम-कांग्रेस गठबंधन 

 

त्रिपुरा में अगले महीने होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर एक नया राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है जोसत्तारूढ़ भाजपा के लिए कुछ राहत की बात है, औरजो राज्य में अपनी सत्ता बनाये रखने के लिए आदिवासियों का समर्थन पाने के लिए संघर्ष कर रही है।
सीपीआई (एम) ने अपनी स्टेट कमेटी की बैठक के बाद, जिसमें वरिष्ठ पोलित ब्यूरो नेताओं ने भाग लियाए गेंद फेंकी है और संकेत दिया है कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस और आदिवासी टिपरा मोथा (टीएम) के साथ गठबंधन कर सकती है। महासचिव श्री सीताराम येचुरी ने हाल ही में वरिष्ठ राज्य पार्टी नेता श्री जितेन चौधरी के साथ पत्रकारों से मुलाकात में जोर देकर कहा कि 2023 के चुनावों में विपक्ष की पहली प्राथमिकता भाजपा की हार सुनिश्चित करना होनी चाहिए।
दूसरी ओर, जबकि भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के साथ एक संयुक्त मोर्चे के वाम प्रस्ताव के निहितार्थों का आकलन करने में अपना समय लिया, एक छोटे स्थानीय संगठन, पीपुल्स कांग्रेस (पीसी) ने तृणमूल कांग्रेस और आदिवासियों की पार्टी टिपरा मोथा (टीएम) के साथ एक नये मोर्चे के गठन की घोषणा की। सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती देने के लिए प्रस्तावित वाम-कांग्रेस गठबंधन के लिए यह वस्तुत: एक सीधी चुनौती है। पीसी ने भाजपा के विरोध में अन्य ताकतों का स्वागत किया, लेकिन कांग्रेस और सीपीआई (एम) का उल्लेख करने से परहेज किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उन्होंने भाजपा के खिलाफ  लड़ाई में अलग-अलग रास्ते चुनने का विकल्प चुना है।
एक छोटी स्थानीय पार्टी के नये प्रस्ताव की गति को देखते हुए, जिसमें टीएमसी के साथ एक नया चुनाव-पूर्व गठन स्थापित करने की बात है, एक सामान्य धारणा थी कि स्पष्ट रूप से कुछ विपक्षी ताकतें भाजपा विरोधी वोटों के बंटवारे से बचने के लिए कांग्रेस तथा सीपीआई (एम) के साथ मिलकर विपक्षी एकता तलाशने के बजाय अपनी खुद की राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने में ज्याद उत्सुक थीं। स्पष्ट है कि त्रिपुरा में सत्ता के लिए गहरी लड़ाई चलने वाली है। यह बिना कहे भी समझ में आ जाता है कि दो अलग-अलग खेमों में बंटा विपक्ष, अपने-अपने अभियानों में अलग-अलग आख्यान पेश कर रहा है, जो केवल भाजपा को मदद ही कर सकता है, उसके मार्ग में बाधा उपस्थित नहीं कर सकता।
श्री सीताराम येचुरी ने अपनी हालिया बैठक में यह स्पष्ट कर दिया कि वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतों को न केवल चुनाव जीतने के लिए बल्कि भाजपा से लड़ने के लिए एक साथ आना चाहिए। इससे भी बड़ी लड़ाई लोकतंत्र की नींव को मजबूत करना एवं कई वर्षों के संघर्ष के बाद प्राप्त लोगों के मूल अधिकारों की रक्षा करना है। केंद्र और विभिन्न राज्यों में भाजपा के कार्यकाल के दौरान, भारत के संविधान और समय-सम्मानित राजनीतिक मानदंडों का घोर उल्लंघन किया गया है। माकपा महासचिव ने रेखांकित किया कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों के कारण पूरे भारत में आम लोगों की आर्थिक पीड़ा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
संभावित विवादों से बचने के लिए  येचुरी ने विशिष्ट प्रश्नों को टाल दिया कि क्या सीपीआई (एम), जिसने 2018 के विधानसभा चुनावों में 60 में से 16 सीटें जीतते हुए कई वर्षों के बाद त्रिपुरा की सत्ता हारी थी, अब भाजपा के हारने की स्थिति में अगले मुख्यमंत्री के रूप में एक आदिवासी उम्मीदवार का समर्थन करेगी? उनकी यही स्थिति तब रही जब उनसे कांग्रेस के साथ गठबंधन पर राजनीतिक दृष्टिकोण तथा उसके पीछे के उद्देश्यों आदि के बारे में बताने के लिए दबाव डाला गया। न ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री श्री माणिक सरकार इस साल के चुनाव लड़ेंगे? एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने श्री चौधरी से अपील की कि जब मीडियाकर्मी स्थानीय मुद्दों से जुड़े सवालों का जवाब दें तो वे पत्रकारों को जवाब दें।
सूत्रों का कहना है कि वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतों में शामिल होने के लिए टीएम और कांग्रेस को औपचारिक रूप से एक प्रस्ताव दिया गया था, परन्तु इस संबंधी अनौपचारिक स्तर पर भी अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई। टिपरा मोथा को राष्ट्रीय दलों के साथ सौदेबाजी के लिए लाभप्रद रूप से रखा गया है। पीसी टीएमसी गठजोड़ टीएम नेता प्रद्योत माणिक्य देबबर्मन को चुनाव में भाजपा की हार की स्थिति में मुख्यमंत्री पद की पेशकश कर रहा है।
याद रहे कि टीएम ने वामपंथियों और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन के बारे में अपनी झिझक व्यक्त की थी। टीएम नेताओं को संदेह था कि कांग्रेस समर्थक, जिनमें से कई लंबे वामपंथी शासन के दौरान बहुत कठिन समय से गुजरे थे, अतीत को भूलकर वामपंथियों का समर्थन करने के लिए बड़ी संख्या में आगे आयेंगे। दोनों पक्षों के बीच बहुत अधिक हिंसा और कटु इतिहास रहा है। उनकी समझ का एकमात्र कारण किसी भी चीज़ की परवाह न करते हुए किसी भी तरह सत्ता हासिल करने की उनकी इच्छा होगी। राज्य के भाजपा नेताओं ने कहा, ‘अगर सीपीआई (एम) ने 2018 में 16 सीटें जीती थीं, तो इस साल वे 0 जीतेंगे।’ 
प्रमुख अभिनेता मिथुन चक्त्रवर्ती को सामने लाकर भाजपा ने अपने चुनाव अभियान को आगे बढ़ाया है, जो अपनी विशिष्ट तेज-तर्रार शैली में रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने अपने लंबे लेकिन बंजर कार्यकाल के दौरान लोगों की पीड़ा को कम करने में असमर्थता के लिए वामपंथ पर हमला किया। सांगठनिक स्तर पर भाजपा सूत्रों का कहना है कि अभी तक टीएम से उनकी अनौपचारिक बातचीत में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है, लेकिन केंद्रीय नेताओं समेत स्थानीय नेता कोशिश कर रहे हैं और गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जायें कि टीएम वामपंथी प्रस्तावित गठबंधन में शामिल न हो। अब गेंद टीएम के पाले में है। (संवाद)