भोजपुरी फिल्मों की नींव रखने वाली कुमकुम

 

फिल्म 'आर पार' (क्-भ्ब्) का एक मशहूर गीत है 'कभी आर, कभी पार, लागा तीरे नजर', जिसे अभिनेता निर्देशक गुरुदा अपने दोस्त जगदीप, जो फिल्म 'शोले' के सूरमा भोपाली के रूप में अधिक वियात हैं, पर फिल्माना चाहते थे। लेकिन अंतिम समय में उन्होंने तय किया कि यह गाना महिला किरदार पर बेहतर रहेगा। इसमें समस्या यह थी कि कोई भी स्थापित अभिनेत्री छोटा सी भूमिका करने के लिए तैयार नहीं थी। किसी एस्ट्रा को जिमेदारी इसलिए नहीं दी जा सकती थी कि गाने में नृत्य कौशल की आवश्यकता थी। तभी गुरुदा को किसी ने बताया कि पंडित शभू महाराज से कथक सीखी हुई एक खुबसूरत लड़की है, वह यह भूमिका अच्छी तरह कर सकती है। उस लड़की से सपर्क किया गया, उसने हां कह दी। वह लड़की कुमकुम थी। इस प्रकार कुमकुम का फिल्मी सफर आरभ हुआ जो लगभग क्क्भ् फिल्मों तक सफलतापूर्वक चला।
कुमकुम का जन्म (त्त् जून क्-फ्ब्) बिहार के हुस्सैनाबाद में जिबुन्निस्सा के रूप में हुआ था। उनके पिता नवाब मंजूर हसन खान हुस्सैनाबाद के बड़े जमींदार थे और वह कुमकुम के जन्म से कुछ पहले ही हिन्दू धर्म छोड़कर मुस्लिम हुए थे। चूंकि कुमकुम कथक में महारत हासिल किये हुए थीं, इसलिए बड़े पर्दे पर उनके नृत्य को विशेष रूप से पसंद किया गया। कथक नृत्य का एक नाजुक पहलू अभिनय है, जिसका अर्थ है कि नृत्यांगना अपनी मुद्राओं से संगीत में सजे शदों की व्याया कर दे। यही वजह है कि अच्छी नृत्यांगना जैसे वैजयंतीमाला, माधुरी दीक्षित आदि सफल अभिनेत्री भी साबित हुईं। कुमकुम भी इस नियम का अपवाद नहीं रहीं। वह नाचते हुए भी अभिनय करते हुए नज़र आती थीं। उनकी इस खूबी का निर्देशकों ने जमकर प्रयोग किया, जैसा कि 'कजरा लगा के' गाने से स्पष्ट है। कुमकुम ने अपनी नृत्य प्रतिभा खासतौर से फिल्म 'कोहिनूर' में दिलीप कुमार के साथ दिखाई 'मधुबन में राधिका नाचे रे' गीत पर। इसी फिल्म में उन्होंने 'हाय जादूगर कातिल, हाज़िर है मेरा दिल' गीत पर भी यादगार नृत्य किया। इस गीत को नौशाद के संगीत पर आशा भोंसले ने गाया था।
कुमकुम के बारे में एक खास बात बहुत कम लोग जानते हैं। आज जो भोजपुरी फिल्में बहुत सफल व चर्चित हैं तो उनकी नीव कुमकुम ने ही रखी थी। भोजपुरी भाषा में पहली फिल्म क्-म्फ् में बनी थी, जिसका नाम 'गंगा मैय्या तोहे पियरी चढैबो' था। इसकी मुय कलाकार कुमकुम थीं। कुमकुम ने ही भोजपुरी में पहली फिल्म पत्रिका आरभ की थी। यह ख्ब् की बात है। बहरहाल, 'मदर इंडिया' (क्-भ्स्त्र), 'सन ऑफ इंडिया' (क्-म्ख्), 'कोहिनूर' (क्-म्) में अपनी भूमिकाओं के लिए वियात कुमकुम का सफलता की दृष्टि से सफल वर्ष क्-म्त्त् रहा जब उनकी 'उजाला', 'नया दौर', 'श्रीमान फंटूश', एक सपेरा एक लुटेरा', 'गंगा की लहरें', 'राजा और रंक' व 'आंखें' जैसी यादगार फिल्में रिलीज़ हुईं। हालांकि इन फिल्मों में भी कुमकुम की भूमिकाएं छोटी ही थीं, लेकिन वह महत्वपूर्ण थीं, जिससे उन्हें अपनी छाप छोड़ने का भरपूर अवसर मिला और उन्होंने इसमें सफलता भी पायी।
कुमकुम से लेखक निर्देशक रामानंद सागर विशेष रूप से प्रभावित थे। उन्होंने 'आंखें' में उन्हें धर्मेन्द्र की बहन की भूमिका दी, 'गीत' (क्-स्त्र) में हालांकि छोटी सी भूमिका दी थी, लेकिन 'ललकार' (क्-स्त्रख्) में उन्हें धर्मेन्द्र के साथ पेअर किया गया जबकि माला सिन्हा को राजेन्द्र कुमार के साथ रखा गया। सागर ने जब क्-स्त्रफ् में अपने निर्माण, निर्देशन व लेखन में 'जलते बदन' बनाई तो किरण कुमार के साथ कुमकुम को ही हीरोइन लिया था। सागर के आलावा गुरुदा व महबूब भी कुमकुम को बहुत पसंद करते थे और अपनी फिल्मों में उनके लिए कोई न कोई भूमिका निकाल ही लेते थे। महबूब ने तो उन्हें अपनी आखरी फिल्म 'सन ऑफ इंडिया' में हीरोइन तक की भूमिका दी। लेकिन यह फिल्म बॉस ऑफिस पर सफल नहीं रही और कुमकुम नृत्य व छोटी भूमिकाओं तक ही सीमित रहीं, सार के दशक के मध्य तक। फिर उन्होंने शादी कर ली।
सज्जाद अकबर खान से शादी के बाद कुमकुम ने फिल्म संसार को अलविदा कह दिया। अभिनेत्री अबीर अबरार उनके पति के भाई की बेटी हैं। कुमकुम के पति सऊदी अरब में नौकरी करते थे, इसलिए वह शादी के बाद वहीं चली गईं और ख्फ् साल वहां रहने के बाद साल क्--भ् में स्वदेश लौटीं। उनके एक बेटी अंदलीब अकबर खान है। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि वियात अभिनेता गोविंदा कुमकुम के भांजे हैं। गोविंदा की मां निर्मला देवी के पिता भी वासुदेव महाराज उर्फ वासुदेव नारायण सिंह हैं, जो कुमकुम के भी पिता हैं और जो बाद में धर्म परिवर्तन करके नवाब मंजूर हसन खान हो गए थे। कुमकुम की एक अन्य बहन राधिका ने भी बतौर नृत्यांगना फिल्मों में अपनी जगह बनाने का प्रयास किया, लेकिन वह सफल न हो सकीं।
कुमकुम बांद्रा वेस्ट, मुंबई के अपने लैट में रिटायर्ड जीवन गुजार रही थीं कि दिल का दौरा पड़ने से ख्त्त् जुलाई ख्ख् को उनका निधन हो गया।
-इमेज रिलेशन सेंटर